गाजियाबाद : अरिहंत ट्रस्ट ने 150 छात्राओं को जूते और प्रमाण पत्र बांटे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 16 दिसंबर 2023

गाजियाबाद : अरिहंत ट्रस्ट ने 150 छात्राओं को जूते और प्रमाण पत्र बांटे

  • चार शिक्षिकाओं का किया सम्मान

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गाजियाबाद। अरिहंत चेरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अलका अग्रवाल ने भारत विकास परिषद वसुंधरा शाखा की मदद से एमबी गर्ल्स इंटर कॉलेज की 150 छात्राओं को जूते और प्रमाण पत्र बांटे। छह शिक्षिकाओं को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित भी किया। सम्मानित होने वाली शिक्षिकाओं के नाम प्राची यादव, नीलम, लक्ष्मी, रेनू सोनी, गरिमा और गीतांजलि है। गरिमा अरिहंत ट्रस्ट द्वारा कॉलेज में बने निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र में छात्राओं को सिलाई-कढ़ाई सिखाती हैं जबकि गीतांजलि अरिहंत के निःशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र में छात्राओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण देती हैं। इस अवसर पर एमबी गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ. अंतिमा चौधरी, भारत विकास परिषद वसुंधरा शाखा से मीरा और उनकी टीम मौजूद थी। डॉ. अलका अग्रवाल का मानना है कि लड़कियों को रोज़गारपरक प्रशिक्षण कोर्स सिखाये जाने चाहिएं ताकि वे स्वावलम्बी बनें। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने कॉलेज की गरीब छात्राओं को स्वावलम्बी बनाने हेतु यहां सिलाई और कंप्यूटर प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की हुई है। उन्हें तीन महीने से लेकर साल भर तक के शॉर्ट टर्म सर्टीफिकेट कोर्स कराये जाते हैं। ऐसा गाजियाबाद में पहली बार हुआ कि किसी ट्रस्ट ने सरकार से बिना आर्थिक सहायता लिये सरकारी विद्यालय में निःशुल्क प्रशिक्षण केन्द्र खोला। एमबी गर्ल्स इंटर कॉलेज की एक इमारत में दो कमरे लेकर और उन्हें सुसज्जित कर प्रशिक्षण कार्य शुरू किया। इसमें 30 कंप्यूटर लगे हैं और 30 ही सिलाई मशीनें लगी हुई हैं।  डॉ. अलका अग्रवाल ने बताया कि एक अप्रैल 2017 को निःशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र खोला गया। अभी तक लगभग 4000 हजार से अधिक बच्चियों को कंप्यूटर एवं सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। डॉ. अलका अग्रवाल ने बताया कि बच्चियों को सर्टीफिकेट कोर्स कराये जा रहे हैं। बच्चियां 12वीं जब पास कर जाती हैं तो उन्हें नोएडा, दिल्ली व गाजियाबाद की सम्बंधित कंपनियों में नौकरी दिलाने का काम किया जाता है। ट्रस्ट की योजना अन्य सरकारी स्कूलों में खासतौर से बच्चियों को व्यवसायिक तौर पर प्रशिक्षित करने और उन्हें स्वावलम्बी बनाने की है।

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