- आजकल युवा न सिर्फ नशे के आदी बन रहे हैं, बल्कि इंटरनेट की अनियंत्रित उपयोगिता का अडिक्शन भी उनमें बढ़ा्र-डॉ. प्रदीप पाटील
- तीन सौ से अधिक युवाओं और बच्चों की जांच निशुल्क कराई
मोबाइल अडिक्शन शराब और ड्रग्स वाले नशे से भी बढ़कर
डॉ. पाटील ने कहा कि मोबाइल एडिक्शन शराब और ड्रग्स वाले नशे से भी बढ़कर है। इसकी वजह से बच्चों में नींद न आना, भूख की कमी, दिमाग पर बुरा असर और आख खराब होने जैसी समस्यायें उत्पन्न होने लगती हैं। किसी व्यक्ति में इस लत के आने से पहले तक मोबाइल के किरदार को देखें तो ये एक ऐसा माध्यम था जिसने जीवन को बिल्कुल ही सरल बना दिया था। किसी से बात करनी हो या कोई सन्देश भेजना है तो यह काम झट से हो जाता है। इसके अलावा खतरनाक गेम जो कभी-कभी अवसाद में ले जाकर आत्महत्या के कगार पर छोड़ जाते हैं।
आज किया जाएगा समापन
केन्द्र के संचालक राहुल सिंह ने बताया कि मानसिक आरोग्य केन्द्र के तत्वाधान में इशा फाउडेशन के सहयोग से तीन दिवसीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय शिविर का शनिवार को समापन किया जाएगा। मनोरोग, सरदर्द, अनिद्रा, उदासी, पागलपन, सम्मोहन, आत्महत्या निवारण, बाल मानस व्यसनमुक्ति, मिर्गी एवं लैंगिक समस्या आदि के विशेष संबंधित मरीजों के साथ परामर्श करेंगे और उनका निशुल्क इलाज की व्यवस्था की जाएगी।
एक दर्जन से अधिक पाइंट पर दूसरे दिन चर्चा
केन्द्र के संचालक श्री सिंह ने बताया कि दूसरे दिन शुक्रवार को मोबाइल के नशे के बढ़ते चलन, अनिद्रा, घबराट, मन अशांत रहने की समस्या, कान में विभिन्न आवाज के बारे में जानकारी, सेक्स की समस्या, भूख कम आना, उदास एवं निराश रहना, किसी बात में आनंद कम आना, मन न लगना, कुछ करने की इच्छा न होना, मन में आत्महत्या का विचार आना आदि समस्याओं के बारे में अवगत किया गया। शनिवार को बीएएमएस डॉ. दीपक सेन आदि के द्वारा मानसिक रोग सहित अन्य विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।
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