सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी शहर के छावनी स्थित श्री भैरव मंदिर में भैरव अष्टमी पर मंगलवार को जन्मोत्सव का आयोजन किया जाएगा। सुबह मंदिर परिसर में रंगीन फूलों से विशेष श्रृंगार किया जाएगा और उसके उपरांत शाम को जन कल्याण के लिए हवन आदि के कार्यक्रम के पश्चात आरती और रात्रि सात बजे से महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा। इस मौके पर बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में पूजा अर्चना की जाएगी और उसके पश्चात प्रसादी का वितरण का सिलसिला रात्रि सात बजे से किया जाएगा। शहर के छावनी स्थित बड़ा बाजार-चरखा लाइन स्थित मंदिर में श्रद्धालु समाजसेवी संजय सोनी और रामेश्वर सोनी के द्वारा यहां पर साफ-सफाई के अलावा छप्पन भोग आदि की तैयारियां की गई। इस संबंध में जानकारी देते हुए पंडित मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी काल भैरव अष्टमी के पावन अवसर पर शहर कोतवाल बाबा काल भैरव के नाम से प्रसिद्ध मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ महा आरती का आयोजन किया जाता है। लंबे समय से यहां पर श्रद्धालुओं के द्वारा भैरव अष्टमी पर भगवान को छप्पन भोग लगाने के उपरांत भंडारे में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया जाता है। उन्होंने बताया कि काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार की नकारात्मकता और बुरी शक्तियां दूर होती हैं। भगवान भैरव के बटुक भैरव, महाकाल भैरव और स्वर्णाकर्षण भैरव प्रमुख रूप हैं। इनमें से भक्त बटुक भैरव की ही सर्वाधिक पूजा करते हैं। तंत्रशास्त्र में अष्ट भैरव का उल्लेख भी मिलता है-असितांग भैरव, रूद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव। काल भैरव की जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। भगवान शिव को अपना सबसे उग्र स्वरूप महाकाल के रूप में क्यों धारण करना पड़ा। इस तिथि पर भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की उत्पत्ति हुई थी। काल भैरव तंत्र-मंत्र के देवता हैं, इसलिए निशिता मुहूर्त में उनकी पूजा की जाती है। भगवान शिव के अत्यंत उग्र स्वरूप काल भैरव की जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार महाकाल की जयंती मंगलवार को है। भगवान शिव को अपना सबसे उग्र स्वरूप महाकाल के रूप में क्यों धारण करना पड़ा।
धूम्र योग में मनाई जाएगी
पंडित श्री दीक्षित ने बताया कि काल भैरव अष्टमी मंगलवार को धूम्र योग में मनाई जाएगी। शास्त्रों की ऐसी मान्यता है कि मार्ग शीर्ष कष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भैर जी का जन्म हुआ था। भगवान शिव ने भैरव जी के रूप में अवतार धारण किया था। जिन जातकों की पत्रिका में केतू ग्रह की अशुभता के कारण मानसिक और शारीरिक पीड़ा चल रही है या फिर मार्केश की महा दशा, अंतर दशा के प्रभाव में है तो इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए काल भैरव की आराधना करना चाहिए।
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