फर्ज़ कीजिये आपको अपने क्रेडिट कार्ड से 599 की ख़रीद पर एक फीसद का कैश बैक रिवार्ड मिलना है. सोचिए आप कितने पॉइंट की उम्मीद लगाएंगे—6 रिवार्ड पॉइंट, 5.99 रिवार्ड पॉइंट, या 5 रिवार्ड पॉइंट?
उन्हें जब ग्राहक की बैंक के कस्टमर केयर से हुई बातचीत का हवाला देते हुए बताया गया कि ग्राहक के अनुसार उनके कार्ड की सबसे महत्वपूर्ण नियम और शर्तें बताने वाले डॉक्यूमेंट MITC में भी लिखा है कि राउंड ऑफ किया जाना चाहिए और उनके कस्टमर केयर स्टाफ ने भी इस बात को माना है कि ग्राहक के साथ गलत हुआ है, तो उन्होंने कहा, “वो एक टेम्परेरी एरर था. उसी के चलते स्टाफ़ ने ऐसा कुछ बताया होगा. हम तो हमेशा से राउंड डाउन ही करते हैं.” अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उन्होनें किसी वैबसाइट से MITC वाले वेबपेज का पुराना लिंक साझा किया जिसमें राउंड डाउन का ज़िक्र है. ग्राहक हालांकि मानने को तैयार नहीं कि उसने MITC में राउंड डाउन को राउंड ऑफ पढ़ा. और अगर पढ़ा भी तो अब कुछ हो नहीं सकता क्योंकि ग्राहक के अनुसार “अब MITC में राउंड डाउन ही दिख रहा है. शायद बैक डेट में अपडेट कर दी गयी है.” लेकिन आईसीआईसीआई बैंक के कौसिक दत्ता का कहना है, “वो हमेशा से राउंड डाउन ही है.” इस पर मान्या कहती हैं, “ये सही नहीं. मेरे पास अगर चॉइस हो तो मैं इस लॉजिक से रिवार्ड पॉइंट लूँ ही न.” वहीं तूलिका नाराजगी जताते हुए कहती हैं, “यह तो सरासर ठगी है. अगर 5.99 को राउंड ऑफ कर 6 नहीं कर सकते तो 5 भी नहीं स्वीकार्य है.” ऐसे ही, बंगलुरु की मार्केटिंग प्रोफेशनल मेहा शर्मा कहती हैं, “ये लोग लेने के टाइम तो राउंड ऑफ करते हैं लेकिन देने के टाइम राउंड डाउन की बात कर रहे हैं. सरासर गलत है.” लखनऊ के होटल व्यवसायी अनुराग सिंह पूरी बात का सार देते हुए कहते हैं, “मिलना तो 6 चाहिए लेकिन मिलेगा वही जो यह बड़े कॉर्पोरेट चाहेंगे.”
सभी कंपनियाँ मुनाफ़ा बनाने के लिए ही बाज़ार में हैं, लेकिन मुनाफ़ा बनाने में ग्राहक को इस तरह तकनीक और शब्दों के फेर में उलझाना सही नहीं. ये बात भी सही है कि सभी शर्तें विज्ञापन में नहीं बताई जा सकती लेकिन MITC में पहले कुछ लिखना और फिर उसे बदल देना और फिर कुटिलता से अपने स्टाफ द्वारा उस गलती के स्वीकारे जाने को भी नकार देना कहीं न कहीं कार्ड कंपनी के शातिर तरीकों पर रौशनी डालता है. फिलहाल तो इस मामले से यही समझ आता है कि कंपनी की कस्टमर केयर टीम भी विश्वसनीय नहीं क्योंकि कंपनी अपनी बात सिद्ध करने के लिए अपनी ही टीम को गलत घोषित कर सकती है. अंततः ग्राहकों से यही कहा जा सकता है कि कार्ड लेते समय सतर्कता बरतें और इन महीन बातों का ज़रूर ख़याल रखें.
निशान्त सक्सेना
(लेखक एक सोशियो-पॉलिटिकल एनालिस्ट, पत्रकार, और साइंस कम्युनिकेटर के रूप में लगभग दो दशक से सक्रिय हैं.)
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