आदिवासी समाज नवाखानी के दिन ईश्वर की फसल के लिए देते हैं धन्यवाद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 24 सितंबर 2023

आदिवासी समाज नवाखानी के दिन ईश्वर की फसल के लिए देते हैं धन्यवाद

Nawakhani-by-trible
नई दिल्ली. महानगर दिल्ली में है विकासपुरी पैरिश.इस पैरिश में चर्च ऑफ आवर लेडी ऑफ ग्रेसेस है.इस पैरिश में काफी संख्या में झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा आदि प्रदेशों से अनुसूचित जनजाति के लोग आकर रहते हैं.यहां पर शनिवार को  परम्परागत पर्व नवाखानी पर्व मनाया गया.  इस अवसर पर ईश्वर को अच्छी उपज के लिए धन्यवाद देने चर्च में आए. नवाखानी के दिन विश्वासी अपनी पहली उपज का हिस्सा ईश्वर के नाम पर दान के रूप में समर्पित करते हैं. साथ ही आने वाले वर्षों में भी अच्छी बारिश हो और अच्छी फसल हो इसके लिए प्रार्थना करते हैं.इस दिन अपने पूर्वजों को भी धन्यवाद देने का दिन मानते है. क्योंकि उनके द्वारा बहुत मेहनत से हमारे लिए खेत तैयार किए गए थे. ये लोक का अपना परब है. यह त्योहारी कृषि से जुड़े हुए हैं और इसका अधिक उत्साह लोक में है, या कहते हैं कृषि से जुड़े लोग दिखते हैं. आज छात्रवृत्ति करण और गांव से थोक दूरी ने इस पर्व के मूल स्वरूप को किसी हद तक जरूर कम कर दिया है और कुछ फर्क दिखता है. जैसे कि अब नौकरी में जो बाहर है, वह पहले की तरह शामिल नहीं हो जाते हैं या बहुत से परिवार जो खेती से कट गए हैं वे उत्सव को हमारी तरह के रूप में अपने घर में नौकरानी लगते हैं. सब्जी, हमारी संस्कृति का यह उत्सव बचा रहे, माटी से रेलवे बना रहे. किसानी किसान और बचे रहें. कोई भूखा न रहे. प्रकृति सुरक्षित हो, सर्व समृद्ध हो, नवाखाई पर यही कामना है.वाखानी के जश्न में चार चांद लगाने के लिए देर रात तक मांदर की थाप और सुरीले लोकगीत वातावरण में रस घोलते रहे.

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