वाराणसी : माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 28 मार्च 2024

वाराणसी : माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत

  • तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए जेल से पहुंचाया गया था मेडिकल कॉलेज
  • वाराणसी सहित पूरे पूर्वांचल में धारा 144 लागू, पुलिस अलर्ट सड़क से लेकर मुहल्लों तक में बढ़ायी गयी सुरक्षा व्यवस्था
  • बड़ी संख्या में पैरा मिलिट्री फोर्स की तैनाती की गई, डीजीपी मुख्यालय ने सतर्कता बरतने के निर्दश दिए हैं

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बांदा/वाराणसी (सुरेश गांधी)। पूर्वांचल का माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है. मुख्तार अंसारी बांदा मेडिकल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. 9 डॉक्टरों की टीम निगरानी कर रही थी. बांदा मेडिकल कॉलेज की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक कार्डियक अरेस्ट की वजह से मुख्तार अंसारी की मौत हुई है। मुख्तार अंसारी पर 65 से ज्यादा मुकदमें दर्ज थे. 21 सितंबर 2002 को पहली बार सजा हुई थी. 2 केस में उम्र कैद की सजा हुई थी. 17 महीने में 8 बार सजा हुई थी. माफिया मुख्तार के परिवार के सदस्य सहित छोटा बेटा उमर अंसारी, बड़े बेटे अब्बास अंसारी की पत्नी निखत और अफजाल अंसारी व हाईकोर्ट में मुख्तार अंसारी की पैरवी करने वाले वकील अजय श्रीवास्तव देर रात बांदा पहुंचे। पुलिस के मुताबिक जेल की बैरक में मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब होने पर जेल प्रशासन रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले आया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। यहां मुख्तार के इलाज में 9 डॉक्टरों की टीम लगाई गई। हालांकि, मुख्तार की जान नहीं बच सकी। इससे पहले मंगलवार को उसे मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने कब्ज की समस्या बताई थी और इलाज के बाद उसी दिन कारागार भेज दिया था। बुधवार को जेल में उसके स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया था, जिसमें सब सामान्य मिला था।


मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू

मुहम्मदाबाद मे मुख्तार के पैतृक घर मे लोगों का इकट्ठा होना शुरू हो गया है. मुख्तार के घर के आसपास पुलिस फोर्स तैनात की गई है.गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ पुलिस को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं. सोशल मीडिया में अफवाह, भड़काऊ, या आपत्तिजनक पोस्ट पर कार्यवाई के निर्देश दिए गए हैं. मुख्तार की मौत के बाद मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है.


आरोप

60 वर्ष के हो चुके मुख्तार ने सुनवाई के दौरान अदालत में आरोप लगाया था कि जेल में उसकी हत्या का प्रयास किया जा रहा है। उसे खाने में धीमा जहर दिया जा रहा है, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ रही है। मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने जेल प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी थी।


कैसे बना डॉन

गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान प्रथम राजनीतिक परिवार की है. उनके दाददा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र दिया गया था. मुख्तार को भी जिंदगी के शुरुआती दौर में क्रिकेट का शौक था. मगर, फिर वह माफिया बनने की राह पर चल निकला. मुख्तार अंसारी भले ही उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध का चेहरा बन गया था. मगर, गाजीपुर में उनके परिवार की पहचान प्रथम राजनीतिक परिवार की है. करीब 18 सालसे ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वो 1926-27 में कांगके अध्यक्ष भी रहे. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र दिया गया था. मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा हैं. वहीं, मुख्तार अंसारी की कहानी विरोधाभासों से भरी पड़ी है. बताते हैं कि मुख्तार अंसारी क्रिकेट खेलने का शौकीन था. मगर, कॉलेज के जमाने में ही वह साधु सिंह के गैंग में शामिल हो गया. इसके बाद जुर्म की दुनिया में उसने ऐसे कदम बढ़ाए कि फिर लौटना मुश्किल हो गया.


मुख्तार के नाम से कांपता था सूबा

रौबदार मूंछों वाला मुख्तार जीवन के आखिरी पड़ाव पर भले ही व्हील चेयर पर बैठा दिखता रहा था, लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के पहले मऊ..और उसके आसपास के इलाके में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती रही. अब अंसारी की ठिकानों को जमींदोज किया जा रहा हो. मगर, कभी एक वक्त था जब पूरा सूबा मुख्तार से कांपता था.


1996 में पहली बार बना था विधायक

वह बीजेपी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी में शामिल रहा. यही वजह रही कि वह 24 साल स.से लगातार यूपी की विधानसभा पहुंचता रहा. साल 1996 में ठैच् के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख्तार अंसारी ने साल 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की. इनमें से आखिरी 3 चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते. राजनीति की ढाल ने मुख्तार को जुर्म कीकी दुनिया का सबसे खरा चेहरा बना दिया था और हर संगठित अपराध में उसकी जड़ें गहरी होती चली गईं.


2002 के बाद बढ़ा खौफ

सियासी अदावत से ही मुख्तार अंसारी का नाम बड़ा हुआ. साल 2002 ने मुख्तार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दी. इसी साल बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छी ली थी. यह बात मुख्तार अंसारी को नागवार गुजरी. इसके बाद कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई. कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमले के लिए ऐसी जगह को चुना गया था, जहां से गाड़ी को.चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमले के लिए ऐसी जगह को चुना गया था, जहां से गाड़ी को दाएं-बाएं मोड़ने का कोई रास्ता नहीं था. हमलावरों ने ।ज्ञ-47 से करीब 500 गोलियां दागी थीं. इस हमले में कृष्णानंद राय समेत गाड़ी में मौजूद सभी सातों लोग मारे गए थे.इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था. बाद में इस केस की जांच यूपी पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी गई थी. कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केस 2013में गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. मगर, गवाहों के मुकर जाने से ये मामला नतीजे पर न पहुंच सका. दिल्ली की स्पेशल अदालत ने इस केस में साल 2019 में फैसला सुनाते कहा था कि अगर गवाहों को ट्रायल के दौरान विटटनेस प्रोटेक्शन स्कीम 2018 का लाभ मिलता, तो नतीजा कुछ और हो सकता था. गवाहों के मुकर जाने की वजह से मुख्तार अंसारी जेल से छूट गया. हालांकि, मुख्तार अंसरी भले ही जेल में रहा, लेकिन उसका गैंग हमेशा सक्रिय रहा.


योगी सरकार के आने के बाद शुरू हुए बुरे दिन

योगी सरकार आने के बाद मुख्तार अंसारी के बुरे दिन शुरू हो गए. उस पर उत्तर प्रदेश में 52 केस दर्ज हैं. यूपी सरकार की कोशिश 15 केस में मुख्तार को ज.जल्द सजा दिलाने की थी. योगी सरकार अब तक अंसारी और उसके गैंग की 192 करोड़ रुपये से ज्यादा संपत्तियों को या तो ध्वस्त कर चुकी है या फिर जब्त कर चुकी है. मुख्तार गैंग की अवैध और बेनामी संपत्तियों की लगातार पहचान की जा रही है. मुख्तार गैंग के अब तक 96 अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इनमें से मुख्तार के 5 गुर्गों पर गैंगेस्टर एक्ट में कार्रवाई की जा चुकी है. 

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