इंदौर के एक छोटे से शहर बिजलपुर में जन्मे एल.एल.बी डिग्रीधारी श्री पटवारी के दादा कोदरलाल पटवारी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानी रहे, जबकि उनके पिता श्री रमेश चंद्र पटवारी भी कांग्रेस के सक्रिय नेता रहे। प्रदेश में युवा कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत करते हुये श्री पटवारी 2013 में राऊ विधानसभा से पहली बार विधायक बने और 2018 में दूसरी बार विधानसभा का चुनाव जीतकर कमलनाथ सरकार में मंत्री बने। इसके पूर्व श्री पटवारी ने कांग्रेस के मीडिया विभाग में रहकर विपक्ष की आवाज बनकर किसानों के मान, महिलाओं के सम्मान, युवाओं के रोजगार, बच्चों की शिक्षा और कानून व्यवस्था के मुद्दों को सदन से सड़क तक पूरी दमदारी से उठाया।
कहते हैं जिसके जो भाग्य में है उसे मिलकर ही रहता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व मल्लिकार्जुन खड़े, श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी ने श्री पटवारी पर विश्वास जताया और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जमीन और मजबूत करने के लिए, कांग्रेस की फसल में पानी डालकर उसे सींचने और उसे उगाने का जो जिम्मा सौंपा, उससे युवाओं में नयी ऊर्जा के संचार का प्रवाह अभी से लहलहाते हुये दिख रहा है। श्री पटवारी युवा जरूर हैं, लेकिन वरिष्ठों की रायशुमारी लेने में वे कभी पीछे नहीं रहते। जनता के हकों और अधिकारों के लिए चाहे विधानसभा में हो या सड़क पर पूरी ताकत और जोर -शोर से मैदान में लड़ते और उनकी यही अदा प्रदेश के युवाओं को तो ठीक वरिष्ठजनों को भी भा जाती है। श्री पटवारी लोकसभा चुनाव के पहले मिली कांग्रेस की जमीन नापने की इस बड़ी जिम्मेदारी को कितनी सजगता, संजीदगी, सक्रियता और निर्भिकता के साथ निभायेंगे यह उनके भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती है।
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