- 5 सूत्रीय मांगें नहीं मानी गई तो वो चुनाव में ऐसे लोगों को वोट नहीं देंगी
- उनका कहना है कि जो हमारी बात सुनेगा, वहीं कुर्सी पर राज करेगा
सरकार का क्या रूख पता नहीं चलने के कारण मंगलवार 7 नवंबर को अपनी पाँच सूत्रीय मांगों को लेकर राजधानी पटना में स्थित बिहार विधानसभा का घेराव करने पहुँची.इन महिलाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस प्रशासन ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. इस दौरान कई महिलाएं बेहोश हो गई. बिहार विधानसभा के 6 से 10 नवंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहां 70 मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी तैनात है.बिहार में संचालित 1.14 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में तैनात करीब 2.15 लाख आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका के मानदेय में बढ़ोतरी करने की मांग को लेकर हड़ताल पर है.जिसके आंगनवाड़ी केंद्र पिछले 39 दिनों से बंद हैं. इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से नीतीश बाबू ने उनका मानदेय दोगुना करने का वायदा किया था, लेकिन वादा पूरा करने की जगह बिहार सरकार इन आंदोलनकारी महिलाओं पर सख्ती कर रही है.सरकार इनके आंगनवाड़ी केंद्रों पर नोटिस चिपका रही हैं कि अगर उन्होंने ये नहीं खोले तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.इससे नाराज आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी अपना आंदोलन तेज कर दिया. इस दौरान सदन में बिहार विधान सभा में बीजेपी नेता विजय सिन्हा बोले, “गाँव-समाज में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली आंगनवाड़ी सेविका बहनों पर महागठबंधन सरकार का लाठी चार्ज करवाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.महागठबंधन की सरकार इनकी आवाज को दबाना चाहती है. सरकार विधानसभा में भी आंगनवाड़ी सेविकाओं के विषय पर जवाब देने से पीछे हट रही है.” गौरतलब है कि बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सेविका और सहायिकाओं ने शनिवार (4 नवंबर,2023) को सांसद सुशील कुमार सिंह को अपनी माँगों का ज्ञापन सौंपा था. सेविका और सहायिकाएँ इस दौरान, ‘लाल साड़ी करे पुकार, हम नहीं सहेंगे अत्याचार’ का नारा लगाती रहीं. सांसद सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहानुभूति आपके साथ है. लोकसभा का एक सत्र चलने वाला है. वो 17वीं लोकसभा के कार्यकाल में अध्यक्ष से अनुरोध करेंगे. अगर मौका मिलता है, तो मजबूती से उनकी मांग उठाएंगे. इस बारे में सरकार को पत्र लिखेंगे.
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