समय के साथ साथ इंसान ने ऐसी चीजें खोज ली हैं जो हर संभव सफलता हासिल कर उसके जीवन को आसान बना रही है. इसमें विज्ञान और टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा योगदान है. इसकी मदद से आज इंसान दुनिया के एक कोने से बैठकर किसी भी कोने में आसानी से लोगों से बात कर सकता है. धरती पर बैठकर इंसान ब्रम्हांड की खोज कर रहा है. चंद्रमा पर चंद्रयान और सूर्य पर अपने मिशन भेज रहा है. ऐसा लगता है मानों मनुष्य विकास के सभी चरणों को पार करने की कगार पर है. टेक्नोलॉजी के विकास ने न केवल दूरियां मिटा दी हैं बल्कि रोज़गार के अनगिनत दरवाज़े भी खोल दिए हैं. एक समय था जब इंसान पैसा कमाने के लिए दर दर भटकता था, लेकिन आज प्रति दिन लाखों रुपये महीना कमा रहा है. आज व्यक्ति के लिए रोजगार के अनेकों अवसर हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि युवा पीढ़ी बेरोजगारी से तंग है. नौकरियों के लिए अवसर तलाश रहा है. एक एक पद के लिए हज़ारों बेरोज़गार नौजवान आवेदन करते हैं. लेकिन टेक्नोलॉजी के इस युग में युवा पीढ़ी को अब अपनी सोच बदलनी चाहिए. उसे अब नौकरी ढूंढने की बजाय नौकरी देने वाला बनने पर ध्यान देना चाहिए. हालांकि यह सच है कि यदि हम समाज में रोजगार के अवसर पैदा करने में अपनी भूमिका निभाएंगे तो इससे ज्यादा मदद नहीं मिलेगी क्योंकि अवसरों के साथ साथ कई स्तरों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. यही कारण है कि वर्तमान समय में बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रही युवा पीढ़ी हर तरह के कानूनी और गैरकानूनी हथकंडे अपना रही है. कुछ नौजवान नशीली दवाओं के इस्तेमाल और गलत कार्यों की ओर कदम बढ़ाने लगे हैं, जो किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है. अगर युवा पीढ़ी को बेहतर दिशा में ले जाना है तो उन्हें इस ओर जाने की बजाय स्वरोजगार और दूसरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के अवसर ढूंढने होंगे.
आज हमारे पास आगे बढ़ने के कई अवसर हैं. लेकिन मुद्दा यह है कि सही दिशा में कदम किस प्रकार उठाया जाए, जिससे कि परिवार, समाज और देश को फायदा पहुंचे? इसके लिए यदि सरकार और प्रशासन के साथ-साथ युवा भी आगे आएं तो निश्चित तौर पर हमारा समाज विकास की राह पर चल सकता है. युवाओं को अपने रोजगार और आजीविका के लिए अपने माता-पिता या बुजुर्गों का मुंह ताकने की बजाय खुद अपने हाथ आगे बढ़ाने चाहिए ताकि वे समाज में अपनी भूमिका निभा सकें. इस काम के लिए सरकार भी उनकी मदद करने को तैयार है. जिसका युवाओं को फायदा उठाना चाहिए. देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू के सीमावर्ती जिला पुंछ में भी युवाओं में बढ़ती बेरोज़गारी और उनका गलत दिशा में कदम उठाने की समस्या आम है. इस संबंध में पुंछ निवासी 22 वर्षीय सैय्यदा तैयबा कौसर कहती हैं कि आज युवाओं के पास भरपूर क्षमता और कौशल है, इसे साबित करने के लिए पर्याप्त अवसर भी हैं. उन्हें केवल अपने लक्ष्य को परिभाषित करने की आवश्यकता है. टेक्नोलॉजी इस कार्य में बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है. इसकी मदद से न केवल युवा पीढ़ी रोजगार प्राप्त कर सकती है बल्कि नौकरी प्रदाता भी बन सकती है. वहीं 24 साल के युवा अज़हर अली कहते हैं कि "मैं अच्छा क्रिकेट खेलता हूं, लेकिन मेरे पास क्रिकेट को बेहतर बनाने के लिए कोई प्रभावी सुविधाएं नहीं हैं. यदि मुझे सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तो मैं क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन कर सकता हूं." अज़हर का कहना है कि अगर युवाओं को समय पर सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तो निश्चित तौर पर वह विकास में बेहतर भूमिका निभा सकता है. इससे समाज और देश का विकास होगा. उनका मानना है कि आवश्यक और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण ही युवा पीढ़ी भटक रही है.
इस संबंध में 22 वर्षीय युवा मुहम्मद वकार सलाह देते हैं कि 'स्कूल स्तर पर खेल गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि युवा नशे की बजाय अन्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें और स्वरोजगार के अवसर स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ सकें. 27 वर्षीय एजाज हुसैन का कहना है कि बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए उन्हें अवसर प्रदान करने चाहिए ताकि युवा पीढ़ी बेरोजगारी का रोना न रोयें बल्कि अपने और अपने देश के हित के लिए आगे आएं. राशिद नाम के एक युवक का कहना है कि आज बच्चों के क्या शौक हैं और वे क्या करना चाहते हैं? इस संबंध में उनके माता-पिता को विशेष ध्यान देना चाहिए और उसी दिशा में बच्चे को प्रेरित करनी चाहिए. पहले की तुलना में आज रोजगार के बहुत अधिक अवसर उपलब्ध हो गए हैं जिसकी तरफ विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि खेल, इंटरनेट, गायन, नृत्य, कला, पेंटिंग, फोटोग्राफी, कलमकारी जैसे कई क्षेत्र हैं जिनमें कोई भी प्रयास कर सकता है. आज कई युवा लड़के और लड़कियां इसका उदाहरण हैं जिन्होंने इसका लाभ उठाकर जीवन में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं. इस समय केंद्र से लेकर सभी राज्यों की सरकार की ओर से युवाओं की स्किल से संबंधित विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसके लिए उन्हें धन भी उपलब्ध कराया जा रहा है. इसमें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) गरीबी उन्मूलन परियोजनाओं में से एक सबसे अच्छी है. जो स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है और ग्रामीण लोगों, विशेषकर गरीब नौजवान युवक-युवतियों की मदद कर रही है. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गरीबों को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करना और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ना है. जम्मू और कश्मीर में, यह कार्यक्रम जम्मू और कश्मीर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (जेकेएसआरएलएम) द्वारा चलाया जा रहा है. इसका उद्देश्य उन्हें लाभकारी आजीविका में शामिल करना और उनकी आय में सुधार सुनिश्चित करना है. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमज़ोर युवाओं को अपने और अपने परिवार के बारे में सकारात्मक सोचने में सक्षम बनाना और सरकारी योजनाओं का सभी प्रकार से लाभ प्राप्त करने वाला बनाना है.
वर्तमान में, जेकेएसआरएलएम का लक्ष्य जम्मू कश्मीर के 125 ब्लॉकों में 66% ग्रामीण आबादी तक पहुंचना और उन्हें स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना है ताकि वे गरीबी रेखा से बाहर आ सकें और सम्मानजनक जीवन स्तर जी सकें. भारत सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं ताकि गरीबों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके. ऐसे में युवा पीढ़ी को सरकार द्वारा शुरू की गई सभी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आगे आना चाहिए ताकि वह रोजगार के मांमले में आत्मनिर्भर बन सकें. वे नौकरी मांगने वालों की बजाय नौकरी प्रदाता बने और दूसरों की मदद कर समाज को विकसित बनाने में अपना योगदान दें. इसके लिए संबंधित विभागों को भी अधिक से अधिक जानकारी और मार्गदर्शन के लिए आगे आना चाहिए ताकि योजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन हो सके और इन योजनाओं के लक्ष्यों को समय पर हासिल किया जा सके.
सुहैल अली
पुंछ, जम्मू
(चरखा फीचर)
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