बिहार : टाडाबंदियों को रिहा नहीं करने पर माले ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

बिहार : टाडाबंदियों को रिहा नहीं करने पर माले ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

  • कल 28 अप्रैल को गांधी मैदान में सांकेतिक धरना देंगे माले विधायक


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पटना 27 अप्रैल, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने टाडाबंदियों की रिहाई नहीं किए जाने पर आज बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है और इस मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की अपनी मांग फिर से दुहराई है. कैदियों की रिहाई में बरती गई अपारदर्शिता के खिलाफ टाडाबंदियों की रिहाई की मांग पर कल 28 अप्रैल को गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के समक्ष भाकपा-माले के विधायक एक दिन का सांकेतिक धरना देकर अपना विरोध दर्ज करेंगे. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि बिहार सरकार ने हाल ही में 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया, लेकिन यह रिहाई सिर्फ चुनिंदा लोगों की हुई है. जिसके कारण आम जनमानस में कई प्रकार के संदेह उत्पन्न हो रहे हैं. हमारी पार्टी के विधायकों ने अरवल के भदासी कांड के टाडाबंदियों की रिहाई के सवाल पर विगत दिनों मुख्यमंत्री से दो-दो बार मुलाकात की थी. विदित हो कि 1988 की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 14 निर्दोष लोगों को फंसा दिया गया था और उनके ऊपर जनविरोधी टाडा ऐक्ट उस वक्त लगाया गया जब वह पूरे देश में निरस्त हो चुका था. फिर 2003 में सभी को आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी गई. 14 टाडाबंदियों में अबतक 6 की मौत जेल में ही हो चुकी है. एक टाडाबंदी त्रिभुवन शर्मा को 2020 में पटना उच्च न्यायालय के आदेश से रिहा भी किया जा चुका है, लेकिन शेष 6 टाडाबंदी - जगदीश यादव, चुरामन भगत, अरविंद चैधरी, अजित साव, श्याम साव और लक्ष्मण साव अब भी जेल में ही हैं. इन टाडाबंदियों ने 22 साल से अधिक की सजा काट ली है. सबके सब बूढ़े व बीमार हैं और इसकी प्रबल संभावना है कि उसमें कुछ और मौतें हो जाए. 6 में तीन फिलहाल हाॅस्पीटल में भर्ती हैं. सवाल यह है कि जब सरकार 14 साल की सजा वाले कैदियों को छोड़ सकती है तो 22 साल वाले कैदियों को क्यों नहीं? उन्होंने मुख्यमंत्री से रिहाई के आदेश को पारदर्शी बनाने तथा 22 साल से जेल में बंद टाडाबंदियों की रिहाई के सवाल पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और उनकी रिहाई की मांग दुहराई है.

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