जायसवाल सहित वैश्य समाज की राजनीतिक उपेक्षा बर्दाश्त नहीं : मनोज जायसवाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 9 अप्रैल 2023

जायसवाल सहित वैश्य समाज की राजनीतिक उपेक्षा बर्दाश्त नहीं : मनोज जायसवाल

  • राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद व लोकसभा में आबादी के अनुपात में राजनीतिक भागीदारी नगण्य

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वाराणसी (सुरेश गांधी) राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद व लोकसभा में जायसवाल सहित पूरे वैश्य समाज की लगातार उपेक्षा की जा रही है। जायसवाल, कलवार, कलाल, ब्याहुत, गुप्ता, शिवहरे, अहलूवालिया, चौधरी, चौकसी, नेवाड़ा, गुलहरे, बाटम, सुहालका, वालिया सहित पूरे वैश्य समाज को आबादी के अनुपात में राजनीतिक भागदारी नहीं है। ताज्जुब है राजस्थान, कर्नाटक व बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तराखंड व पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में वैश्य समाज की बड़ी आबादी होने के बाद भी उन्हें राजनीतिक हक नहीं मिल रहा है। यह बातें जायसवाल क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने कहीं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए मनोज जायसवाल ने कहा कि देशभर में फैले 40 करोड़ से भी अधिक वैश्य समाज है। लेकिन इतनी बड़ी संख्या बल के बावजूद इनके वैधानिक अधिकारों में सेंधमारी की जा रही है। ऐसे में अब और उपेक्षा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। खासकर बीजेपी द्वारा जिसे वैश्य समाज का बड़ी आबादी उससे जुड़ी है और वह सिर्फ वोटबैंक ही समझती है। मनोज जायसवाल ने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित पूरे देश में जायसवाल क्लब अपनी राजनीतिक भागीदारी व हिस्सेदारी के लिए अभियान चला रही है। यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक उसे अपना हक नहीं मिल जाता। मनोज जायसवाल ने समाज के लोगों से राजनीति के क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए जागरूक होने का आह्वान करते हुए कहा कि यूपी में 403 विधानसभा में से 110 सीटें ऐसी हैं, जिनमें वैश्य समाज की बाहुल्यता है। इन विधान सभाओं में वैश्य समाज की आबादी 60 से 80 हजार के बीच है। इसके बाद भी समाज को आबादी के हिसाब से ना ही टिकट नहीं दी जाती और ना ही एमएलसी मनोनीत किया जाता है। कुछ ऐसा ही राजस्थान व, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार व तमिलनाडू में भी है। अफसोस है राजस्थान जैसे राज्य में समाज के लोगों की विधानसभा व राज्यसभा में भागदारी शून्य है। हालांकि इसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं। समाज के लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। मनोज जायसवाल ने कहा कि देश में 40 करोड़ की आबादी वाला वैश्य समाज राजनीति में किसी को भी जीरो से हीरो बनाने की क्षमता रखता है। ऐसे में हार जीत की चिंता किए बिना चुनौती स्वीकारें और राजनीति में भागीदारी बढ़ाएं। भाजपा का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि निकाय चुनावों में यदि पार्टियां उनकी आबादी के अनुपात में प्रत्याशी न उतारे तो उनके खिलाफ वोटिंग करें। उन्होंने कहा कि भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनना है, तो वैश्य समाज को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज में भी ठेला चलाकर और कपड़ा सिलकर पेट भरने वाले लोग हैं। ऐसे वर्ग को आरक्षण दिलाने के लिए वैश्य समाज चुनावों में वोट का बहिष्कार करने पर विचार करेगा। मनोज जायसवाल ने बिना लाग लपेट के कहा कि समाज की उपेक्षा कर अब कोई राजनीतिक दल राजनीति नहीं कर सकता। समाज के लोग अब अपनी ताकत समझ चुके हैं। हमलोग समाज हक और अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने लोगों में जोश भरते हुए कहा कि जब तक हम हक और अधिकार नहीं ले लेते तब तक पीछे हटने का प्रश्न ही नहीं है। उन्होंने कहा कि जायसवाल क्लब समाज के कुलदेवता राजराजेश्वर भगवान सहस्त्राबाहुजी महराज व श्रद्धेय डॉ काशी प्रसाद जायसवाल की प्रतिमा हर शहर, हर जिला मुख्यालयों पर लगवाने के साथ ही काशी प्रसाद जायसवाल को भारत रत्न दिलाने के लिए संकल्पित है। साथ ही समाज के उन महान हस्तियों जिन्होंने इस देश की सेवा में प्रमुख स्थान बनाया है, जैसे श्रीनारायण गुरु-केरला, श्रीकामराज नाडार-तमिलनाडू, डॉ राजकुमार-कर्नाटक, श्री गोठू लाछन्ना-आंध्र प्रदेश, श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया-पंजाब, श्री शिव नाडार-एचसीएल, श्री गोपाल-सह कार्यकारी इंफोसिस, डॉ गोरख प्रसाद जायसवाल-यूपी, राय बहादुर डॉ हीरालाल राय-एमपी, श्री शिबूलाल-मुख्य कार्यकारी एवं प्रबंध निदेशक इंफोसिस सहित अन्य विभूतियों की पहचान कर उन्हें समाज एवं देश में उचित स्थान दिलाने के लिए प्रयास करेंगा।  इसके अलावा समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा एक-दूसरे के सहयोग के लिए तैयार करना है। इसके लिए समाज निर्माण और विकास के लिए हर व्यक्ति को आगे आना होगा। इस मौके पर कैलाश चौधरी, रामेश्वर दयाल, सूर्य प्रकाश सुहालका, हरीश कलाल,  राणा जायसवाल, सुरेश गांधी, स्वीटी जायसवाल, रश्मि जायसवाल आदि मौजूद थे।

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