मणिपुर में ताजा हिंसा में तीन की मौत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 12 सितंबर 2023

मणिपुर में ताजा हिंसा में तीन की मौत

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इंफाल. मणिपुर के इंफाल में राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल हम केवल इतना जानते हैं कि अज्ञात लोगों ने इरेंग और करम वैफेई के बीच एक इलाके में तीन नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी. 3 मई से जारी मणिपुर में जानलेवा हिंसा 160 लोगों की जान चली गई है.  मणिपुर में 3 मई से बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आदिवासी कुकी के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं और अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया, जिसके बाद राज्य में हिंसा भड़की. मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते  है. 135 दिनों से चल रही मणिपुर हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है.कांगपोपकी जिले में प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के उग्रवादियों ने कुकी-जो समुदाय के तीन आदिवासियों की मंगलवार (12 सितंबर) सुबह गोली मारकर हत्या कर दी. 


अधिकारियों ने कहा कि हमलावर एक वाहन में आए थे और इंफाल पश्चिम और कांगपोपकी जिलों के सीमावर्ती इलाकों में स्थित इरेंग और करम इलाकों के बीच ग्रामीणों पर हमला कर दिया.उन्होंने बताया कि यह गांव पहाड़ों में स्थित है और यहां आदिवासी लोगों का वर्चस्व है. अधिकारी ने कहा, "अभी हमारे पास ज्यादा जानकारी नहीं है. हम केवल इतना बता सकते हैं कि घटना सुबह करीब 8.20 बजे हुई जब अज्ञात लोगों ने इरेंग और करम वैफेई के बीच एक इलाके में तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी." बता दें कि यह घटना 8 सितंबर को तेंग्नौपाल जिले के पल्लेल में भड़की हिंसा के ठीक बाद सामने आई है, जिसमें 8 सितंबर को तीन लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इस बीच पूर्वोत्तर भारत के ख्रीस्तीय समुदायों ने देश के राष्ट्रपति से मणिपुर में चार महीने से अधिक समय से जारी सांप्रदायिक संघर्ष को समाप्त करने का आग्रह किया है.मणिपुर के पड़ोसी नागालैंड राज्य में स्थित पांच ख्रीस्तीय समूहों ने आदिवासी समुदाय से भारत की पहली राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन में कहा, "हम आपको मणिपुर में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की अपील करने के लिए लिख रहे हैं." गृहयुद्ध प्रभावित म्यांमार की सीमा से लगे मणिपुर में कुकी आदिवासी ईसाइयों और मैतेई हिंदू समुदाय के बीच 3 मई से भयंकर हिंसा देखी गई है.मैतेई हिंदू समुदाय को जनजातीय दर्जा देने को लेकर सांप्रदायिक संघर्ष में 350 से अधिक ख्रीस्तीय गिरजाघरों को जला दिया गया है.


नागा, नागालैंड के लोगों को कहा जाता है, जो मणिपुर में तीसरा बड़ा समुदाय है और जिसने चल रही हिंसा से दूरी बनाए रखी है.नागालैंड और मणिपुर के साथ, पांच अन्य राज्य भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का निर्माण करते हैं.  नागालैंड संयुक्त ख्रीस्तीय मंच, ख्रीस्तीय मंच दीमापुर, नागालैंड ईशशास्त्रीय कॉलेजों के संघ, दीमापुर बैपटिस्ट पास्टर्स फेलोशिप और दीमापुर बैपटिस्ट महिला संघ ने कहा, "हम उन गिरजाघरों और धार्मिक संस्थानों के पुनर्निर्माण में आपके समर्थन का ईमानदारी से अनुरोध करते हैं, जिन्हें हिंसा के कारण व्यापक नुकसान हुआ है।" यह ज्ञापन 3 सितंबर को नागालैंड के राज्यपाल ला गणेशन को सौंपा गया.गणेशन पहले मणिपुर के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे. प्रांतीय राज्यों के राज्यपाल भारत के राष्ट्रपति के प्रतिनिधि माने जाते हैं. ख्रीस्तीय समूहों ने ज्ञापन की एक प्रति मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को भी सौंपा.उन्होंने कहा, "इन संस्थानों [गिरजाघरों] ने ऐतिहासिक रूप से समुदाय की भावना को बढ़ावा देने, शांति और सद्भाव के मूल्यों को बढ़ावा देने एवं लोगों को महत्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है."  नागालैंड बैपटिस्ट चर्च काउंसिल के महासचिव माननीय ज़ेल्हौ कीहो ने उकान्यूज़ को बताया कि "मणिपुर में जो हो रहा है वह मानवाधिकारों का उल्लंघन है," और सरकार अशांति को रोकने में पूरी तरह से विफल रही है.


यद्यपि मणिपूर में नागा लोगों का एक छोटा समुदाय है वे तनाव के लिए चिंतित हैं.कीहो ने कहा, “नागालैंड संयुक्त ख्रीस्तीय मंच ने चार अन्य समूहों के साथ मिलकर मणिपुर के लोगों से एकजुटता व्यक्त करने के लिए 3 सितंबर को नागालैंड के एक प्रमुख शहर दीमापुर में एक शांति रैली का आयोजन किया."  दोनों समुदायों के हथियारबंद लोगों के बीच लड़ाई 26 वर्षीय किसान सलाम जोतिन सिंह को गोली लगने के बाद शुरू हुई। सिंह को एक गोली लगी थी, लेकिन वह बच गया।जातीय हिंसा में कम से कम 160 लोग मारे गए हैं और 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें से अधिकांश ईसाई हैं. कुकी जाति, मैतेई लोगों को विशेष जनजातीय दर्जा देने के खिलाफ हैं, ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों, शिक्षा और जनजातीय लोगों के लिए बने अन्य सकारात्मक कार्यक्रमों में प्राथमिकता मिल सके. मणिपुर के 32 लाख लोगों में से 53 प्रतिशत हिंदू हैं, जिनमें ज्यादातर मैतेई हैं, और 41 प्रतिशत ईसाई हैं, जिनमें से ज्यादातर कुकी आदिवासी लोग हैं, जिन्होंने अपने लिए एक अलग राज्य की मांग शुरू कर दी है.मणिपुर की राज्य विधानसभा में नागा समुदाय से 10 विधायक हैं. उन्होंने कहा है कि कुकी ईसाइयों के लिए अलग प्रशासन क्षेत्र बनाए जाने से उनके समुदाय पर असर नहीं पड़ना चाहिए.

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