- प्रशासन बेगुनाह मुसलमान नौजवानों को कर रहा टारगेट, प्रशासन की भूमिका संदिग्ध

पटना, 5 अगस्त, विगत 29 जुलाई 2023 को मुहर्रम के ताजिया जुलूस पर पत्थरबाजी के बाद भभुआ शहर में साम्प्रदायिक तनाव की घटना हुई, जिसमें भभुआ शहर शहित पूरे जिले में अस्तव्यवस्ता फैली. माले राज्य सचिव कुणाल ने इसकी तीखी भर्त्सना करते हुए कहा कि इस बार राज्य के कई जिलों से ऐसी खबरें आई हैं. बिहार की नीतीश सरकार को सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वाले संगठनों और व्यक्तियों की शिनाख्त कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. इस बीच स्थिति थोड़ी सामान्य होने पर आज माले की स्थानीय टीम ने पीड़ित इलाकों का दौरा किया. इस टीम में जिला सचिव विजय सिंह यादव व मोरध्वज सिंह शामिल थे. नेताओं ने कहा कि 28 जुलाई की रात को ही ताजिया जुलूस के दौरान कुछ उपद्रवियो द्वारा जय श्रीराम का नारा लगाकर जुलूस को रोकने का प्रयास किया गया था, लेकिन फिर भी पुलिस-प्रशासन सक्रिय व सतर्क नहीं हुआ. माले का मानना है कि यदि प्रशासन ने ताजिया जुलूस के समय सुरक्षा की व्यवस्था की होती, तो संभवतः पत्थरबाजी नहीं होती और सांप्रदायिक उन्माद भी नहीं भड़कता. अनुमंडल प्रशासन इस मामले में पूरी तरह अक्षम साबित हुआ है. उसकी भूमिका संदिग्ध दिखती है. 29 जुलाई के घटनाक्रम के बाद पुलिस द्वारा तीन प्राथमिकी दर्ज की गई है. लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से उसमें 28 व 29 जुलाई के ताजिया जुलूस के साथ छेड़छाड़ व पत्थरबाजी का जिक्र तक नहीं है. उलटे मुस्लिम नौजवानों को निशाना बनाया जा रहा है. एक परिवार से तो सात लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. महिलाओ के साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया है. भाकपा-माले पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच कराने, बेगुनाह नौजवानो को फर्जी मुकदमे से बरी करने, साम्प्रदायिक तनाव का षड्यंत्र रचने वाले उपद्रवियां की पहचान कर उन पर मुकदमा व गिरफ्तार करने और भभुआ अनुमंडल के अक्षम व गैर जिम्मेदार पुलिस-प्रशासन के अधिकारियो पर कार्रवाई की मांग करती है.
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