- नन्हे मुन्ने बटुकों हाथ में ध्वज पताका, लगाएं हर हर महादेव के नारे
- विश्व शांति एवं कल्याण ही यज्ञों का उद्देश्य है : शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती

वाराणसी (सुरेश गांधी) सर्वज्ञपीठ कांची कामकोटिपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती जी महाराज के चातुर्मास महोत्सव के अंतर्गत गुरुवार को बटुकों ने शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा कांचीमठ से चेतसिंह किला तक गया। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में बटुकों एवं श्रद्धालु जन शामिल थे। नन्हे मुन्ने बटुकों हाथ में ध्वज पताका थे। बटुक जय जय शंकर, हर हर शंकर का उद्घोष करते हुए चल रहे थे। मौका था विश्व-शान्ति- महायज्ञ, लक्ष-मोदक एवं महागणपतिहवन-सहित अतिरुद्रम् एवं सहस्रचण्डी यज्ञ का। इस अवसर पर कांची मठ के प्रबंधक बी एस सुब्रमण्यम मणि एवं अन्य प्रबुद्ध जन सम्मिलित हुए। इस दौरान सर्वज्ञपीठ कांची कामकोटिपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार मनुष्य के अस्तित्व के लिए सांस लेना अपरिहार्य है, उसी प्रकार सनातन हिन्दू धर्म की सुरक्षा और संरक्षण के लिए वेद अपरिहार्य हैं। वेदों की सुरक्षा का अर्थ है सम्पूर्ण विश्व की सुरक्षा। कोई वेदों का पालन कैसे करता है? यह केवल वेदों को पढ़ने और समझने तथा उसमें निहित कर्तव्यों का पालन करने से सम्भव है। वेद चार प्रकार के हैं. ऋग्, यजुष्, साम और अथर्व। इनमें से यजुर्वेद का विशेष महत्व है, क्योंकि इसमें प्रसिद्ध रुद्रपाठ है जो श्री रुद्र परमेश्वर की स्तुति है। रुद्र जप का पाठ करने और रुद्र होम करने से (रुद्र आशुतोष जो शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं) भगवान् रुद्र की कृपा पूरे = ब्रह्मांड पर पड़ती है। इसी तरह दुर्गा सप्तशती का पाठ या हवन करना (जिसमें श्री दुर्गा के सुरक्षात्मक वीरतापूर्ण कार्यों का विवरण है), सभी बाधाओं को दूर करने और देवी की असीमित कृपा प्राप्त करना सुनिश्चित करता है। विश्व शांति एवं कल्याण द्य ही ऐसे पवित्र यज्ञों का उद्देश्य है। महागणपति हवन सभी बुराइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए गणपति के आशीर्वाद का आह्वान करता है और वांछित योग्यता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है। वाराणसी क्षेत्र - अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः द्यद्य वाराणसी सप्त मोक्षपुरियों और द्वादश ज्योतिर्लिंग क्षेत्र में से एक है। वाराणसी एक पवित्र स्थान है जिसे भगवान् शिव का आशीर्वाद प्राप्त है। स्कन्द पुराण में इस क्षेत्र की महानता का उल्लेख है। यह एक ऐसा स्थान है जहां धार्मिक कर्म करने से हमारे पाप धुल जाते हैं और हम पुण्य प्राप्त करते हैं। पूज्य श्री शहुर विजयेन्द्र सरस्वती शङ्कराचार्य स्वामीजी इस पवित्र क्षेत्र में इस शोभकृत् संवत्सर का चातुर्मास्य व्रत का पालन कर रहे हैं। इस अवधि के दौरान देश भर के प्रतिष्ठित विद्वानों की भागीदारी में वेद पारायण, हवन, अग्निहोत्र-सम्मेलन सहित कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम यहां लोक क्षेम के लिए आयोजित किए जा रहे हैं।
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