जी-20 सम्मेलन ने इतिहास के पन्नों पर जो इबारत लिखी है उसे सदियों तक याद रखा जाएगा। इस जी-20 में पीएम मोदी ने मानव कल्याण का जो काम किया, उसे आज तक दुनिया का कोई नेता नहीं कर सका. कौशल और कूटनीति के दम पर प्रधानमंत्री ने जी-20 को इतिहास का न सिर्फ सबसे कामयाब सम्मेलन बना दिया, बल्कि ’’विश्व के कल्याण के लिए सभी देशों को ’वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन का गौरवशाली संदेश भी देने की कोशिश की है। यह शिखर सम्मेलन एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य की भावना की प्राप्ति में एक मील का पत्थर साबित होगा। मोदी ने यह मंत्र देकर नई संभावनाओं को शंखनाद कर दिया है। मतलब साफ है ’सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’, पीएम नरेंद्र मोदी का मंत्र अब मानवता के लिए मार्गदर्शक बन चुका है। भारत के विशेष प्रयासों से अफ्रीकी संघ को जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया जाना इसी मंत्र का प्रतीक है। विश्व के कल्याण के लिए, सभी देशों को ’वसुधैव कुटुंबकम’ (सारी दुनिया एक परिवार है) के दर्शन को अपनाना चाहिए और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिएफिरहाल, दिल्ली का भारत मंडपम दुनिया के एक शानदार जी-20 आयोजन का गवाह बना है. जी20 का सफलतापूर्वक संपंन होना, भारत के लिए एक “गर्व का क्षण“ है. जी20 शिखर सम्मेलन के जरिए भारत ने ग्लोबल मंच पर बेहद प्रभावशाली तरीके से नेतृत्व दिखाया है। भारत स्वाभाविक रूप से ग्लोबल साउथ का लीडर बनकर भी उभरा। जी20 घोषणापत्र सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर 100 प्रतिशत आम सहमति के साथ ‘ऐतिहासिक’ और ‘अभूतपूर्व’ है. शांति और समृद्धि के लिए एक शक्तिशाली आह्वान हैं. एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य पर सहमति बनी है। रुस का नाम लिए बगैर कहा गया यह युग युद्ध का नहीं है। अब ना ही परमाणु का इस्तेमाल होगा और ना ही हथियारों की तस्करी होगी। जी-20 के जरिए भारत ने न सिर्फ कूटनीति का लोहा मनवाया, बल्कि ’वसुधैव कुटुंबकम’ (सारी दुनिया एक परिवार है) का दर्शन कराते हुए अफ्रीकी संघ की एंट्री भी करा दी।
खास बात यह है कि घोषणापत्र पर ना तो रूस यूक्रेन विवाद का साया पड़ा और ना ही चीन की पैंतरेबाजी काम आई. भारत रूस- यूक्रेन के विवादास्पद मुद्दे पर जी20 देशों के बीच एक अप्रत्याशित सहमति बनाने में कामयाब रहा, जिसमें ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने सफलता तक पहुंचने में अग्रणी भूमिका निभाई. मिडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी, कॉरिडोर लॉन्च और अफ्रीकी यूनियन की एंट्री पर मुहर लगी, तो वहीं दूसरे दिन भी ग्रुप में शामिल सभी देशों के बीच सबकी सहमित से इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर लॉन्च का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इन्फ्रा डील से शिपिंग समय और लागत कम होगी, जिससे व्यापार सस्ता और तेज होगा. इसे चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है. इस कॉरिडोर का उद्देश्य संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल से होते हुए भारत से यूरोप तक फैले रेलवे मार्गों और बंदरगाह लिंकेज को एकीकृत करना है. जी-20 की सफलता को देखते हुए हम कह सकते हैं कि भारत की पहल से इस संगठन की प्रोफाइल ही चेंज हो गई है। दुनिया को संदेश गया है कि अब जी-20 विकासशील और गरीब मुल्कों को तवज्जो देने वाला संगठन बन गया है।
साउथ अफ्रीका-ब्राजील-इंडोनेशिया जैसे देश तमाम विकसित देशों के सामने न सिर्फ मजबूत बनकर उभरे, बल्कि संदेश देने में भी सफल रहे कि अब कोई अजेंडा एकतरफा तय नहीं होगा। भारत ने बहुत ही विनम्रमा से विकसित देशों को उनके लिए एकतरफा फैसला नहीं लेने का गंभीर संदेश भी दे दिया। इससे न केवल दोनों देश आपस में जुड़ेंगे बल्कि एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग, ऊर्जा के विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी को बल मिलेगा।इस कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से मिडिल ईस्ट होते हुए यूरोप तक सामान के आयात निर्यात में काफी सुगमता देखने को मिलेगी। भारत से यूरोप तक यदि सामान भेजा जाएगा तो आने जाने में 40 फीसदी समय की बचत होगी। अभी भारत से किसी भी कार्गो को शिपिंग से जर्मनी यदि सामान पहुंचाना हो तो एक महीने से ज्यादा यानी करीब 36 दिन का समय लगता है। लेकिन इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के बनने के बाद इस रूट से 14 दिन का समय कम हो जाएगा। यानी 22 दिन में ही सामान पहुंच जाएगा। इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट में भारत, यूएई, सउदी अरब, अमरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीयन यूनियन सहित कुल 8 देशों को होगा। इसका फायदा इन 8 देशों के अलावा इजरायल और जॉर्डन को भी मिलेगा।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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