- अमरीका द्वारा इजरायल का सैन्य समर्थन मंजूर नहीं, शांति की पहल करे
- मोदी सरकार अमेरिका-इजरायल परस्ती बंद करे, युद्ध तत्काल रोकने की मांग करे
वाम दलों के नेताओं ने कहा कि अमेरिकी साम्राज्यवाद की नीतियों का हम पुरजोर विरोध करते हैं, जो गाजा में जारी बर्बर जनसंहार पर तत्काल रोक लगाने की बजाए इजरायली रक्षा बलों को वित्तपोषण, हथियार और समर्थन दे रहा है। गाजा में एक खुल जनसंहार रचाया जा रहा है और एक समूचे देश के वजूद को मिटा देने की कोशिश है। युद्ध व मानवाधिकार से जुड़े तमाम अंतरराष्ट्रीय नियम व मान्यताएं स्थगित कर दी गई हैं. ‘घेर कर मारेंगे और रोने भी नहीं देंगे’ की तर्ज पर अमरीका के नेतृत्व में खुली दादागिरी चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार फिलिस्तीन के आम अवाम के मुक्ति आंदोलन के दशकों पुरानी नीति को पलटते हुए अमेरिका-इजरायल गठजोड़ का शर्मनाक समर्थन कर रही है और इस स्थिति का उपयोग भारत में मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भड़काने में कर रही है। आज से अमेरिका के विदेश मंत्री व रक्षा सचिव भारत की यात्रा पर हैं और उनके साथ भारत सरकार के प्रतिनिधियों की द्विपक्षीय वार्ता होने वाली है। ऐसे में पूरा देश मोदी सरकार से यह मांग कर रहा है कि वह अंतराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध रोकने की उठ रही मांगों का पुरजोर तरीके से समर्थन करे। वक्ताओं ने आगे कहा कि फिलिस्तीन पर लगातार जारी अमरीकी-इसरायली हमले के आज एक महीना पूरा हो चुके हैं, इस बीच गाजा में 10 हज़ार से ज़्यादा बेगुनाह जानें जा चुकी हैं जिनमें लगभग 6 हज़ार बच्चे व महिलाएं शामिल हैं. रिहायशी इलाकों, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, मस्जिदों, राहत कैंप व एम्बुलेंसों पर बमबारी जारी है. बिजली, पानी, रसद व जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति काट दी गई है. दुनिया भर में लाखों लोग सड़कों पर आकर न सिर्फ़ इसका विरोध करते हुए तत्काल शांति की मांग कर रहे हैं बल्कि अपनी सरकारों पर फिलिस्तीनी अवाम के पक्ष में खड़े होने का दबाव बना रहे हैं. इन विरोध प्रदर्शनों में अमरीका और यूरोप के लाखों लोगों के साथ ‘हमारे नाम पर नहीं’ के नारे के साथ यहूदी समुदाय के लोग भी सड़कों पर हैं. भारत की आम जनता पूरी तरह से फिलिस्तीनियों के साथ खड़ी है।
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