- प्रख्यात सबाल्टर्न इतिहासकार प्रो. रंजीत गुहा की स्मृति में सेमिनार का आयोजन
- सांप्रदायिकता और इतिहास लेखन विषय पर आयोजित सेमिनार में बुद्धिजीवियों-छात्रों की भागीदारी
पटना 3 जून, जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना और एआइपीएफ की ओर से आज 3 जून को संस्थान में सांप्रदायिक दृष्टिकोण और इतिहास लेखन विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. परिचर्चा में बिहार के जाने माने इतिहासकार प्रो. ओपी जायसवाल, प्रो. इम्तियाज अहमद, प्रो. भारती एस कुमार सहित कई शिक्षक, छात्र व नागरिक समुदाय के लोग शामिल हुए. विदित हो यह कि यह परिचर्चा प्रख्यात सबाल्टर्न इतिहासकार रंजीत गुहा की स्मृति में आयोजित किया गया था, जिनका निधन विगत 28 अप्रैल को हो गया था. विषय पर बोलते हुए प्रो. ओपी जायसवाल ने कहा कि आज जो ताकतें सत्ता में बैठी हैं, वे अपनी राजनीतिक जरूरतों के हिसाब से इतिहास के पाठ्यक्रम को संयोजित करवा रही हैं. उन्होंने कहा कि न केवल मुगल काल का इतिहास हटाया जा रहा है बल्कि गांधी व डॉ. अंबेडकर के विचारों को भी हटाया जा रहा है. आज अंधेरा गहरा है लेकिन सूरज जरूर निकलेगा. अंधविश्वास से भरी चीजों को इतिहास नहीं कहा जा सकता है. इसके नाम पर सत्ता लोगों को बेवकूफ बनाना चाहती है. प्रख्यात शिक्षक प्रो. इम्तियाज अहमद ने कहा कि आज इतिहास लिखा नहीं मनमाने ढंग से गढ़ा जा रहा है. सांप्रदायिक नजरिए से इतिहास लेखन औपनिवेशिक शासन की देन है. जो लोग आज सत्ता में हैं आजादी के आंदोलन में उनका कोई संघर्ष ही नहीं था, इसलिए वे इतिहास को तोड़-मरोड़ रहे हैं. मध्यकाल का इतिहास मेल-जोल व सांस्कृतिक समन्वय का इतिहास रहा है, ऐतिहासिक तथ्यों को हटाकर आज मिथक गढ़े जा रहे हैं. इतिहास लेखन का उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं हो सकता बल्कि वैज्ञानिकता स्थापित करना होता है. लेकिन इस तरह की विनाशकारी सोच बहुत आगे नहीं जाएगी. यह हिंदुस्तान के आम आदमी की सोच नहीं है. प्रो. भारती एस कुमार ने कहा कि जो चीज आज हम देख रहे हैं उसे बीज पहले ही बो दिए गए थे. कट्टरवादिता सामाजिक प्रगति में सबसे बड़ा बाधक है. यह इतिहास को दूषित करता है. मध्यकाल का योगदान प्रशंसनीय है. जबान-ए-हिन्द उसी दौर की देन है. 800 सालों का मध्यकाल का इतिहास इनके कहने भर से अंधकार का युग नहीं हो जाएगा. समकालीन लोकयुद्ध के संपादक मंडल के सदस्य कुमार परवेज ने सेमिनार का विषय प्रवेश किया. उन्होंने सल्टर्न इतिहासकार रंजीत गुहा को श्रद्धांजलि दी और इतिहास लेखन में उनकी ऐतिहासिक भूमिका पर रौशनी डाला. कार्यक्रम की अध्यक्षता केडी यादव ने किया तो संचालन एआइपीएफ के कमलेश शर्मा ने किया. मौके पर प्रो. संतोष कुमार, गालिब, पुष्पराज, मुसाफिर बैठा, सुधा वर्गीज, एआइपीएफ के संतोष आर्या, आइसा के विकास यादव, राजेश कमल सहित शहर के कई शिक्षक, छात्र व अन्य नागरिक उपस्थित थे. अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. नरेन्द्र पाठक ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें