सवाल यह है कि क्या केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के दावे के अनुरूप देश भर में 296 एंग्लो इंडियन ही बचे हैं? यूपी के इकलौते एंग्लो इंडियन सदस्य डॉ. डेंजिल जे. गोडिन कहते हैं कि जब जनगणना के प्रारूप में एंग्लो इंडियन का कॉलम ही नहीं है तो यह गिनती कहां से हो गई? यूपी में ही 50 हजार से अधिक इनकी संख्या है. इस कानून को लागू होने के लिए आधे राज्यों का अनुमोदन जरूरी है. चूंकि, इसमें एससी-एसटी का भी आरक्षण जुड़ा है, इसलिए कमोबेश हर राज्य से सहमति मिलती नजर आ रही है. केरल विधानसभा ने जरूर प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा है कि एंग्लो इंडियन का आरक्षण बरकरार रखा जाए. डेंजिल जे. गोडिन कहते हैं कि आजादी के बाद बहुत से एंग्लो इंडियन यहां से चले गए थे. जो यहां रुके उन्होंने इसे अपना देश माना और इसके विकास में अपना योगदान दे रहे हैं. 1965 और 1971 की लड़ाई लड़ने वालों में भी एंग्लो इंडियंस थे जिन्हें इनकी बहादुरी के लिए वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया. संविधान की मूल मंशा और भरोसे के तहत हमारा प्रतिनिधित्व बनाए रखा जाना चाहिए। फेडरेशन ऑफ एंग्लो इंडियन असोसिएशन के प्रेजिडेंट और पूर्व सांसद चार्ल्स डायस का कहना है कि 3.47 लाख से अधिक एंग्लो इंडियन उनके संगठन ने ही चिह्नित किए हैं.इसमें पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों के आंकड़े ही नहीं है. कुछ लोगों ने जनगणना के दौरान गलती से धर्म के कॉलम में एंग्लो इंडियन लिख दिया और कानून मंत्री ने उसे आंकड़े के तौर पर पेश कर दिया. आखिर जनगणना में जाति के आंकड़े हैं नहीं और एंग्लो इंडियन धर्म होता नहीं, तो यह संख्या कहां से आई? सरकार इतनी जल्दबाजी में थी कि उसने हमारे प्रतिनिधियों से बात करना जरूरी नहीं समझा. सरकार ने आगे बढ़ाने की जगह उनसे बात रखने का मंच भी छीन लिया. जब संविधान सभा का गठन हुआ तो एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर फ्रेंक एंथोनी को भी संविधान सभा का सदस्य बनाया गया.एंथोनी ने महात्मा गांधी, सरदार पटेल और नेहरू से प्रतिनिधित्व से जुड़ा सवाल उठाया था. इसके बाद आर्टिकल 331 जोड़ा गया. यह कहता है कि राष्ट्रपति अधिकतम दो सदस्य इस समुदाय से नामित कर सकते हैं. संविधान का अनुच्छेद 133 कहता है कि अगर राज्यपाल को लगता है कि एंग्लो इंडियन का पर्याप्त प्रतिनिधित्व विधानसभा में नहीं है तो वे एक व्यक्ति को नामित कर सकते हैं। यूपी, उत्तराखंड, बिहार, आंध्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, एमपी, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और बंगाल में इनके प्रतिनिधि नामित हैं. भारत की संसद; लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति से मिलकर बनती है. देश में लोकसभा के लिए अधिकतम 552 सदस्य (530 राज्य $ 20 केंद्र शासित प्रदेश $ 2 एंग्लो इंडियन) हो सकते हैं, लेकिन विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लोकसभा के लिए केवल 543 सदस्य चुने जाते हैं और यदि चुने गए 543 सांसदों में एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई सदस्य नहीं चुना जाता है तब भारत का राष्ट्रपति इस समुदाय के 2 सदस्यों का चुनाव कर सकता है.
एंग्लो इंडियन किन्हें कहा जाता है?
संविधान के अनुच्छेद 366 (2) के तहत एंग्लो इंडियन ऐसे किसी व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में रहता हो और जिसका पिता या कोई पुरुष पूर्वज यूरोपियन वंश के हों. यह शब्द मुख्य रूप से ब्रिटिश लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि भारत में काम कर रहे हों और भारतीय मूल के हों. एंग्लो-इंडियन एकमात्र समुदाय है जिसके प्रतिनिधि लोकसभा के लिए नामित होते हैं क्योंकि इस समुदाय का अपना कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है. यह अधिकार फ्रैंक एंथोनी ने जवाहरलाल नेहरू से हासिल किया था. एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व लोकसभा में दो सदस्यों द्वारा किया जाता है. अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्य नियुक्त करते हैं. इसी प्रकार विधान सभा में अनुच्छेद 333 के तहत राज्यपाल को यह अधिकार है कि (यदि विधानसभा में कोई एंग्लो इंडियन चुनाव नहीं जीता है) वह 1 एंग्लो इंडियन को सदन में चुनकर भेज सकता है. बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, झारखंड, उत्तराखंड और केरल जैसे राज्यों में विधान सभा के लिए एंग्लो इंडियन समुदाय का एक-एक सदस्य नामित है. जबकि वर्तमान में लोकसभा में 2 सदस्य भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नामित हैं इनके नाम नीचे लिस्ट में हैं.
लोकसभा के लिए एंग्लो इंडियन समुदाय के सभी नामित सदस्यों की सूची इस प्रकार है;
नामित होने का वर्ष 1951-52 सदस्य का नाम फ्रैंक एंथोनी व ए.ई.टी.बैरो, निर्दलीय.1957 फ्रैंक एंथोनी व ए.ई.टी.बैरो, निर्दलीय (IPG). 1962 फ्रैंक एंथोनी व ए.ई.टी.बैरो,निर्दलीय (IPG). 1967 फ्रैंक एंथोनी व ए.ई.टी.बैरो,निर्दलीय (IPG). 1971 फ्रैंक एंथोनी व मार्जोरी गॉडफ्रे,नामित, यूनाइटेड इंडिपेंडेंट पार्लियामेंट्री ग्रुप. 1977 ए.ई.टी.बैरो,निर्दलीय व रूडोल्फ रॉड्रिक्स,जनता पार्टी.1980 फ्रैंक एंथोनी व ए.ई. टी.बैरो,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1984. फ्रैंक एंथोनी व ए.ई.टी.बैरो ,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1989.जॉस फर्नांडीज व पॉल मंतोष,जनता दल.1991फ्रैंक एंथोनी (1993 तक),रॉबर्ट ई विलियम्स व शीला एफ ईरानी (1995-1996),भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.1996,नील ओ ब्रायन व हेडविग रेगो,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1998.बीट्रिक्स डिसूजा व नेविल फोली,समता पार्टी.1999 बीट्रिक्स डिसूजा, समता पार्टी व डेन्ज़िल बी एटकिंसन, भारतीय जनता पार्टी.2004 इंग्रिड मैक्लोड व फ्रांसिस फैन्थोम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.2009 इंग्रिड मैक्लोड व चार्ल्स डायस,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.2014 जॉर्ज बेकर व रिचर्ड हे,भारतीय जनता पार्टी.वर्तमान में, लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के दो एंग्लो-इंडियन सांसद थे.ये हैं केरल के “रिचर्ड हे” और पश्चिम बंगाल के “जॉर्ज बेकर”. संविधान की 10वीं अनुसूची के मुताबिक कोई एंग्लो इंडियन सदन में मनोनीत होने के 6 महीने के अंदर किसी पार्टी की सदस्यता ले सकते हैं. सदस्यता लेने के बाद वो सदस्य पार्टी व्हिप से बंध जाते हैं और उन्हें पार्टी के मुताबिक सदन में काम करना पड़ता है.
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