विशेष : श्रवण-एक कला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 13 मार्च 2024

विशेष : श्रवण-एक कला

हर व्यक्ति को ध्यान से सुनना और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देना यह एक बहुत बड़ी कला है। आजकल इस भागदौड़ की ज़िन्दगी में और स्वकेन्द्रित होने की प्रवृत्ति की वजह से हर व्यक्ति अपनी बात को दूसरे तक पहुँचाना चाहता है लेकिन किसी की भी बात सुनने का वक्त उसके पास नहीं है। जबकि किसी की बात को ध्यान से सुनना, बीच में नहीं टोकना और जहाँ तक हो सके उस पर अपने विचार भी व्यक्त करना, बात करने वाले व्यक्ति को एक ऐसा सन्तोष देता है जिससे उसके मन में चल रही उथल-पुथल को शान्ति मिलती है और वह काफी राहत महसूस करता है। जिस तरह एक मरीज जब डाक्टर के पास जाता है तो वह अपनी सारी परेशानी व तकलीफ डॉक्टर को विस्तार से सुनाता है और डॉक्टर अगर उसे तसल्ली से सुनता है और अपनी तरफ से और सवाल पूछकर ज्यादा जानकारी हासिल करता है तो वह मर्ज को अच्छी तरह से पकड़ सकता है। उसका सही इलाज कर सकता है। साथ ही वह मरीज को एक मानसिक शान्ति भी प्रदान करता है। मरीज को लगता है कि डॉक्टर ने उसकी बात को ठीक से सुना और उसे पूरा समय दिया। इससे उस मरीज के मन में डॉक्टर के प्रति आत्मीयता व सम्मान बढ़ेगा।


एक व्यक्ति जब अपने मन की बात दूसरे के समक्ष रखता है तो वह चाहता है कि सामने वाला व्यक्ति तसल्ली से उसकी बात को सुने, उसे गहराई से जाने, अगर उसे कोई परेशानी है तो उसे ध्यान से सुनकर उसका समाधान भी बताए। लेकिन आजकल का व्यक्ति अपनी बात हर आदमी तक पहुँचाना चाहता है।, अपनी प्रशंसा सुनना चाहता है, अपनी बढ़ाई के गुणगान करके अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना चाहता है, लेकिन उसके पास सामने वाले की बात सुनने का समय नहीं है या उसको उसका कोई अंदाजा नहीं है। किसी व्यक्ति में अगर सबकी बातों को ध्यान से सुनने की क्वालिटी है तो वाकई यह एक बहुत बड़ी कला है। क्योंकि बहुत-सी समस्याओं का समाधान चुप रहकर और सामने वाले की बात को सुनकर ही हो सकता है। अपना-अपना राग अलापने से किसी के भी पल्ले कुछ नहीं पड़ता और समस्या वहीं की वहीं बनी रहती है। कई बार किसी दुखी व्यक्ति की बात को तसल्ली से सुन लेना ही उसके आधे दुख को दूर कर देता है और कई बार मन में बातों का इस तरह गुबार इकट्ठा होता है कि जब तक उन्हें किसी को सुना न दिया जाए मन हल्का नहीं होता है। लेकिन उसके लिये आवश्यक है कोई सुनने वाला व्यक्ति मिले। हमेशा चुप रहकर सामने वाले की बात सुननी चाहिए। उसे भी बोलने का मौका देना चाहिए। इससे वह तो अपनी बात प्रभावशाली तरीके से आप तक पहुँचा ही पाएगा, साथ-साथ आपकी जानकारी में भी इज़ाफा होगा। अतः चुप रहकर सुनना एक अच्छी आदत है। इसे अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करना चाहिए।





Dr-alka-agrawal

-डॉ. अलका अग्रवाल

निदेशिका, मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस

वसुंधरा, गा़ज़ियाबाद

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