सीहोर : श्रीराम कथा जीवात्मा को परमात्मा से मिलाती है : जगदगुरु महावीर दास ब्रह्मचारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 15 जनवरी 2024

सीहोर : श्रीराम कथा जीवात्मा को परमात्मा से मिलाती है : जगदगुरु महावीर दास ब्रह्मचारी

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सीहोर। कलियुग में श्रीराम कथा मोक्षदायनी है। राम कथा जीवात्मा को परमात्मा से मिलाती है।  भगवान श्रीराम को पाने के लिए किसी समीक्षा, परीक्षा की आवश्यकता नहीं है, राम को पाने के लिए तो भक्ति और प्रतीक्षा ही जरूरी। उक्त विचार श्रीरामलला विराजमान एवं प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में शहर के चाणक्यपुरी स्थित श्री गोंदन सरकार धाम में आयोजित पांच दिवसीय श्रीराम कथा के दौरान जगदगुरु महावीर दास ब्रह्मचारी जी ने कहे। सोमवार से आरंभ हुई पांच दिवसीय भव्य कथा के पहले दिन जगदगुरु ब्रह्मचारी जी ने कहा कि माता शबरी को रामायण के पात्रों में विशेष स्थान दिया गया है। शबरी माता ने अपना संपूर्ण जीवन श्रीराम की भक्ति में बिताया. रामायण के अनुसार सीता की खोज करते हुए भगवान राम की शबरी से भेंट हुई थी। इसके लिए उन्होंने सालों तक मर्यादा पुरुषोत्तम राम की प्रतीक्षा की। रामायण के उस प्रसंग को तो सभी जानते हैं कि श्रीराम ने शबरी के हाथों से बेर खाए थे, शबरी माता को श्रीराम की भक्ति का वरदान दिया था। भगवान राम की कथा हमें परिवार को शांतिमय जीवन की शिक्षा प्रदान करती है शत मार्ग व रास्ता दिखाती है। उन्होंने कहा कि सगुण और निर्गुण के अलावा अन्य विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि धर्म की स्थापना ही भगवान के अवतार के मूल कारण है। भगवान के दो द्वारपाल हैं जय और विजय, यदि हमें ईश्वर तक पहुँचना है तो अपने इंद्रिय पर जय और मन पर विजय करना होगा जय और विजय तीनों जन्म में राजा बने। एक बात साफ है कि आप एक बार भगवान के हो गए तो यदि आप का पतन भी हो जाए तो भी आप ऊंचाई पर ही रहेंगे। व्यक्ति समाज में रावण कैसे बनता है। समाज में जब उसे उच्च पद प्राप्त हो जाता है तो उसका अभिमान जागृत हो जाता है अभिमान ही मनुष्य को रावण बना देता है जय और विजय भगवान के द्वारपाल के पद की प्राप्ति के पश्चात इतने मदमस्त हो गए कि इन्होंने सप्त ऋषियों को भगवान से मिलने से रोका और श्राप से राक्षस हुए। भगवान तक कोई वस्तु यदि पहुंचाना है तो दो ही स्थान है एक अग्नि दूसरा ब्राह्मण। अग्नि में हवन से और ब्राह्मण को भोजन कराने से भगवान प्रसन्ना हो जाते हैं। ब्रह्मचारी जी ने भारत वर्ष की महानता और सनातन धर्म की विश्व में भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इस संबंध में पंडित जितेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि चाणक्यपुरी स्थित श्री गोंदन सरकार धाम में आयोजित पांच दिवसीय श्रीराम कथा दोपहर एक बजे से आरंभ होती है। कथा के यजमान श्रीमती रागिनी, वीरेन्द्र राजपूत, कमलेश दिनेश सिंह राजपूत, अनीता देवेन्द्र सिंह भदौरिया, अंजू राजवीर सिंह जादोन और सरोज पी एन साहू आदि ने पूजा अर्चना की।

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