डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, अटारी, पटना ने बताया कि दिन प्रतिदिन न केवल भूजल का स्तर वरन गुणवत्ता में भी पहले की तुलना में कमी आ रही है | इसके अतिरिक्त उन्होंने जल और स्वच्छता के संकट के निदान करने के उपायों एवं इसका कृषि उपयोग हेतु दक्षता को बढ़ाने पर भी प्रकाश डाला | संस्थान के भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग के प्रमुख डॉ. आशुतोष उपाध्याय ने बताया कि भूगर्भीय जल प्रदूषण बढ़ने के कारण पीने योग्य जल की मात्रा लगातार घटती जा रही है | इसके सक्षम सदुपयोग के प्रति हमें संवेदनशील होने की जरूरत है, क्योंकि ‘जल है तो कल है’ | साथ ही साथ उन्होंने न केवल जल की स्वच्छता वरन भूमि एवं जल उत्पादकता में वृद्धि के संबंध में भी विस्तृत चर्चा की | इस कार्यक्रम में संस्थान के विभिन्न वैज्ञानिकों, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने कृषक-वैज्ञानिक वार्ता के माध्यम से जल एवं स्वच्छता संबंधी विषयों पर विस्तार से चर्चा की और जल एवं स्वच्छता संकट के समाधान हेतु संभव उपायों पर प्रकाश डाला | इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले एक किसान अमरजीत ने बिहार के प्राचीन अहर पैन सिस्टम को दुरुस्त कर जल संग्रहण और सदुपयोग पर बल दिया | कार्यक्रम के अंत में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार द्वारा विकसित धान की तीन प्रजातियों का 2 किलो बीज प्रति किसान भी वितरण किया गया | भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग के वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. विकाश सरकार, डॉ. पी. के सुन्दरम, डॉ. अकरम अहमद, डॉ. पवनजीत, डॉ. रचना दूबे एवं डॉ. सोनका घोष ने कार्यक्रम के सफल आयोजन में अभूतपूर्व योगदान दिया | इस कार्यक्रम में संस्थान के सभी प्रभागों के प्रमुख, वैज्ञानिकगण, अधिकारी एवं कर्मचारीगण एवं लगभग 50 किसान मौजूद थे | कार्यक्रम में मंच का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिवानी, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा किया गया |
पटना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में हर्षोल्लास के साथ विश्व जल दिवस मनाया गया | संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का श्री गणेश किया | डॉ. दास ने बताया कि वर्ष 1993 से दुनियाभर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है | इसका उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है एवं जल संरक्षण के महत्व पर भी सभी का ध्यान केंद्रित करना है । उन्होंने बताया कि हर साल विश्व जल दिवस के मौके पर एक थीम निर्धारित की जाती है और उसी पर केंद्रित होकर कार्य किया जाता है। वर्ष 2023 में विश्व जल दिवस की थीम “जल और स्वच्छता संकट समाधान हेतु त्वरित परिवर्तन” है ।
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