- होमियोपैथी वेलनेस के साथ हैप्पीनेस भी प्रदान करता है
- होमियोपैथी को भी सरकार से यदि एलोपथी जैसी ही फन्डिंग मिले तो इसमें भी रिसर्च और इनोवैशन से काफी कारगर निदान संभव है
- होमियो इलाज को भी इंस्योरेंस कंपनियों से कवरेज मिलना चाहिए
- सभी पैथी पूरक के रूप में एक दूसरे का सहयोग कर सकती हैं। किसी पैथी की सीमा का विस्तार अन्य पैथी से सहयोग एवं सहायता लेकर की जा सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि मेडिकल टेररिज़्म शब्द सबने सुना है। इस शब्द और एलोपैथी के अतिवाद से सभी परिचित हैं। एलोपैथी ने अपनी सीमा लांघ दी है। कोविड काल में इसका प्रमाण मिला और उसी काल में लोग होमियो दवा खाकर स्वस्थ हुए और इम्युनिटी अर्जित की। यह महज मिथक है कि ये बच्चों की मेडिसिन है, मीठी गोली से कैसे बीमारी ठीक होगी, बीमारी ठीक होने में इसमें काफी समय लगता है आदि। बल्कि सच्चाई यह है कि होमियोपैथिक एक समग्र उपचार प्रदान करता है और इसमें सभी उम्र मरीजों का कस्टमाइज उपचार होता है। यदि मानसिक रूप से परेशान कोई व्यक्ति होमियो पैथ में अपना उपचार कराए तो उसे बहुत लाभ मिलेगा। टांसिल बढ़ने या दर्द की बात पर माता-पिता सर्जरी करा देते हैं, लेकिन इससे चेस्ट इन्फेक्शन जैसी बीमारी का रास्ता तैयार हो जाता है। इसी तरह पाइल्स, चर्मरोग और टाइम ऑफ मैरेज की समस्या का इलाज भी होमियो में है। जिस मीठी गोली को नकारा जाता है उसकी मारकता और सटिकता एटम बम से कम नहीं। अक्सर मरीज जब सभी जगह से थक-हार जाते हैं तब होमियोपैथ में आते हैं, उन्हें पहले आने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार से यदि एलोपथी जैसी ही फन्डिंग मिले तो इसमें भी रिसर्च और इनोवैशन से काफी कारगर निदान संभव है। एलोपैथी इलाज को इंस्युरेन्स कंपनी कवर करती है। होमियो इलाज को भी कवरेज मिलना चाहिए। सबसे बड़ी बात, हम वेलनेस के साथ हैप्पीनेस भी प्रदान करते हैं। सत्र के संचालक डॉ. पंकज अग्रवाल ने कहा कि हिन्दी के शब्द ‘स्वास्थ्य’ को लोग इंग्लिश के ‘हेल्थ’ तक सीमित समझते हैं लेकिन यह एक व्यापक शब्द है। स्वस्थ मनुष्य की परिभाषा किसी पैथी में नहीं। इसकी सटीक परिभाषा आयुर्वेद में है जो उपवेद है अथर्ववेद का। मानव शरीर का पूर्णरूप से काम करना ही किसी का स्वास्थ्य निर्धारित करता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें