मौसम में ले रहे परिवर्तन के परिप्रेक्ष में माननीय कुलपति महोदय ने यह सुझाव दिया कि सभी वैज्ञानिक अपने क्षेत्रों का सही तरीके से डाटा-बेस तैयार करें इसमें डेमोग्राफिक एरिया को विवरण के साथ उस क्षेत्र के लोगों की भोजन व पोषण सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय क्या-क्या हो सकते हैं, उसे भी समाहित करने का निर्देश दिये। उन्होंने आज का बिहार और 2050 के बिहार को ध्यान में रखकर खाध्य उत्पादन, और उत्पादकता, जल उत्पादकता फार्म मेकेनाइजेषन, पोस्ट हारवेस्ट क्षति व कीट-रोग की समस्याएँ, फसल प्रणाली में बदलाव जैसे महत्वपूर्ण पहलओं को ध्यान में रखकर ‘‘विजन-2050’’ को बनाने की सलाए ही। उन्होंने निदेषक अनुसंधान को वैज्ञानिकों की मदद से एक टेम्पलेट विकसित करने की भी सलाए ही। इसके साथ ही उन्होंने सभी वैज्ञानिकां को षिक्षण, शोध में अपने-अपने ‘‘स्कील’’ को सषक्त करने का निदेष भी दिया ताकि बिहार कृषि विष्वविद्याालय सबौर, भारतीय पटल पर नंबर-01 कृषि विष्वविद्यालय बन सके और यहाँ के जे0 आर0 एफ0 और एस0 आर0 एफ0 जैसी प्रतियोगिताओं शत-प्रतिषत सफल हों। उन्होंने वैज्ञानिकों को आष्ववस्त किया कि विष्वविद्याालय और बिहार-सराकर के द्वारा अनुसंधान या षिक्षण कार्य में आवष्यक राषि की कोई कमी नहीं होंगी आप सभी बेहतर से बेहतर काम करें। निदेषक अनसंधान डाॅ0 अनिल कुमार सिंह ने अपने स्वागत-भाषण में कार्यक्रम की सार्थकता और उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन उप-निदेषक किया गया और धन्यवाद ज्ञापन सहायक निदेषक अनुसंधान-डाॅ0 रणधीर कुमार द्वारा किया गया। इस आषाय की जानकारी पी0 आर0 ओ0 डाॅ0 राजेष कुमार ने दिया।
पटना, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर कि मिनी-आडिटोरियम में अनुसंधान निदेषालय द्वारा ‘‘डैवलपींग सुटेवल क्राॅपिंग सिस्टम, क्राॅपिंग पैटर्न एण्ड क्लाइमेट रेजीलियेन्ट एग्रीकल्चरल स्ट्राटेजी वीक्ष काॅन्टीनजेन्ट क्रौप प्लानिंग फोर बिहार ’’ विषय पर एक ब्रोन स्टोरमींग सेषन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विष्वविद्यालय के कुल 14 रिसर्च स्टेषन के वैज्ञानिकों ने भाग लिया जिनमें किशनगंज में नव स्थापित सेन्टर आफ एकसीलेंस ऑन आटिकल्चर और एडवांस सेन्टर आफ सेरी-कल्चर के वैज्ञानिक भी शामिल थे। कार्यक्रम अध्यक्ष-सह मुख्य-अतिथि, माननीय कुलपति, बिहार कृषि विष्वविद्याालय सबौर, डाॅ0 डी0 आर0 सिंह ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंम किया। माननीय कुलपति महोदय ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी वैज्ञानिकों का परिचय लिया और षिक्षण एवं अनुसंधान के प्रति उनके रूझान को जानने का प्रयास किया। सभी केन्दों के वैज्ञानिकों ने प्रेजेन्टेषन के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्रों के प्रचलित क्रौपिंग सिस्टम और क्रौपिंग पैटर्न के बारे में बताया तथा मौसम में लो रहे परिवत्र्तन के कारण फसल-परिवत्र्तन एवं संभावित क्रौपिंग-सिस्टम के बारे में भी जानकारी ही।
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