पटना, पिछले साल दिसंबर में संसद में सुरक्षा उल्लंघन को लेकर दर्ज यूएपीए मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी व्यक्तियों के बारे में दिल्ली की एक अदालत को सूचित किया गया है कि उन्हें यातना दी गई, विभिन्न कोरे कागजातों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया और कथित अपराध व राजनीतिक दलों के साथ संबंध कबूल करने के लिए बिजली के झटके दिए गए. जबकि हर कोई जानता है कि उन आरोपी व्यक्तियों को भाजपा के एक सांसद के सौजन्य से संसद भवन में प्रवेश का पास मिला था और गृह मंत्री अमित शाह से जब संसद सुरक्षा उल्लंघन पर बयान की मांग गई, तब विपक्षी सांसदों को निलंबित तक कर दिया गया. भारत के प्रदर्शनकारी युवाओं को जेल, यातना और हत्या - हमें केवल यह दिला सकती है कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासक हम पर कैसे शासन करते थे. कारावास और यातना से लेकर छल-प्रपंच, घृणा और विभाजन तक, मोदी शासन ने औपनिवेशिक ब्लूप्रिंट के हर सिद्धांत की नकल की है. भगत सिंह ने हमें इन्हीं भूरे अंग्रेजों द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा के बारे में आगाह किया था. स्वतंत्र भारत को इस दमनकारी शासन का अंत करना ही होगा.
गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024
पटना : मोदी शासन ने औपनिवेशिक ब्लूप्रिंट के हर सिद्धांत की नकल की है : दीपंकर भट्टाचार्य
Tags
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
Labels:
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संपादकीय (खबर/विज्ञप्ति ईमेल : editor@liveaaryaavart या वॉट्सएप : 9899730304 पर भेजें)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें