बिहार : पुलिस थानों का रेट शराब पकड़े जाने की संख्या के हिसाब से तय होता है : प्रशांत किशोर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 23 मार्च 2023

बिहार : पुलिस थानों का रेट शराब पकड़े जाने की संख्या के हिसाब से तय होता है : प्रशांत किशोर

  • जन सुराज पदयात्रा: 173वां दिन

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इशुआपुर, सारण, जन सुराज पदयात्रा के 173वें दिन की शुरुआत सारण के इसुआपुर प्रखंड अंतर्गत केरवा पंचायत स्थित मध्य विद्यालय में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय पत्रकारों के साथ मीडिया संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लिया और सैकड़ों पदयात्रियों के साथ केरवा पंचायत से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा छपियां, तरैया, चैनपुर होते हुए तरैया प्रखंड अंतर्गत तरैया पंचायत के चीनी मिल मैदान में जन सुराज पदयात्रा शिविर में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। आज प्रशांत किशोर सारण के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए। उनकी स्थानीय समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की बात कही। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर 4 आमसभाओं को संबोधित किया और 4 पंचायत के 7 गांवों से गुजरते हुए 10.5 किमी की पदयात्रा तय की।


बिहार में पुलिस थानों का रेट शराब पकड़े जाने की संख्या के हिसाब से तय है

जन सुराज पदयात्रा के दौरान इशुआपुर में बिहार में लागू शराबबंदी शराब पर बोलते हुए हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि आज बिहार में शराबबंदी पर बात करना बेमानी है क्योंकि शराब की दुकानें बंद है लेकिन घर पर डिलीवरी हो रही है। बिहार के लोगों ने भी इस बात को सत्य मान लिया है। आज एक बड़ा माफिया तंत्र बिहार में सक्रिय है, जो शराब के धंधे में लिप्त है। जो शराब लेकर आता है, बेचता है और पैसे कमाता है। बिहार पुलिस और सरकारी अधिकारियों का एक बड़ा हिस्सा अपना सारा काम छोड़कर शराबबंदी को लागू करने और उससे पैसे कमाने में लगा हुआ है। पुलिस थानों के लिए कहा जाता है कि थानों का रेट इस बात पर निर्भर करता है कि उस थाना क्षेत्र में कितनी शराब मिलती और बिकती है। इसलिए शराबबंदी पर आज बात करने का कोई मतलब नहीं बनता है।


जन सुराज के माध्यम से 10 साल के भीतर बिहार की परिस्थितियों को बदलकर देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में शामिल कराने की योजना बना रहे हैं

जन सुराज अभियान के उद्देश्य पर बात करते हुए मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य है कि आने वाले 10 सालों में बिहार को देश के 10 अग्रणी राज्यों में शामिल कराना। इसके लिए शिक्षा के क्षेत्र में, रोजगार के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में सुधार की एक योजना बनाई जाए ताकि बिहार में सुधार हो सके। बिहार के विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए अगले 10 सालों की एक योजना बनाई जा रही है।  योजना किसी कार्यालय में बैठकर नहीं बन रही है, योजना को बनाने के लिए गाँव-गाँव जाकर लोगों से उनकी समस्या सुनकर उनके सुझाव को लेकर योजना बना रहे हैं, ताकि समाज में लोगों को समझ हो कि वो वोट अपनी समस्या और अपने बच्चों के भविष्य पर वोट दे सकें। जिनको वोट दें वो समाज के सही लोग हो और उन लोगों के पास बिहार को सुधारने और अग्रणी बनाने की एक योजना हो। इन्हीं तीनों चीजों को जोड़ने का प्रयास हम पदयात्रा के माध्यम से कर रहें हैं।


बिहार के किसानों की तीन सबसे बड़ी समस्या - भूमि सुधार कानून का लागू नहीं होना, समर्थन मूल्य नहीं मिलना और उचित जल प्रबंधन का नहीं होना

जन सुराज पदयात्रा शिविर में पत्रकार वार्ता के दौरान किसानों की तीन सबसे बड़ी समस्यायों पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में जल प्रबंधन बड़ी समस्या है। बिहार में 50 प्रतिशत खेती योग्य भूमि बाढ़ से प्रभावित हैं और उतनी ही भूमि सूखे से ग्रसित है। ये समस्या दिखाती है कि बिहार में जल प्रबंधन पूरी तरह से विफल है। देश में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पिछले 10 साल में 11 प्रतिशत सिंचित भूमि कम हो गई है। इसके बाद दूसरी बड़ी समस्या है भूमि सुधार कानून का लागू न होना। देश में सबसे ज्यादा भूमिहीन लोग बिहार में ही हैं। बिहार में 100 में से 60 आदमी के पास बिल्कुल भी जमीन नहीं है। बाकी 40 में से 35 आदमी ऐसे हैं जिनके पास 2 बीघा से कम जमीन है। इस हिसाब से बिहार में 100 में से 95 लोग पेट भरने के लिए खेती करते हैं, कमाने वाली खेती नहीं करते। तीसरी बड़ी वजह है किसानों को उनके फसलों का समर्थन मूल्य नहीं मिल पाना। किसानों से बात करने पर 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने धान को 1200 से 1500 प्रति क्विंटल की दर से बेचा है, जबकि धान का सरकारी समर्थन मूल्य  2050 रुपया है। बिहार में किसानों को इन 3 बड़ी समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है।

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