विशेष : द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से मिल जाता है जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 13 जुलाई 2023

विशेष : द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से मिल जाता है जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति

पुराणों में कहा गया है, जब तक महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन आप नहीं कर लेते, आपका आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता. हिंदू मान्यता के अनुसार ज्योतिर्लिंग कोई सामान्य शिवलिंग नहीं है. कहते है कि इन सभी 12 जगहों पर भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए थे, तब जाकर वहां ये ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए. ज्योतिर्लिंग एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है ’रोशनी का प्रतीक’. वैसे भी भगवान शिव की साकार रूप में पूजा लिंग स्वरुप में सबसे ज्यादा होती है. जहां इस लिंग रूप में भगवान ज्योति के रूप में विद्यमान रहते हैं उसको ज्योतिर्लिंग कहते हैं. कुल मिलाकर भगवान शिव के द्वादश (बारह) ज्योतिर्लिंग हैं- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुश्मेश्वर. भगवान के अन्य लिंगों की पूजा की तुलना में ज्योतिर्लिंगों की पूजा करना अधिक उत्तम होता है. अगर... नित्य प्रातः केवल इन शिवलिंगों के नाम का स्मरण किया जाय तो माना जाता है कि इससे सात जन्मों के पाप तक धुल जाते हैं. अगर आप इन शिवलिंगों के दर्शन नहीं कर पाते तो इनकी प्रतिकृति ( चित्र) लगाकर पूजा करने से भी आपको अपार लाभ हो सकता है. इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंग की मैंने दर्शन पूजन उपरांत विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर है। प्रस्तुत है देश के 12 ज्योतिर्लिंग कहां-कहां हैं और उनकी क्या विशेषता है, के बाबत कुछ जरुरी जानकारियां :-


सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम्।।

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्।

सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने।।

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे।

हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये।।

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।

सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।।


Dwadash-jyotirling
भारत अध्यात्म एवं आस्था का देश हैं। भारतीय संस्कृति की सनातन धर्म एवं 33 कोटि देवी देवताओं में भगवान शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत माने गए हैं। मंदिरों के इस देश में कई ऐसे विशिष्ठ धाम एवं पवित्र तीर्थस्थल है जहां पर भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है। इन प्रमुख तीर्थों में भारत के चार धाम के साथ-साथ भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग भी शामिल हैं जहां दूर-दूर से लोग तीर्थ करने पहुंचते हैं। भगवान शिव का केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड चार धाम यात्रा का प्रमुख केंद्र भी है। लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है. पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं. यही कारण है कि इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. ज्योतिर्लिंग दो शब्दों से मिलकर बना है। धार्मिक मान्यताओं व ग्रथों के अनुसार शिव साक्षात रुप में एक दिव्य ज्योति के रूप में प्रकट हुये थे। ज्योतिर्लिंग का अर्थ प्रकाश स्तंभ होता है। ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति का रहस्य श्री शिव महापुराण में बताया गया है। श्री शिव महापुराण के अनुसार एक बार विष्णु जी और ब्रह्मा जी के बीच वर्चस्व को साबित करने के लिए युद्ध हो गया था, जिसका हल ढूंढने के लिए भगवान शिव ने एक योजना बनाई। भगवान शिव ने प्रकाश के एक विशाल स्तंभ से तीनों लोगों को छेद दिया था। इसके बाद भगवान शिव ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी को उस प्रकाश का अंत खोजने को कहा परंतु दोनों इस काम को करने में असफल रहे, विष्णु जी ने तो अपनी हार स्वीकार कर ली, परंतु ब्रह्म जी ने शिव जी से झूठ बोला की मुझे प्रकाश का अंत मिल गया है। जिसके बाद शिव जी ने नाराज हो कर ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया है, जो शिव जी ने प्रकाश के विशाल स्तंभ से जो छेद किया था उसे ज्योतिर्लिंग कहते है, और इसी से ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अपने पूरें जीवन में एक बार शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है तो वह सभी दोषों से मुक्त होकर मृत्यु पश्चात मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। सौभाग्यशाली लोग ही अपने जीवन में शिव के 12 ज्योतिलिंगों के दर्शन कर पाते हैं।


1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात

गुजरात के सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर स्थित है देश का पहला ज्योतिर्लिंग जिसे सोमनाथ के नाम से जाना जाता है. शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था तब इसी स्थान पर शिव जी की पूजा और तप करके चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाई थी. ऐसी मान्यता है कि स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी. कहते है देवताओं ने यहां पवित्र कुंड बनाया था जिसे सोमनाथ कुंड माना जाता है। इस कुंड में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। वह मृत्यु-जन्म के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। पुराणों के अनुसार इस मंदिर के सुनहरे का भाग का निर्माण चंद्रदेव ने किया और चांदी का भाग सूर्यदेव ने बनाया। चंदन के भाग को भगवान श्री कृष्ण ने बनवाया और पत्थर की संरचना को भीमदेव नामक राजा ने बनवाया। इस मंदिर पर महमूद गजनबी ने तकरीबन 16 बार आक्रमण किया और 16 बार इसे खंडित किया। लेकिन इसे फिर से वापस खड़ा किया गया।


2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग. इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. खास बात यह है कि इसके पास में एक शक्तिपीठ भी है, जो भारत में कुल 51 शक्तिपीठों में से एक है।


3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग. ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां रोजाना होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है. यहां प्रतिदिन 5000 से ज्यादा भक्त पूजा के लिए आते हैं। त्योहारों पर तो यहां 20,000 से 30,000 भक्तों का तांता लग जाता है और सावन में लाखों श्रद्धालु पहुंचते है।


4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मांधाता मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के शिवपुरी द्वीप में नर्मदा नदी के किनारे पर्वत पर स्थित है. इसे मंधाता पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं.ओंकारेश्वर मंदिर का नाम ओंकारेश्वर इसलिए पड़ा है क्योंकि यह ज्योतिर्लिंग के चारों और पहाड़ है और पहाड़ के चारों और जो नदी बहती है वह ओम का आकार बनाती है। इसलिए इसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। ओंकारेश्वर का अर्थ होता है ओम के आकार का ज्योतिर्लिंग।


5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है. यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का बद्रीनाथधाम मंदिर है. मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्फल है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में सबसे अधिक लोकप्रिय है। यहां पर विश्व भर से लाखों लोग भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग समुद्र तल से तकरीबन 3584 मीटर ऊंचा है। भगवान केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के चार धाम यात्रा का एक धाम भी है। माना जाता है कि केदारनाथ धाम की खोज पांडवों ने थी। वह अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए केदारनाथ धाम पहुंचे थे और मंदिर का निर्माण पांडवों ने ही सबसे पहले करवाया था। इसके बाद इसका पुनर्निर्माण आदिशंकराचार्य जी ने करवाया था। यह धाम अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। बर्फ से ढके हुए केदारनाथ की शोभा अद्भुत है।


6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, पूणे महाराष्ट्र

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किमी दूर डाकिनी में स्थित है. यहां स्थित शिवलिंग काफी मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है. कथा के मुताबिक यह मंदिर रामायण काल से जुड़ी हुई है। कहते है जब भगवान राम ने कुंभकरण का वध कर दिया था तब कुंभकरण की कर्कटी नामक पत्नी के पुत्र भीम को कर्कटी ने देवताओं से दूर रखने के लिए इसी जगह को चुना था। जब भीम को पता चला कि देवताओं ने उसके पिता का वध कर दिया तो उसने बदला लेने के लिए ब्रह्मा जी की तपस्या की और महान बलशाली होने का वरदान मांगा। इसी कारण उन्होंने कामरूपेक्ष्प नामक राजा को बंदी बनाकर काल कोठरी में डाल दिया। क्योंकि वह शिव जी के भक्त थे। भीम ने कहा कि तुम मेरी पूजा करो लेकिन कामरूपेक्ष्प ने ऐसा करने से मना कर दिया और भीम ने कामरूपेक्ष्प को मारने की कोशिश की। तभी भगवान शिव ने वहां प्रकट होकर भीम का वध कर दिया तभी देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे वही अपने ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करें। तब से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ गया।


7. बाबा विश्वनाथ धाम ज्योतिर्लिंग, वाराणसी उत्तर प्रदेश

मोक्ष की नगरी काशी में गंगा तट पर विराजमान है बाबा विश्वनाथ। कहते है कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था. मान्यता है कि सूर्य की पहली किरण काशी पर ही गिरी थी। इस मंदिर को कई बार तोड़ने की कोशिश की गई। औरंगजेब ने तो मंदिर तोड़ने के बाद यहां ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करा दिया था, जो आज भी मौजूद है। हालांकि इस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से भगवान काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का कॉरीडोर के रुप में भव्य निर्माण कराया गया है। हर साल मुख्यतः श्रावण मास में इस मंदिर में भक्तों की इतनी भीड़ लगती है कि उनकी गणना करना संभव नहीं है। पहली सोमवारको 6 लाख से ज्यादा ने अपना मत्था टेका था। इस समय बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग आज पूरी दुनिया के आकर्षण का केंद्र हैं। रोजाना हजारों लाखों पर्यटक इस मंदिर में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने आते हैं। घाटों का भव्य नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं है।


8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नासिक महाराष्ट्र

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 30 किमी दूर पश्चिम में स्थित है. गोदावरी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर काले पत्थरों से बना है. शिवपुराण में वर्णन है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए. त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ब्रम्हगिरी नामक एक पर्वत पर स्थित है। जहां से गोदावरी नदी शुरू होती है। त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, त्रंबकेश्वर के नाम से इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर तीन छोटे-छोटे लिंग हैं जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतीक भी माना जाता है।


9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, देवघर झारखंड

बाबा वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में है. कहा जाता है एक बार रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए. शिवपुराण में हुए वर्णन के अनुसार इसे भगवान शिव के इस पावन धाम को चिता भूमि कहा जाता है। भगवान वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को रावण की भक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग अपने भक्तों की कामनाओं को पूरा करने और उन्हें रोग मुक्त बनाने के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि एक बार रावण भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग लेकर इसी मार्ग से जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उसे लघुशंका लग गई जिसके कारण उसने वह शिवलिंग एक ग्वाले के हाथ में थमा दिया जिसने भारी-भरकम भार वहन से थक कर उस शिवलिंग को वहीं जमीन पर रख दिया और भगवान शिव यहां स्थापित हो गए। कहा जाता है कि एक बैजू नाम के ग्वाले की गाय रोजाना वहां घास चढ़ते हुए अपना दूध भगवान शिव को समर्पित कर देती थी। उसी वाले के नाम पर यहां स्थित भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का नाम बैजनाथ धाम पड़ा।


10. नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, द्वारका गुजरात

नागेश्वर मंदिर गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है. धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर। कहते हैं भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है. यह द्वारकापुरी से तकरीबन 17 किमी दूर है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की 80 फीट ऊंची एक मूर्ति है। इसमें इसके निर्माण में दारूका नाम और उसके पति दारुक की कथा सुनाई जाती है। इसके लिए एक की संस्कृत में श्लोक भी कहा गया है कि- “वैद्यनाथन चिताभूमें नागेशं दारुकावने”


11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, कन्याकुमारी तमिलनाडु

भगवान शिव का 11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान में हैं. मान्यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वही रामेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हुआ. रामसेतु भी वही स्थित है। कहते है रामेश्वरम मंदिर में जो 24 पानी के कुए हैं उसे खुद भगवान श्रीराम ने अपने तीरों से बनाए थे, ताकि वे अपने वानर सेना की प्यास बुझा सके। रामेश्वरम मंदिर के पास ही भगवान राम और विभीषण की पहली बार मुलाकात हुई थी। माना जाता है कि रावण को मारने के लिए जो ब्रह्म हत्या का पाप भगवान राम को लगा था उसके दोषी से मुक्त होने के लिए भगवान राम ने यही भगवान शिव की आराधना करी थी। उत्तर में जितना महत्व काशी का है, उतना ही महत्व दक्षिण में रामेश्वरम का भी है. यह सनातन धर्म के चार धामों में से एक है.


12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, औरंगाबाद महाराष्ट्र

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. यह ज्योतिर्लिंग घुश्मा के मृत पुत्र को जीवित करने के लिए भगवान शिव के समर्पण में बनाया गया है। तभी से यह घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।


काशी में सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों का है मंदिर

काशी एक मात्र ऐसा तीर्थस्थल है, जहां शिवभक्तों को सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन का मौका मिलता है। मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंग यहां काशी में साक्षात मूल स्वरूप में ही मौजूद हैं। इनमें पहले स्थान पर सोमनाथ महादेव मान मंदिर, दूसरे स्थान पर मल्लिकार्जुन महादेव सिगरा, तीसरे स्थान पर महाकालेश्वर महादेव दारानगर, चौथे स्थान पर केदारनाथ महादेव केदार घाट, पांचवें स्थान पर भीमशंकर महादेव नेपाली खपड़ा, छठवें स्थान पर विश्वेश्वर महादेव विश्वनाथ गली, सातवें स्थान पर त्रंबकेश्वर महादेव हौज कटोरा बांस फाटक, आठवें स्थान पर बैजनाथ महादेव बैजनत्था, नौवें स्थान पर नागेश्वर महादेव पठानी टोला, दसवें स्थान पर रामेश्वरम महादेव रामकुंड, 11वें स्थान पर घुश्मेश्वर महादेव कमच्छा और 12वें स्थान पर ओंकारेश्वर महादेव छित्तनपुर में मौजूद हैं।





Suresh-gandhi


सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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