![Diebetic-servey](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjazkqGu-iCr5YLHRtS9C5FiM0tuBMzMlpp4_vT_gObDRgGYkC9msdrt0-jYn6qKJwmUA6QH6OeeFlJvB7yzsTkQJ6ciQ334oz24hZyH_AVU8S-dkHpGazK4fCyKvny-yr4f__EK4gg5Yf72MttCwcrkdbt6U0A9GVA0Q3au3AIbJ3Zu8_ORB5vpbNN7_0l/w320-h225/IMG-20231103-WA0005.jpg)
मुंबई : एक देशव्यापी सर्वे 'स्टार' में रोजाना हाई-फाइबर सप्लीमेंट का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को होने वाले फायदे सामने आए हैं। टाइप 2 डायबिटीज के 3,042 मरीजों और 152 डॉक्टरों के बीच इस सर्वे को अंजाम दिया गया। सर्वे के नतीजे हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल प्रैक्टिस में प्रकाशित किए गए हैं। सर्वे में पाया गया कि रोजाना हाई-फाइबर डाइटरी सप्लीमेंट के सेवन से ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। सर्वे में शामिल डायबिटीज के मरीजों को दो समूह में बांटा गया था। इनमें से एक समूह कम से कम पिछले तीन महीने से एक विशेष हाई-फाइबर सप्लीमेंट का सेवन कर रहा था, जबकि दूसरे समूह के लोग किसी हाई-फाइबर सप्लीमेंट का सेवन नहीं कर रहे थे। इसमें पाया गया कि जो मरीज तीन महीने या इससे ज्यादा समय से हाई-फाइबर सप्लीमेंट का सेवन कर रहे थे, उनका एचबीए1सी उल्लेखनीय रूप से कम रहा, उनका वजन भी कम हुआ और दूसरे समूह के लोगों की तुलना में ऐसे लोग ज्यादा संतुष्ट थे। दुनियाभर में कई क्लीनिकल अध्ययनों में डायबिटीज के मैनेजमेंट में हाई-फाइबर डाइट की उल्लेखनीय भूमिका सामने आ चुकी है। आरएसएसडीआई और अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन जैसे संस्थान भी सुझाव देते हैं कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अपने खानपान में फाइबर की मात्रा बढ़ानी चाहिए। आरएसएसडीआई भारत में प्रत्येक डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति को रोजाना 25 से 40 ग्राम फाइबर के सेवन का सुझाव देता है, जबकि असल में इसकी तुलना में अलग-अलग सामाजिक परिवेश में फाइबर का वास्तवित सेवन औसतन 15 से 40 ग्राम प्रतिदिन के बराबर ही है। इसका अर्थ है कि भारत में डायबिटीज से पीड़ित हर व्यक्ति फाइबर की जरूरी मात्रा का सेवन नहीं कर रहा है। 'स्टार' सर्वे से सामने आया है कि कैसे हाई-फाइबर डाइटरी सप्लीमेंट इस कमी को पूरा करने में भूमिका निभा सकते हैं और मरीजों को प्रभावी तरीके से डायबिटीज मैनेज करने में मदद कर सकते हैं।
साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ एंडोक्राइन सोसायटीज (एसएएफईएस) के प्रेसिडेंट और सर्वे के प्रमुख नेतृत्वकर्ता डॉ. संजय कालरा ने कहा, 'डायबिटीज मैनेजमेंट में उचित पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को न केवल कार्बोहाइड्रेट और चीनी का सेवन कम करना होता है, बल्कि उन्हें फाइबर का इनटेक बढ़ाने की जरूरत भी होती है। डाइट में फाइबर शामिल करने से पेट भरा अनुभव होता है और व्यक्ति ज्यादा खाने से बचता है। पाचन के दौरान फाइबर हमारे पेट से खून में शुगर के एब्जॉर्प्शन की दर को भी करता है, जिससे खाने के बाद का ब्लड ग्लूकोज कम रखने में मदद मिलती है। ज्यादातर डायबिटीज के मरीजों को उनके खानपान से फाइबर की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती है। यह सर्वे दिखाता है कि हाई-फाइबर न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट फाइबर इनटेक की जरूरत को पूरा करने में सहायक हो सकते हैं।' सर्वे में सामने आया है कि डायबिटीज का मैनेजमेंट केवल मेडिकल थेरेपी पर निर्भर रहने का मामला नहीं है। मरीजों को वजन नियंत्रित रखने और ब्लड ग्लूकोज को सही रखने के लिए डाइट में भी बदलाव करना चाहिए। स्टार में 152 डॉक्टरों को भी शामिल किया गया। इससे सामने आया कि डॉक्टर टाइप 2 डायबिटीज के 50 प्रतिशत मरीजों को, मोटापे के शिकार 40 प्रतिशत मरीजों को और बढ़े हुए वजन का सामना कर रहे 30 प्रतिशत लोगों को फाइबर-रिच सप्लीमेंट लेने का सुझाव देते हैं। सर्वे में शामिल डॉक्टरों के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजों को फाइबर के सेवन से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे उनका संतुष्टि का स्तर बढ़ता है, शारीरिक गतिविधि बढ़ती है, एचबीए1सी कम होता है और ब्लड ग्लूकोज लेवल नियंत्रित होता है। इससे उन्हें ब्लड ग्लूकोज नियंत्रित रखने के लिए कम दवाएं लेनी पड़ती हैं। डॉक्टरों ने टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज करने में डाइटरी फाइबर की भूमिका को लेकर मरीजों और डॉक्टरों दोनों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
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