- प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के अंतर्गत निकाली गई कलश यात्रा, श्रद्धालुओं ने लगाए जयकारे
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सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम चंदेरी में इन दिनों एकादश कुण्डीय श्रीराम महायज्ञ, प्राण-प्रतिष्ठा समारोह और संगीतमय श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर ग्राम में नवनिर्मित श्रीराम की जाने वाली प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का शुभारंभ गुरुवार को भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया था। इस मौके पर कलश यात्रा के साथ ही श्रीराम कथा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। श्रीराम कथा के तीसरे दिन पंडित देवेन्द्र शास्त्री ने भगवान श्रीराम की बाललीला का बखान किया। राम कथा के दौरान उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम का जन्म अवध नरेश राजा दशरथ के यहां हुआ। श्रीराम के सभी अंग अत्यंत सुडौल और सुंदर थे। उनको देखते ही मन लुभा जाता था। राजा दशरथ और रानी कौशल्या के प्रेम में वशीभूत होकर श्री राम पवित्र बाल लीला करते थे। एक बार माता कौशल्या ने श्रीराम को स्नान और श्रृंगार करा कर झूला पर सुला दिया और स्वयं स्नान कर अपने कुलदेव की पूजा कर नैवेद्य भोग लगाकर पाक गृह गई। जब वह पुन लौट कर पूजा स्थल पर आई तो उन्होंने देखा कि देवता को चढ़ाए गए नैवेद्य शिशुरूपी भगवान राम भोजन कर रहे हैं। जब उन्होंने झूला पर जाकर देखा तो वहां भी उन्होंने श्री राम को झूले पर सोते पाया। इस तरह पूजा स्थल और झूला के पास उन्होंने कई चक्कर लगाया और दोनों जगह पर उन्होंने श्रीराम को पाया। इस दृश्य को देखकर कौशल्या डर गई और कांपने लगी। माता की अवस्था देख श्री राम ने माता को अपना अद्भुत रूप दिखाया। उन्होंने दिखलाया कि उनके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्मांड लगे हुए हैं। भगवान का विराट रूप देखकर कौशल्या माता प्रफुल्लित हो गई और आंखें मूंदकर भगवान के चरणों पर गिर पड़ी। भगवान श्रीराम ने माता को बहुत समझाया और कहा कि हे माता यह बात आप किसी से ना कहेंगी। राम कथा सुनने को लेकर काफी संख्या में भक्तजनों की भीड़ उमड़ रही है। राम कथा के दौरान गायक मंडली द्वारा भजन आदि सुना कर भी श्रद्धालुओं का मन मोहा जा रहा है।
भव्य कलश यात्रा का पुष्प वर्षा कर किया स्वागत
गुरुवार को निकाली गई भव्य कलश यात्रा पुरानी चंदेरी से शुरू होकर यज्ञ स्थल पहुंची। यज्ञ का संचालन कर रहे धर्मरक्षक और मंदिर जीर्णोद्धारक पंडित दुर्गा प्रसाद कटारे द्वारा किया गया। यात्रा में प्रमुख रूप से जिला पंचायत अध्यक्ष पति सुरेन्द्र सिंह मेवाड़ा आदि उपस्थित रहे। कलश यात्रा के बाद आचार्य विद्वान पंडित द्वारा कार्यक्रम को संपन्न कराया गया। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं और क्षेत्रवासी शामिल थे। जिनका घर-घर से पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।
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