जयनगर/मधुबनी, रेल परियोजना की लगातार उपेक्षा से सीमांचल क्षेत्रों के आम जनों में रोष व्याप्त है। मामला सीतामढ़ी, जयनगर, लदनियां, लौकहा एवं निर्मली प्रस्तावित रेल लाइन का एनडी-2 की केंद्र सरकार बिहार के सीमांचल की महत्वपूर्ण रेल परियोजना की लगातार उपेक्षा कर रही है, जिससे आमजन में केंद्र सरकार के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2008 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने यूपीए की सरकार में झंझारपुर के तत्कालीन सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव के पहल पर सीतामढ़ी, जयनगर, लदनियां, लौकहा, एवं निर्मली नयी रेल लाइन को स्वीकॄत किया था। रेल लाइन का सर्वेक्षण के बाद एलाइनमेंट निर्धारण कर सीमांकन भी किया गया। बजट में भूमि अधिग्रहण के लिए 100 करोड़ की राशि का भी प्रावधान किया गया। सीतामढ़ी जिले में भूमि अधिग्रहण शुरू भी हुआ। इसके बाद बिहार के हाथ से रेल मंत्रालय निकल गया और इस महत्वपूर्ण रेल परियोजना को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने अबतक इस परियोजना को संचिकास्त नहीं किया है। इस परियोजना को कागज पर जिंदा रखने के लिए इस वर्ष के बजट में भी दस हजार की धनराशि आवंटित की गई है। विगत 15 वर्षों से इस परियोजना के अधुरा रहने से सीमांचल के साथ-साथ पूर्वांचल के लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस बाबत लदनिया प्रखंड के राजद नेता सह पूर्व पंचायत समिति सदस्य राम कुमार यादव का कहना है कि अगर रेल मंत्री बिहार का होता, तो एनडीए सरकार में भी इस जन उपयोगी परियोजना की उपेक्षा नहीं होती। वहीं, राजद प्रदेश माहासचिव पूर्व जिला परिषद सदस्य राम अशीष पासवान, राजद जिला उपाध्यक्ष विष्णु देव भंडारी कहते हैं कि उक्त रेल परियोजना सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण एवं जनउपयोगी है, क्योंकि यह रेल लाइन नेपाल व भारत की सीमा के सामानांतर गुजराती है। इसके अलावा आसाम, पश्चिम बंगाल व राजधानी दिल्ली से भी दूरी कम करेगी। ज्ञात हो कि अभी केंद्र सरकार पूर्वांचल से दिल्ली की रेल यात्रा का समय और दूरी कम करने की परियोजना पर काम कर रही है। इसके तहत आसाम से पश्चिम बंगाल होते हुए बिहार के फारबिसगंज की रेल लाइन से जोड़ कर कोसी रेल महासेतु भाया निर्मली,सकरी,दरभंगा,सीतामढ़ी होकर दिल्ली तक रेल चलाने की योजना है। अगर इसका एलाइनमेंट निर्मली, लौकहा, लदनियां, जयनगर, सीतामढ़ी कर दिया जाय, तो एक सौ किलोमीटर की दूरी कम हो सकती है, और सीमांचल के लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो जाएगा। इतना ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल के लाखों लोगों को रेल की यात्रा सुलभ हो सकती है। यहां के राजनीतिक कार्यकर्ता एवं स्थानीय लोगों ने क्षेत्रीय सांसद से लगातार रेल परियोजना को मंजूरी दिलाने की मांग करते रहे हैं।
बुधवार, 23 अगस्त 2023
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मधुबनी : उपेक्षित है सीमांचल की महत्वपूर्ण एवं जनउपयोगी रेल परियोजना
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