वाराणसी : ’राम मंदिर’ प्रतिकृति मॉडल व बनारसी साड़ियों डिमांड - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

वाराणसी : ’राम मंदिर’ प्रतिकृति मॉडल व बनारसी साड़ियों डिमांड

  • दावा : 50,000 करोड़ से भी अधिक के कारोबार होने के आसार
  • सात समुंदर पार भी लोगों की पहली पंसद बनी, कोई ऑनलाइन तो कोई दुकानों से कर रहा खरीदारी

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वाराणसी (सुरेश गांधी) भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण अंतिम चरण में है. 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का अभिषेक, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जैसे कई प्रमुख लोगों की उपस्थिति में होगी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से व लोकार्पण से पहले भारत ही नहीं दुनिया भर के राम भक्तों में खासा उत्साह है. इस शुभ घड़ी को लोग यादगार बनाना चाहते है। कोई इसे दीवाली के रुप में मनाने में जुटा है, तो कोई गीता व रामायण पाठ कराने की तैयारी में है. इसके लिए लोग अयोध्या के राम मंदिर की रेप्लिका (प्रतिकृति) की जबरदस्त खरीदारी में जुटे है। खास यह है कि राम मंदिर थीम वाली बनारसी साड़ियों का क्रेज देश ही नहीं अब विदेशों में भी बढ़ गया है। इन साड़ियों की डिमांड इटली, सिंगापुर सहित गुजरात, महाराष्ट्र, बंगलूरू और चेन्नई में भी है। साड़ी पर पूरा काम हाथ से किया जाता है। दुकानदारों का कहना है कि इन दिनों राम मंदिर मॉडल व साड़ियों की खूब डिमांड हो रही है. हर रोज लाखों-करोड़ों के कारोबार हो रहे है।


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बता दें, राम मंदिर थीम पर बनी बनारसी साड़ियों की डिमांड अब विदेशों में भी हो रही है। खास उचंत बुनकरी की कला से तैयार ये साड़ियां इटली और सिंगापुर भेजी जा रही हैं। वाराणसी में बुनकरों ने बनारसी साड़ी पर राम मंदिर की प्रतिकृति उतारी है. रेशमी धागों से बनी इस साड़ी पर महीनों की कड़ी मेहनत के बाद राम मंदिर की छवि तैयार की गई है. बनारसी साड़ी पर राम मंदिर बुनकर के करघे पर बनाया गया है. तीन महीने की कड़ी मेहनत पर इस साड़ी को तैयार किया गया है. वाराणसी के बुनकरों ने बनारसी साड़ी पर राम मंदिर की छटा उकेर दी है. बुनकरों का कहना है कि राम मंदिर को बनाने के लिए दुर्लभ 'उचंत बिनकारी' का सहारा लिया गया है. आम बिनकारी में जहां करघे पर नक्शे के पत्तों के जरिये बिनाई होती है, लेकिन उचंत आर्ट या बिनकारी में बगैर नक्शे के पत्तों के बुनकर सीधे उसी तरह बिनकारी करता है. जिस तरह से कोई पेंटर सामने तस्वीर रखकर पेंटिंग करता है. राम मंदिर की अद्भुत साड़ी में राम मंदिर के शिखर से लेकर पिलर, खंभों और दीवारों तक को हुबहू रेशमी धागों से उकेरा गया है. अब जब अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, तब इन साड़ियों की मांग और बढ़ने की उम्मीद है। मौजूदा समय में इन साड़ियों की मांग बढ़ गई है। इटली, सिंगापुर के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, बंगलूरू और चेन्नई से खास ऑर्डर मिले हैं। हाल ही में राम मंदिर डिजाइन वाली साड़ी इटली भेजी है। इस बनारसी साड़ी के आंचल पर राम मंदिर और बॉर्डर पर सरयू की डिजाइन बनाई गई है। प्योर रेशम से बनी साड़ी पर पूरा काम हाथ से किया गया है। हथकरघे पर ही पूरी साड़ी तैयार की जाती है। इसे तैयार करने में दो महीने से ज्यादा का वक्त लगता है। 18 कारीगर मिलकर एक साड़ी तैयार करते हैं। एक साड़ी की कीमत 35 हजार रुपये है। साड़ी की तरह ही उन्होंने दुपट्टे भी बनाए हैं। दुपट्टे के दोनों किनारे उन्होंने राम मंदिर की डिजाइन बनाई। एक दुपट्टे की कीमत 50 हजार रुपये है। दुपट्टा तैयार करने में तीन महीने का समय लगता है। 15 दिन की कोशिशों के बाद डिजाइन तैयार की गई। कला विशेषज्ञों के मुताबिक उचंत बुनकरी कला रामायण काल की कला है। इसमें सुइयों के सहारे साड़ी की बुनाई होती है। इसके अलावा बनारस के कारीगरों ने लजर कटिंग मशीन से श्रीराम मंदिर अयोध्या की प्रतिकृति वुडन मॉडल तैयार किया है, जिसकी बाजार मे जबरदस्त डिमांड है। 8 इंच ऊंचे, 7 इंच चौड़े साढ़े 11 इंच लंबे राम मंदिर के वुडन मॉडल को लाइटिंग से सजाया गया है. राम मंदिर की प्रतिकृति की वुडन मॉडल की खूब चर्चा हो रही है. वुडेन मॉडल में बहुरंगी लाइट भी लगा रखी है, जिससे मंदिर मॉडल को देख हर कोई आकर्षित हो रहा है. बता दें कि इन मॉडल (प्रतिकृति) को बनाने वाले कारोबारियों के अनुसार देशभर के अलावा विदेशों में आपूर्ति की जा रही है। मॉडल में राम जन्मभूमि स्थल पर निर्माणाधीन भव्य मंदिर के डिजाइन को दर्शाया गया है। बाजार में लकड़ी, पीतल और सोने-चांदी से बने श्रीराम मंदिर की प्रतिकृति की मांग बढ़ी है। 22 जनवरी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे बाजार में भी राममय माहौल की झलक बढ़ रही है। मूर्ति कारोबार ने बताया कि इस समय पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। राम मंदिर के अलावा गदा, त्रिशूल, शंख और घंटों की मांग बढ़ी है। बनारस से धनुष बाण ऑर्डर मिले हैं। राम मंदिर एक फीट से दो फीट तक का है। पांच फीट की राम मूर्ति की सबसे ज्यादा मांग है।


आपूर्ति करना हुआ मुश्किल

निर्यातक ने बताया कि अयोध्या सबसे ज्यादा राम मंदिर की प्रतिकृति जा रही है, क्योंकि देशभर से श्रद्धालु वहीं आ रहे हैं। विदेशी किसी बैठक, कार्यक्रम में आ रहे हैं तो अब राम मंदिर का मॉडल दिया जा रहा है। उपहार में दिए जाने वाली अन्य सभी वस्तुओं की मांग घट गई है। बरेली में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला हुई थी। वहां पर भी राम मंदिर का मॉडल दिया गया था। दुकानदारों का कहना है कि लकड़ी के टुकड़ों से निर्मित राम मंदिर अयोध्या की प्रतिकृति इस समय खूब बिक ही है। विश्व संवाद केन्द्र के नागेन्द्र द्विवेदी की मानें तो 22 जनवरी के दिन हर घर में राम मंदिर स्थापित कर पूजा-पाठ करने के लिए हिन्दू परिवारों का आह्वान किया गया है। इसका असर बाजारों में बढ़ी प्रतिकृति राम मंदिर के डिमांड से देखा जा सकता है। इस प्रतिकृति को तैयार करने में लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। एक हस्तशिल्प इकाई को लेजर-कटिंग तकनीक के माध्यम से पाइनवुड बोर्ड से बने राम मंदिर मॉडल की जबरदस्त डिमांड है। इसका इस्तमाल लोग उपहार सामग्री के रूप में भी कर सकते है। हस्तनिर्मित राम मंदिर अयोध्या मॉडल प्रतिकृति का रंग भूरा है। इस प्रतिकृति का रंग रोगन बेहद आकर्षक है और अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के मानचित्र की कॉपी कर लकड़ी के टुकड़ों से मॉडल तैयार किया गया है। मंदिर की फाउंडेशन में स्टिक के बीम बनाए गए है। ऊपर पेस्टिंग का कार्य किया गया है। शिखर पर भी स्टिक के ध्वज बनाएं गए है। बाजारों में राम मंदिर मॉडल की अचानक मांग बढ़ गई है। हम हर सप्ताह अकेले वाराणसी में विभिन्न आकारों के लगभग 500 मॉडल भेजते हैं। प्राण प्रतिष्ठा की तिथि तय होने के बाद से मांग विशेष रूप से बढ़ गई है।


ज्वेलरी रुप में भी बिक रही है प्रतिकृति राम मंदिर

ज्वेलरी के दुकानों में भी अयोध्या के राम मंदिर की थीम पर ज्वेलरी बनाई गयी है। ज्वेलरी से बने मंदिर की प्रतिकृतियो की मांग है। सोने-चांदी की राम मंदिर प्रतिकृति भक्तों को आकर्षित कर रही है। ज्वेलरी विक्रेताओं का कहना है कि “भगवान राम के विशिष्ट व्यक्तित्व के गुणों और उनके द्वारा प्रचारित मूल्यों को फैलाने के इरादे से, मंदिर की प्रतिकृति कारीगरों से बनवाया गया है। मंदिर के मॉडल को रंगने के अलावा 40 हिस्सों को ठीक करने के लिए फेविकोल और बॉल पिन का इस्तेमाल किया गया है। उनका कहना है कि जो राम मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या तक यात्रा नहीं कर सकते हैं, कम से कम मंदिर के समान दिखने वाले मॉडल को अपने घर में रखकर पूजा-अर्चना कर अपने को धन्य महसूस कर सकते है। प्रतिकृति की एक झलक पाने के बाद युवाओं को असली मंदिर देखने की प्रेरणा मिल सकती है।


लोगों के दिलों में बसते है राम : नागेन्द्र द्विवेदी

विश्व संवाद केन्द्र के नागेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन से लेकर राम मंदिर बनने तक का सफर लोगों ने आंखों से देखा है। इससे कई पीढ़यिं जुड़ी रही हैं। ऐसे में तथ्यों को छुपाया या तोड़ा-मरोड़ा नहीं जा सकता है। यहां बीजेपी के पास बड़ा ’एडवांटेज’है। राम मंदिर के लिए उसका संघर्ष इतिहास के पन्नों में दर्ज है।

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