- किसानों व जनता में जागरूकता के लिए बक्सर के आथर में प्रादेशिक अन्नदाता-श्री अन्न महोत्सव का हुआ आयोजन। बड़ी संख्या में किसानों व कृषि विशेषज्ञों ने की शिरकत
केंद्रीय राज्यमंत्री चौबे ने कहा कि मिलेट का उत्पादन किसानों के लिए लाभकारी है। इसमें पानी की जरूरत काफी कम होती है, पथरीली भूमि पर भी उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में भोजन को ईश्वर का स्वरूप माना गया है। भारत में मोटे अनाज का इतिहास लगभग 6 हजार साल पुराना है। इसके साथ ही हिंदू मान्यता के अनुसार यजुर्वेद में भी मोटे अनाज का जिक्र पाया गया है। जैसा हम जानते हैं कि धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा पाठ में जौ का इस्तेमाल किया जाता है। ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, रागी (मडुआ), सांवा,सामा,कुटकी, लघु धान्य, चीना, कांगनी आदि को मोटा अनाज की श्रेणी में आते हैं। स्वास्थ्य के लिए ये रामबाण हैं। केंद्रीय मंत्री श्री चौबे ने बताया कि दुनिया ने कभी खाद्य सुरक्षा के नाम पर हमें हमारे पारंपरिक खान- पान से दूर कर दिया गया, लेकिन आज हमें अपने अतीत और परंपराओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है। आज दुनिया ने मोटे अनाज पर मुहर लगा दी है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं। आज, दुनिया मधुमेह, कॉलेस्ट्रॉल और कई अन्य बीमारियों से जूझ रही है, मोटा अनाज आदर्श भोजन होने के साथ-साथ बीमारियों को भी दूर रखता है। उन्होंने बताया कि किसानों एवं लोगों में जागरूकता के लिए नियमित अंतराल पर इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। रविवार को आयोजित कार्यक्रम में प्राथमिक कृषि साख सोसायटी व एनसीडीईएक्स आइपीएफ ट्रस्ट सहित अन्य संस्थानों ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें