- नामचीन फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में मुख्तार अब्बास नकवी ने किया अन्तर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव का आगाज
- ऐसे आयोजन न सिर्फ उभरते कलाकारों को मंच प्रदान करता है, बल्कि फिल्मकार और दर्शक सीधे सीधे एक दूसरे से जुड़ते हैं और अपनी बातें साझा करते है : प्रकाश झा
फिल्म में दिखी कई भाषाओं का संगम व दर्द भरी दास्तां
पहले दिन लगभग 32 बेहतरीन फिल्में दिखाई गईं। खास ये है कि एक मंच पर देश-विदेश की विभिन्न भाषाओं के फिल्मों का संगम भी देखने को मिला। जिनमें ओपनिंग फिल्म, चाईना की एन्ट्री रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता की खासी चर्चा रही। यह एक प्रमोशनल फिल्म के साथ-साथ एक मूल संगीत वीडियो है जो भगवान राम के प्रति चीनी मानस और धारणा को दर्शाने वाली एक प्रकार का दृश्यावली है। फिल्म श्रीलंका में जनमें और हॉलीवुड की कई हिट फिल्मों में विजुअल इफेक्ट करने वाले साई सुरेन्द्र ने निर्देशित की है और वे ही फिल्म के निर्माता हैं। वे खुद तो फिल्म को रिप्रेज़ेंट करने नहीं आ पाए लेकिन फिल्म के एक्ज़ीक्यूटिव प्रड्यूसर सुरजीत गिरीश फिल्म की स्क्रीनिंग के समय मौजूद रहे। फेस्टीवल डिरेक्टर श्रीवास नायडू से चर्चा करते हुए सुरजीत ने बताया कि वे लोग श्री राम पर पूरी फीचर फिल्म बनाने के लिए तैयारी कर रहे हैं और निर्देशक साई सुरेन्द्र पिछले छः-सात साल से रिसर्च कर रहे हैं और जल्द ही इस फिल्म की शूटिंग शुरु होगी। स्क्रीन पर चल रहे फिल्म की प्रीलिमिनरी जूरी ने भी अपना खूब समय लगाकर मन से देखा और प्रशंसा करते हुए चयन भी किया। 45 देशों की लगभग 94 क्रीम फिल्मों का यहां प्रदर्शन हो रहा है। दर्शकों से उन्होंने अपील कि वे फिल्मकारों की मेहनत और लगन से बनाई इन बेहतरीन फिल्मों को देखें और आनन्द लें। यह महोत्सव फिल्मों के प्रति गहरे जुड़ाव और प्यार को बढ़ावा देने और उसे विस्तारित करने, लोगों के बीच परस्पर समझ और सौहार्द-सेतु का निर्माण करने का प्रयास करता रहा है।
मास्टर क्लास भी लगी
फिल्में देखने के अलावा फिल्म जगत को समझने के लिए फिल्मोत्सव के दौरान फिल्मों पर मास्टर क्लास लगाई गई। प्रकाश झा (निर्माता-निर्देशक-अभिनेता) ने दोपहर 2.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक मास्टर क्लास सत्र लिया और अपने फिल्मी अनुभव के साथ फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले नवयुवाओं को हिदायतें दीं।
आज 38 फिल्में दिखाई जायेंगी
2 दिसम्बर के तीन शो़ में लगभग 38 फिल्में दिखाई जायेंगी। हर शो में भारत की दो दो फिल्में प्रदर्शित होंगी। वैसे तो सभी फिल्में रुचिकर हैं, लेकिन प्रिलिमिनरी जूरी ने 3212 फिल्मों में से 94 फिल्में चुनी हैं, जो बेहतरीन है। दावा है कि समय की बंदिश व बड़ी होने के कारण जो फिल्में नहीं दिखाई जा सकी, अगर उन्हें दिखाया जाता तो जूरी और प्रसंन्न होते। फिर भी आज दिखाई गयी स्क्रीन फिल्मों में नेपाल से आई बाइसिकल हीरो जो एक जांबाज़ साईकिल चालक की कहानी कहती है जिसने 11 साल में सायकल पर दो लाख इक्कीस हज़ार कि.मी. का सफर तय किया और पूरी दुनिया में घूमा और न जाने कितने ही खतरों से खेलना पड़ा। ब्राज़ील की फिल्म - आईसलैंड, ऐन इंटरप्लैनेटरी जर्नी, सवा तीन मिनट की ये फिल्म सुन्दर दृश्यों के साथ बताती है, आईसलैंड में रोमांचक पर्यटन की कितनी सम्भावनाएं हैं। वहीं फ्रांस की एनीमेशन फिल्म दृ कारापथ भेड़चाल संस्कृति का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे जब एक केकड़े का खोल बदल जाता है तो उसके समुदाय के लोग उसे खुदा बना लेते हैं लेकिन जो रंग चढ़ता है सो एक दिन उतरता भी है। ईरान की सौदादे फिल्म का लुब्बो लुबाब बड़ा ही वैश्विक है, लड़के की चाहत में स्त्री को संतानोत्पत्ति के चक्कर में मौत तक के कितने ही दर्द झेलने पड़ते हैं। फेस्टीवल स्क्रेट्री केतकी कपाड़िया कहती हैं कि सभी फिल्मों का रहस्य रोमांच यहां न खोला जाए दर्शकों को खुद आकर पूरी फिल्मों का मज़ा लेना चाहिए।
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