- इस कदम से अवैध धन की आवाजाही पर नकेल कसेगा, 500 रुपये या उससे कम मूल्यवर्ग के नोटों में लेन-देन करने के आदी हो चुके लोगों के लिए अब 1000 नोट की जरुरत नहीं
- ज्यादा नोट रखने वाले लोग उन्हें बैंक खातों में जमा करने के बजाय खरीदारी करना चाहेंगे, जनता को इसे नोटबंदी की तरह नहीं देखना चाहिए
![2000-note-unvalid](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhRgFhPM94uM3mxKKQN407yUYfhI1yUL-yANA9ckQi2RtmVOoyWBQzmQXcPBzL-g6tlgYpAp9QMsEMazRXhISI4rsbYhOaMPuk0jZ1JUrj-SmnG0wlj_dY-6q8iMkjNdorPT7fLJcEwuza95r6gzlyHEOsVfxVE8HlJW3Y3Qz1I8qXhEqMeRwOnPP_coA/w320-h240/arthist%20vjay%20shashtri.jpg)
वाराणसी (सुरेश गांधी) देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री विजय मंत्री ने कहा कि आम चुनाव से पहले दो हजार के नोट को बदला जाना साहसिक एवं बुद्धिमानी भरा फैसला है. इस कदम के पीछे संभावित मकसद अवैध धन की आवाजाही को और मुश्किल बनाना है। उन्होंने कहा कि जो लोग इन नोटों को मूल्य के भंडार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ सकता है. इस वापसी से कोई बड़ा व्यवधान पैदा नहीं होगा, क्योंकि कम मूल्यवर्ग के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. साथ ही पिछले 6-7 सालों में डिजिटल लेनदेन और ई-कॉमर्स का दायरा काफी बढ़ा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बाजार में चल रहे 2000 रुपये के नोटों का मूल्य 3.62 लाख करोड़ रुपये है. यह प्रचलन में मुद्रा का लगभग 10.8 फीसदी है. 2,000 रुपये के करेंसी नोट वर्तमान में जनता के हाथों में केवल 10.8 प्रतिशत नकदी का प्रतिनिधित्व करते हैं और संभवतः इसका अधिकांश हिस्सा अवैध लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आरबीआई ने जनता को 30 सितंबर से पहले 2000 के नोट बैंकों में जमा करने या बदलने की सुविधा दी है. हालांकि ज्यादा नोट रखने वाले लोग उन्हें बैंक खातों में जमा करने के बजाय खरीदारी करना चाहेंगे. ऐसे में खरीदारी में कुछ तेजी आ सकती है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जनता को इसे नोटबंदी की तरह नहीं देखना चाहिए. इसका अर्थव्यवस्था पर कोई ’प्रत्यक्ष प्रभाव’ नहीं होगा क्योंकि लौटाए गए ऐसे किसी भी नोट को या तो कम मूल्यवर्ग के नोटों में नकद या जमा राशि से बदल दिया जाएगा। क्या 1,000 रुपये के नोटों की जरूरत है, के सवाल पर उन्होंने कहा, ’अभी तक, मुझे 1,000 रुपये के नोट जारी करने की आवश्यकता नहीं दिख रही है क्योंकि नागरिक 500 रुपये या उससे कम मूल्यवर्ग के नोटों में लेन-देन करने के आदी हो गए हैं।’ उन्होंने बताया कि 2021 में अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 70,000 अमेरिकी डॉलर थी और इसका उच्चतम मूल्यवर्ग नोट 100 अमेरिकी डॉलर है। यह प्रति व्यक्ति आय का अनुपात 700 के उच्चतम मूल्यवर्ग के नोट को देता है। भारत में, 2021 में प्रति व्यक्ति आय लगभग रु। 1,70,000। “अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय और उच्चतम मूल्यवर्ग के नोट के समान अनुपात के लिए, हमारे उच्चतम मूल्यवर्ग का नोट 243 रुपये होना चाहिए। इसलिए, उच्चतम मूल्यवर्ग के नोट के रूप में 500 रुपये का नोट हमारे लिए सही प्रतीत होगा, जिसे देखते हुए कि हम अभी भी अमेरिका की तुलना में अधिक नकदी वाली अर्थव्यवस्था हैं,“ सीनियर चाटर्ड एकाउंटेंट एके ठकुराल ने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में डिजिटल भुगतान बढ़ने की वजह 2000 का नोट वापस लेने से कुल प्रचलित मुद्रा पर कोई खास असर नहीं आएगा. इसलिए इसका मौद्रिक नीति पर भी कोई प्रभाव नहीं होगा. उन्होंने कहा, न तो यह भारत की आर्थिक और वित्तीय प्रणाली पर कोई असर डालेगा और न ही सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि या जनकल्याण पर कोई प्रभाव पड़ने वाला है. उन्होंने कहा कि अगर कुल मुद्रा के संदर्भ में बात करें तो अगले तीन सालों में कुल लेन-देन में डिजिटल लेन-देन की हिस्सेदारी बढ़कर 65 फीसदी तक पहुंच जाएगी.
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