इसी क्रम में अगली बातचीत ‘भारत के प्रधानमंत्री : देश, दशा और दिशा’ के लेखक रशीद किदवई से हुई। प्रिया सहगल से बात करते हुए रशीद किदवई ने कहा कि सभी प्रधानमंत्रियों को समान समय नहीं मिला इसलिए उनके बीच किसी तरह की तुलना गलत है। पर कुछ प्रधानमंत्री ऐसे रहे जिन्होंने विश्व की राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ी। इनमें जवाहर लाल नेहरु और इंदिरा गांधी का नाम सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि देश के अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों के बारे में पूरी तरह से तटस्थ रहते हुए यहां पर उनके मूल्यांकन की कोशिश है जिनमे उनकी सफलताओं और असफलताओं के बारे में, उनकी नीतियों के आधार पर बात की गई है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि आज तमाम तरह की आज सोशल मीडिया के सहारे पुराने प्रधानमंत्रियों के बारे में अनेक तरह के दुष्प्रचार करते हुए उनके चरित्र हनन की जो कोशिशें हो रही हैं वे भयावह हैं। उनमें सत्य बहुत कम है और पूर्वाग्रह और झूठ बहुत ज्यादा है। रशीद किदवई ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच में अच्छे सबंध बनाने के लिए सबसे अधिक प्रयास स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किए थे। अगले सत्र में ‘तानी कथाएं’ पुस्तक की लेखक जोराम यालाम नाबाम ने धर्मेंद्र सुशांत से बातचीत के क्रम में कहा की आदिवासी जीवन, उनके मिथकों, उनकी लोक कथाओं और प्रकृति के साथ उनके रिश्ते को बहुत ही ध्यान से समझने बूझने की जरूरत है। खासकर आज के समय में तो यह बहुत जरूरी हो गया है। जब जंगल बचेगा, पहाड़ नदी और हरियाली बचेंगे तो दुनिया भर के आदिवासी भी बचेंगे। और तभी ये दुनिया भी बच पाएगी। ये दुनिया को बचाने का सवाल है जिसका हल आदिवासी जीवन मूल्यों में छुपा हुआ है। आदिवासियों की संस्कृति और उनके जीवन सत्यों को इस रूप में भी समझे जाने की जरूरत है।
अरुणाचल के तानी आदिवासी समाज की पृष्ठभूमि पर आधारित आदिवासी लेखक जोराम यालाम नाबाम की पुस्तक ‘तानी कथाएं’ पर चर्चा में लेखक ने पूर्वोतर भारत के होने के बावजूद भी किताब हिंदी में लिखी के जवाब में कहा उन्हें हिंदी से बचपन से ही लगाव था उन्होंने बचपन से ए बी सी डी से ज्यादा क ख ग घ पढ़ने में आनंद आता था। आगे किताब के बारे में उन्होंने कहा कि यह साधारण लोक कथाएं नहीं हैं ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है। इन कथाओं में हम अपनी आस्था और विश्वास, हमारा समाज, हमारी संस्कृति को देख सकते हैं। अगली बातचीत ‘आज का हिंद स्वराज’ किताब पर केंद्रित रही। इस अवसर पर किताब के लेखक संदीप जोशी ने राकेश सिंह के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह किताब युवाओं को संबोधित है जो गांधी जी के रास्ते को समझते हुए उस पर चलना चाहते हैं। संदीप जोशी ने कहा कि हम जानते हैं कि आज रेल, डॉक्टर और वकील के बिना समाज की कल्पना करना कठिन है पर इससे किसको इनकार है कि इन संस्थाओं में विकृतियां बढ़ती ही गई हैं। इनसे मुक्त होने की जरूरत है। इस किताब ऐसी किताब है जो अपने समय में दकियानूसी किताब मानी गई पर आज दुनिया भर में उसकी प्रासंगिकता भरी चर्चा बढ़ती ही गई है। उनमें जिन सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश है उन्हे इस किताब में आज के संदर्भ में समझने और समझाने की कोशिश है।
विश्व पुस्तक मेले के पहले दिन राजकमल प्रकाशन के स्टॉल 'जलसाघर' में बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजली श्री का उपन्यास रेत समाधि, दिनकर की रश्मिरथी, पीयूष मिश्रा का आत्मकथात्मक उपन्यास तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा, श्रीलाल शुक्ल का उपन्यास राग दरबारी और प्रतिनिधि कविताएँ व प्रतिनिधि कहानियाँ श्रृंखला की पुस्तकों की सर्वाधिक बिक्री हुई। साथ ही, राजकमल प्रकाशन के स्टॉल 'जलसाघर' पर पाठकों के लिए आयोजित 'आएँ खेलें पाएँ ईनाम' क्विज प्रतियोगिता में पाठकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता के तहत पाठक विश्व पुस्तक मेले के दौरान क्विज खेलकर पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट प्राप्त कर सकते हैं। राजकमल प्रकाशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आमोद महेश्वरी ने बताया कि पुस्तक मेले के पहले दिन पाठकों में काफ़ी उत्साह देखा गया। सोशल मीडिया के जरिए पुस्तकों के प्रचार से पाठकों में नई पुस्तकों को लेकर रुझान बढ़ा है। मेले में बहुत से पुस्तक प्रेमी राजकमल प्रकाशन की नई पुस्तकों के बारे में पूछते नज़र आए। अपने 75वें जयंती वर्ष में राजकमल प्रकाशन करीब 100 नई पुस्तकें लेकर पुस्तक मेले में हाजिर हुआ है। वहीं 'जलसाघर' में आए वरिष्ठ पत्रकार और 'बोलना ही है' पुस्तक के लेखक रवीश कुमार ने बताया कि हिंदी की किताबों को लेकर वर्तमान में शानदार काम हो रहा है। हिंदी किताबें साल-दर-साल बेहतर हो रही है। यह अच्छा संकेत है।
26 फ़रवरी, रविवार 2023 – राजकमल प्रकाशन के स्टाल के कार्यक्रम
· 2:00 बजे – कंथा – श्याम बिहारी श्यामल से मनोज कुमार पांडेय की बातचीत
· 2:30 बजे – हिस्टीरिया – सविता पाठक से प्रतिभा भगत की बातचीत
· 3:00 बजे –लेखक से मिलिए – महुआ माजी से वीरेंद्र यादव की बातचीत
· 3:30 बजे – दया नदी – गायत्रीबाला पंडा से धर्मेन्द्र सुशांत की बातचीत
· 4:00 बजे – लोकार्पण – आधुनिक कला आंदोलन =ज्योतिष जोशी ,विशिष्ट उपस्थिति -विनोद भारद्वाज
· 4;30 बजे – दाता पीर ह्रषीकेश सुलभ से अमित गुप्ता की बातचीत
· 5 :00 बजे – लोकार्पण - यह उनींदी रातों का समय है
· 5 :30 बजे – लोकार्पण – जीने की जिद – डॉ रमेश अग्रवाल
· 6:00 बजे -डालडा की औलाद- विष्णु नागर से पल्लव की बातचीत
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