बिहार : 620 दिनों के बाद भी पूर्णिया धर्मप्रांत में बिशप नहीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 12 सितंबर 2023

बिहार : 620 दिनों के बाद भी पूर्णिया धर्मप्रांत में बिशप नहीं

Purnia-without-bishop
पूर्णिया. रोम के द्वारा बड़ा धर्मप्रांत को विभक्त कर छोटा धर्मप्रांत बनाया जाता है.यह ख्याल रखा जाता है कि धर्मप्रांत का बिशप का ताज पहनने वाला व्यक्ति लोकल व लोकल भाषा का जानकार हो.इसके आलोक में संत पिता जॉन XXIII, अपोस्टोलिक बुल द्वारा, "एक्सल्टेट सैंक्टा मेटर एक्लेसिया", ने 8 अगस्त, 1962 को दुमका धर्मप्रांत की स्थापना की थी.  बता दें कि दुमका धर्मप्रांत बनने के 36 साल बाद पोप जॉन पॉल द्वितीय की घोषणा के माध्यम से 11 अगस्त 1998 को पूर्णिया धर्मप्रांत का जन्म हुआ है.इस समय पूर्णिया धर्मप्रांत बनने का 25 साल हो रहा है.इस चिरस्मरणीय सिल्वर जुबली ईयर काल में पूर्णिया धर्मप्रांत में बिशप ही नहीं है.पूर्णिया धर्मप्रांत को प्रशासक के बल पर चलाया जा रहा है.इस धर्मप्रांत का प्रशासक फादर सहायराज कॉन्स्टेंटाइन है.इससे पहले बिशप एंजेलुस कुजूर, एसजे पदस्थापित थे.अब पूर्णिया के बिशप एमेरिटस हो गए हैं.इस धर्मप्रांत में हिंदी, बंगाली, उर्दू, संथाली और ओराँव भाषाएँ बोली जाती है. पोप जॉन पॉल द्वितीय के आदेश के अनुसार पूर्णिया धर्मप्रांत में गंगा नदी के पार, दुमका धर्मप्रांत का उत्तरी भाग शामिल है.बिहार राज्य के चार नागरिक जिले पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया, 15,733 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं.धर्मप्रांत की आबादी 63,00,000 से अधिक है, जिनमें से लगभग 21,000 कैथोलिक हैं.कैथोलिक आबादी में बहुसंख्यक संथाल, ओरांव और मुंडा शामिल हैं.  पटना धर्मप्रांत की स्थापना 1919 में हुई, तो उस समय इसके क्षेत्र में नेपाल के अलावा तत्कालीन मध्य और उत्तरी बिहार के सभी क्षेत्र शामिल थे.जेसुइट मिशनरियों के आगमन और प्रबंधन के साथ, स्थानीय चर्च की संख्या और संस्थागत संरचना दोनों में वृद्धि हुई. उन्होंने कई ईसाई समुदायों की स्थापना की, जिससे नए धर्मप्रांत का निर्माण हुआ.1999 में जब पटना को महाधर्मप्रांत बनाया गया, तब तक उसके चार नए धर्मप्रांतों को जन्म दिया था.भागलपुर (1956), मुजफ्फरपुर (1980), बेतिया (1998) और पूर्णिया (1998).इसके अतिरिक्त, नेपाल को 1983 में एक स्वतंत्र मिशन के रूप में अलग कर दिया गया था.2000 में एक और बक्सर धर्मप्रांत का निर्माण हुआ. बिहार में ईसाई समुदाय की निरंतर वृद्धि की गवाही देता है.

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