शिवलिंग या फ़व्वारा, अब होगा निपटारा, 22 को होगी सुनवाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 16 मई 2023

शिवलिंग या फ़व्वारा, अब होगा निपटारा, 22 को होगी सुनवाई

  • श्रीराम मंदिर की तर्ज ज्ञानवापी परिसर का होगा एएसआई सर्वे, कोर्ट ने याचिका मंजूर की
  • न्यायाधीश एके विश्वेश ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को 19 मई तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है
  • कोर्ट में एएसआई ने दावा किया है कि बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे किया जा सकता है

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वाराणसी (सुरेश गांधी) काशी विश्वनाथ मंदिर का कभी हिस्सा रहा ज्ञानवापी एकबार फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को इस मामले में पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कराने की मांग के लिए जिला न्यायालय में एक याचिका दायर की गई. हिंदू पक्षकारों के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर याचिकाको स्वीकार करते हुए जिला न्यायालय के न्यायाधीश एके विश्वेश ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को 19 मई तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने मामले में अगलीसुनवाई 22 मई को तय की है. साइंटिफिक सर्वे कब होगा और कैसे ये डिस्ट्रिक्ट जज तय करेंगे. एएसआई की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया था. कोर्ट में एएसआई ने दावा किया है कि बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे किया जा सकता है. मतलब साफ है शिवलिंग या फ़व्वारा, अब इसका निपटारा होगा। शिव ही शाश्वत हैं, शिव ही सत्य हैं.. और अब महादेव स्वयं देश में क़रीब 352 साल पुराने ज्ञानवापी विवाद का भी सत्य बताने जा रहे हैं। वहीं, मुस्लिम पक्षकारों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। मुस्लिम पक्षकारों की ओर से 19 मई को याचिका दायर की जाएगी। इसमें एएसआई सर्वे का विरोध किए जाने की बात कही गई।


बता दें, भगवान शिव में आस्था रखने वाले देश के करोड़ों हिंदुओं और ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग को फव्वारा बताने वालों के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये विवाद सुलझने का रास्ता साफ़ कर दिया है। वाराणसी कोर्ट का फ़ैसला पलटते हुए वज़ुखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने और साइंटिफिक सर्वे के आदेश दिए हैं। या यूं कहे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर शिवलिंग होने का दावा करने वाले ढांचे की आयु का निर्धारण करने का आदेश दिया. इस मामले में वाराणसी जिला न्यायालय के 14 अक्टूबर के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद के न्यायालय द्वारा अनिवार्य सर्वेक्षण के दौरान मिली संरचना की कार्बन डेटिंग सहित वैज्ञानिक जांच की याचिका खारिज कर दी गई थी. हाई कोर्ट ने वाराणसी के जिला न्यायाधीश को ’शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हिंदू उपासकों के आवेदन पर कानून के अनुसार आगे बढ़ने का निर्देश दिया है. खास यह है कि परिसर में मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया है. कैविएट के जरिए हिंन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि अगर दूसरा पक्ष हाईकोर्ट केफैसले को चुनौती देता है तो उसके पक्ष को सुने बिना कोई आदेश पारित ना किया जाए. शिवलिंग के कार्बन डेटिंग किए जाने का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था.


पूरे ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग

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वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग से संबंधित याचिका दायर की गई। हिंदूवादी महिलाओं और वकील विष्णु जैन की ओर से जिला अदालत में पूरे परिसर की एएसआई से सर्वे कराने की मांग की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि पूरे परिसर का सर्वे हो। कोर्ट का यह फैसला ज्ञानवापी परिसर के एडवोकेट कमिश्नर सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग के ठीक एक साल बाद आया है। 16 मई 2022 को ज्ञानवापी परिसर के एडवोकेट कमिश्नर सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में कथित शिवलिंग मिला था। हिंदू पक्षकारों का दावा है कि इस शिवलिंग के नीचे असली आदि विश्वनाथ का शिवलिंग विराजमान है। अगर कोर्ट सर्वे का आदेश देती है तो निश्चित तौर पर इस पूरे परिसर का सर्वे होगा। इससे कई चीजों के सामने आने की बात कही जा रही है। वकील विष्णु जैन ने कहा कि कोर्ट ने संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे की याचिका को मंजूर कर लिया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने हमारी याचिका को स्वीकार करते हुए एएसआई सर्वे की बात कही है। इस संबंध में मुस्लिम पक्षकारों को अपना पक्ष रखने के लिए 19 तारीख तक का समय दिया गया है। 19 मई को मुस्लिम पक्षकार की ओर से आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद 22 मई को कोर्ट की अगली सुनवाई में इस पर अहम निर्णय आ सकता है। विष्णु जैन ने कहा कि हमारा केस बहुत मजबूत है। वकील ने कहा कि नियमों के अनुसार, किसी भी केस में कोर्ट वैज्ञानिक अप्रूवल को मंजूरी दी जाती है। एविडेंस एक्ट भी साइंटिफिक एविडेंस की बात करता है। उन्होंने कहा कि बिना आधिकारिक एविडेंस के इस केस का फैसला नहीं हो सकता है। इस केस में एएसआई की जांच बहुत महत्वपूर्ण है। एएसआई जांच से इस परिसर का सही कैरेक्टर सामने आएगा। इसलिए हमने कोर्ट से एएसआई जांच की मांग की है।


वादियों के साथ विष्णु जैन ने किया दर्शन-पूजन

मंगलवार सुबह विष्णु जैन के साथ 4 वादियों ने काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन किए। विष्णु जैन ने कहा कि केवल शिवलिंग वाली आकृति ही नहीं, बल्कि पूरे परिसर की साइंटिफिक जांच होगी, तो एक-एक सच्चाई बाहर निकलकर आएगी। भगवान आदि विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर कब मस्जिद बनाई गई, तीन गुंबद के नीचे मंदिर के शिखर हैं और वेस्टर्न वाल की आदि जांच हो। पूरा परिसर हिंदू मंदिर का है। विष्णु जैन ने कहा कि केवल शिवलिंग वाली आकृति ही नहीं, बल्कि पूरे परिसर की साइंटिफिक जांच होगी। मस्जिद के वेस्टर्न वाल के जांच की मांग कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने ऑर्डर कर दिया है कि जब शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे किया जा सकता है तो फिर पूरे परिसर का भी सर्वे कराया जा सकता है। कोर्ट में यह याचिका चारो वादिनी महिलाओं, महंत शिव प्रसाद पांडेय और राम प्रसाद सिंह की ओर से दाखिल किया गया है।


सर्वे में कुछ मिला तो होगी खुदाई

हिंदू पक्ष के साथ श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने पहुंचे विष्णु जैन ने कहा कि यदि ज्ञानवापी के पूरे परिसर में एएसआई सर्वे के बाद कोई विवादित स्थल के नीचे कोई चीजें मिलती हैं तो फिर खुदाई का आदेश दिया जाएं। हमने बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन करके यह मांग की है कि पूरा परिसर गैर-कानूनी कब्जे से मुक्त हो। हमने आज नंदी के बगल से आदि विश्वेश्वर महादेव की पूजा की है। विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि ज्ञानवापी को आदि विश्वेश्वर का मंदिर प्रूफ करने के लिए उन्हें कुछ सवालों का जवाब चाहिए। वैज्ञानिक ढंग से इन सवालों के जवाब कार्बन डेटिंग और एएसआई सर्वे से ही मिल सकेंगे। इसलिए कोर्ट में आज याचिका दायर की गयी है। उनका सवाल है कि मंदिर को धवस्त करके उसके ऊपर तीन गुंबद कब बनाए गए। ये तीनों कथित गुंबद का इतिहास क्या है? विवादित स्थल के जमीन के नीचे कौन सा सच छुपा हुआ है? ज्ञानवापी के वजूखाने में मिला कथित शिवलिंग स्वयंभू है या कहीं से लाकर यहां पर प्राण प्रतिष्ठा कराया गया है? शिवलिंग कितना पुराना है? इसका जवाब सर्वे बाद ही आ पायेगा। उन्होंने कहा कि सनातन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोग यह चाहते हैं कि हमारे आराध्य आदि विश्वेश्वर से जुड़ा ज्ञानवापी का सच सामने आए। अब हम कानूनी तरीके से कलम के सहारे शांतिपूर्ण ढंग से अपने धर्मस्थलों की वास्तविकता को सामने ला रहे हैं। अधिवक्ता ने कहा कि अनादि काल से हमारी आस्था के केंद्र रहे हमारे धर्मस्थलों को विदेशी आक्रांताओं ने तलवार के बल पर उजाड़ा था। अब हम कानूनी तरीके से कलम के सहारे शांतिपूर्ण ढंग से अपने धर्मस्थलों की वास्तविकता को सामने ला रहे हैं। पूरा विश्वास है कि हमारे अकाट्य तथ्यों और साक्ष्य के आधार पर अदालत हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगी। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि देश की जनता को ज्ञानवापी से जुड़े इन सवालों के जवाब मिलने जरूरी हैं। अधिवक्ता के मुताबिक, याचिका राम प्रसाद सिंह, महंत शिव प्रसाद पांडेय, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से दाखिल की गयी है। चारों महिलाएं पहले से ही ज्ञानवापी के मां श्रृंगार गौरी केस की वादिनी हैं।

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