सीहोर : मरीह माता पर गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन हवन कर आहुतियां दी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

सीहोर : मरीह माता पर गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन हवन कर आहुतियां दी

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सीहोर। शहर के विश्रामघाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर हर साल की तरह इस साल भी गुप्त नवरात्रि का पर्व आस्था के साथ मनाया जा रहा है। मंगलवार को साधकों के द्वारा सुबह और शाम को हवन कर आहुतियां दी गई। इस मौके पर ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा के मार्ग दर्शन में दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया गया। इस दौरान मंदिर के व्यवस्थापक रोहित मेवाड़ा, जिला संस्कार मंच की ओर से जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, सुमित भानु उपाध्याय और कमलेश राय आदि शामिल थे। इसके पश्चात प्रसादी का वितरण किया। पंडित श्री शर्मा ने बताया कि नवरात्रि में चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।  इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्मांडा। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है। उन्होंने बताया कि अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है। विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है। ये देवी आधियों-व्याधियों से मुक्त करती हैं और उसे सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं। अंतत: इस देवी की उपासना में भक्तों को सदैव तत्पर रहना चाहिए।

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