काशी : धूमधाम से मनाया जा रहा गणेश उत्सव, ढोल-नगाड़ों की थाप पर पूजे जा रहे बप्पा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 20 सितंबर 2023

काशी : धूमधाम से मनाया जा रहा गणेश उत्सव, ढोल-नगाड़ों की थाप पर पूजे जा रहे बप्पा

  • भोले की नगरी काशी सहित पूरा पूर्वांचल गणेशमय, गली-मोहल्लों में पंडालों में विधि-विधान से अनुष्ठान के बीच पूजन-अर्चन चल रहा है

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वाराणसी (सुरेश गांधी) वक्रतुंडमहाकाय सूर्य कोटी समःप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सुसर्वदा...। भगवान गणेश, जिनकी सबसे पहले पूजा होती है, का उत्सव मनाने की होड़ मची है। शहर से लेकर देहात तक में जगह-जगह बने पंडालों एवं घर-मंदिरों में भक्त प्रतिमाएं स्थापित कर पूरी सिद्दत से उनकी पूजा में लीन है। भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी सहित पूरा पूर्वांचल गणेशमय हो गया है। लोगों में गणेश महोत्सव को लेकर खासा उत्साह है. हर जगह गणेश जी की स्थापना की गयी है। भक्त ढ़ोल-नगाड़ों की थाप पर उनकी आरती एवं पूजन में लगे है। विघ्नहर्ता सभी को अपना आशीर्वाद अपने तरीके से दे रहे है। घरों एवं पंडालों को सजाने के साथ ही गणेश मूर्ति स्थापित की गयी है। भदोही के खमरिया में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। बाल श्री सिद्धिविनायक गणेश पूजनोत्सव समिति, टीएसके कैंपस के सामने, खमरिया भदोही की ओर से भव्य पंडाल में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। इस मौके पर पूर्व मंत्री एवं औराई के भाजपा विधायक दीना भास्कर समारोह में शिरकत न सिर्फ बच्चों का हौसलाफजाई किया, बल्कि उनके सुनहरे भविष्य की मंगल कामना भी की। यहां गणेश पूजा को लेकर गजब का उत्साह देखा जा रहा है. समिति के अध्यक्ष शिवांश जायसवाल, उपाध्यक्ष रोहित गुप्ता, कोषाध्यक्ष प्रिंस जायसवाल, मंत्री उमंग बरनवाल, संरक्षक हरिकेश सिंह व अभिषेक मौर्या ने विधायक दीनानाथ भास्कर का फूलमालाओं से गर्मजोशी से स्वागत किया। काशी में भी अष्टसिद्धि दायक गणपति सुख-समृद्धि, यश-एश्वर्य, वैभव, संकट नाशक, ऋणहर्ता, विद्या-बुद्धि और ज्ञान के देवता गणपति का आगमन हो चुका है। अगले 10 दिन तक ं गणेश चतुर्थी की धूम रहेगी। विघ्नहर्ता के लिए काशी सहित पूरे पूर्वांचल में 5 हजार से ज्यादा छोटे और बड़े पंडाल में गणेश जी की मूर्ति स्थापित की गई है। पंडालों में पूजन-अर्चन चल रहा है। इसके अलावा लगभग हर घर में गणपति की मूर्ति स्थापित कर विधि-विधान से पूजन किया जा रहा है। जगह-जगह गणेशोत्सव को लेकर लोगों में विशेष उत्साह है। पंडालों में भगवान गणोश की झांकी तो सजी ही घरों-मंदिरों में भी रच-रच कर श्रृंगार किया गया। घरों में पूजन के बाद लोगों ने दर्शन के लिए मंदिरों व पंडालों का रुख किया। इसके लिए दोपहर से रात तक रेला उमड़ता रहा है। 11 देवों की आरती से भक्त भगवान गणेश समेत अन्य देवों की महिमा का गुणगान कर रहे है। सुख कर्ता दुख हर्ता वारता विघ्नाची...। यानी हे गणेश जी सुख दीजिए और हमारे सारे दुख हर लीजिए और विघ्न दूर कर दीजिए। चारों तरफ ढोल-नगाड़े के बीच ‘गणपति बप्पा मोरिया‘ की गूंज सुनाई दे रही है। गली-मुहल्लों, गांव-गिराव व शहर बाप्पा की भक्ति में सराबोर है।


गली-मोहल्लों में पंडालों में विधि-विधान से अनुष्ठान के बीच पूजन-अर्चन चल रहा है। लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर में पूजन के साथ गीत-भजनों से परिसर गूंज रहा है। सोनारपुरा स्थित चिंतामणि गणेश मंदिर में हरियाली श्रृंगार और हिम श्रृंगार की झांकी सजाई गई है। काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित साक्षी विनायक, ढूंढिराज गणेश, दुर्गाकुंड स्थित दुर्ग विनायक समेत अन्य मंदिरों में भी पूजा-पाठ चल रहा है। गणपति बप्पा मोरया की गूंज के साथ शहर में माहौल पूरी तरह से धार्मिक और भक्तिमय हो गया है। घरों में भी लोगों ने गणपति की मूर्ति की स्थापना की है। जबकि पंडालों में दो, पांच, सात और 10 दिन के लिए गणपति की मूर्ति स्थापित की है। त्योहार के आखिरी दिन गणपति की विदाई के समय पूजा की जाएगी, जिसके बाद अगले साल लौटने का न्योता देने के साथ मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाएगा। इस बार इको फ्रेंडली मूर्तियों की स्थापना पर काफी जोर दिया गया है। लोगों को भगवान गणेश को मोदक व बूंदी के लड्डुओं का भोग लगाकर सुख-समृद्धि व विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना करते देखा जा रहा है। इस वर्ष हजारों घरों में लोगों ने ईको फ्रेंडली गणेश की स्थापना कर अपने पर्यावरण के प्रति प्रेम का इजहार भी किया। सुबह-शाम विघ्नहर्ता गणेश की पूजा-अर्चना और आरती की जा रही है। पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लोग मिट्टी, सुपारी व सूखे मेवे से निर्मित प्रतिमाओं की स्थापना कर पूजा की जा रही है। वैसे भी शिव-पार्वती के पुत्र और भारतीय धर्म और संस्कृति में सबसे पहले पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बिना कोई मंगल काम नहीं शुरू होता है।

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