मधुबनी, बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले से ही हर क्षेत्र में महिलाओं को आरक्षण देकर आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया। संसद में जो महिला आरक्षण बिल बीजेपी द्वारा आनन-फानन में लाया गया है, वह इंडिया गठबंधन से घबरा कर लायी गयी बिल है। केंद्र सरकार की मंशा ठीक होती, तो 2021 में जनगणना शुरू करवा दी जाती व इससे अब तक जनगणना पूरी हो जाती व 2024 से पहले महिला आरक्षण लागू हो जाता। उक्त बातें पूर्व एमएलसी प्रो. बिनोद सिंह ने परिषदन में पत्रकारों को कहा। उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं। वर्ष 2006 से हमने पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत और वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में भी महिलाओं कोे 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है। बिहार में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत नामांकन में न्यूनतम 33 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिये आरक्षित की गयी हैं। ऐसा करनेवाला बिहार देश का पहला राज्य है।
जीविका के माध्यम से महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर :
हम लोगों ने वर्ष 2006 में राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए परियोजना शुरू की, जिसका नामकरण ‘‘जीविका‘‘ किया। बाद में तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा इसकी तर्ज पर महिलाओं के लिए आजीविका कार्यक्रम चलाया गया। वहीं, पूर्व महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष सोनी कुमारी ने बताया कि बिहार में अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है, जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएँ जुड़कर जीविका दीदियाँ बन गयी हैं। वहीं, जदयू नेत्री सह खजौली प्रखंड प्रमुख कुमारी उषा ने कहा कि हमारा मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिये भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये। इस मौके पर बचनू मंडल, फूलदेव यादव, कुमार आलोक समेत कई अन्य लोग मौजूद रहे।
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