- जन सुराज पदयात्रा: 166वां दिन, जन सुराज के पार्टी बनने को लेकर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान, बोले चुनाव लड़ाने और जीताने की जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ दीजिए
बिहार को बदलने के लिए सब लोग मिलकर दल बनाइए, चुनाव लड़ाने और जीताने की जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ दीजिए
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पदयात्रा के दौरान मिलने वाले लोग मुझ से पूछते हैं कि आप दल कैसे बनाएंगे तो मैं उनको बताता हूं कि पदयात्रा करने का एक उद्देश्य है जैसे दही को मथ कर उसमें से मक्खन निकलता है उसी प्रकार गाँव, शहर, कस्बा और देहात में से मथ के सही व्यक्ति को निकालना है। जब पदयात्रा पूरी होगी तब सब एक साथ बैठेंगे जो बिहार को बदलने के लिए काम करना चाहते हैं और वो चाहते है की दल बने तो दल बनेगा। अगर दल बनेगा तो वो दल प्रशांत किशोर का नहीं होगा और न ही किसी जाति, व्यक्ति या किसी परिवार का होगा। वो दल होना चाहिए बिहार के उन लोगों का जो चाहते है दल बने। इन सब बातों को सुनकर जनता कहती है कि ये सब बात तो ठीक है लेकिन चुनाव कैसे जीता जाएगा? हमारे पास चुनाव जीतने की कोई समझ नहीं है, साधन नहीं है और ना ही कोई व्यवस्था है। उन्होंने जनता से कहा कि आप साधन की, व्यवस्था की, पैसे की और संसाधन की इन सब की चिंता आप अपने भाई, अपने बेटे प्रशांत किशोर पर छोड़ दीजिए और अपने बच्चों के लिए खड़े हो जाइए।
बिहार में गरीबी का बड़ा कारण है प्रति व्यक्ति आय का सिर्फ 35 हजार होना, देश में लोगों की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 45 हजार है
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण के जलालपुर में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में 100 में से 5 ही आदमी ऐसा है जो आमदनी के लिए खेती करता है। आपके पास न तो शिक्षा है, न ही खेती है और न ही पूंजी है। अगर आपके पास पूंजी होती तो आप 4 भैंस खरीद कर दूध बेच सकते थे। 50-100 मुर्गी पाल सकते हैं, कोई रेडीमेड की दुकान खोल सकता है, कोई टैंपो खरीदकर उसको चला सकता है। लेकिन बिहार में एक आदमी एक साल में औसतन 35 हजार रुपये कमाता है और पूरे देश की प्रति व्यक्ति औसत आय 1 लाख 35 हजार है। बिहार में जब खाने को ही नहीं बच रहा है तो पूंजी कहा से बचेगी। सरकार भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कर रही है कि यदि आपके पास पैसा नहीं है तो आपको बैंक से कर्ज मिल सके। अगर सरकार ऐसी व्यवस्था कर सके तो उससे भी कोई व्यापार शुरू किया जा सकता है। जब बिहार में शिक्षा व्यवस्था है ही नहीं, खेती से कोई लाभ हो नहीं रहा है और रोजी रोजगार की व्यवस्था भी नहीं है तो बिहार गरीबी से बाहर कैसे निकलेगा।
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