सीहोर : मरीह माता मंदिर पर आज किया जाएगा कन्या भोज और बुधवार को भंडारा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 15 अप्रैल 2024

सीहोर : मरीह माता मंदिर पर आज किया जाएगा कन्या भोज और बुधवार को भंडारा

  • 151 पार्थिव और 12 ज्योर्तिलिंग बनाकर की पूजा अर्चना

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सीहोर।  हर साल की तरह इस साल भी नवरात्रि के पावन अवसर पर शहर के विश्रामघाट स्थित चौसट योगनी मरीह माता मंदिर में आस्था और उत्साह के साथ पर्व जाएगा। इस मंदिर में गुप्त नवरात्रि के अलावा चैत्र और शरदीय सभी नवरात्रि को विशेष हवन पूजन का आयोजन किया जाता है।   सोमवार को भगवान शिव की भक्ति के साथ शक्ति की पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर सुबह यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं ने यज्ञाचार्य पंडित उमेश दुबे के मार्गदर्शन में यज्ञ में आहुतियां दी, वहीं उसके पश्चात पंडित सुनील कुमार पाराशर के मार्गदर्शन में 151 पार्थिव और 12 ज्योर्तिलिंगों का निर्माण कर पूर्ण विधि-विधान से पूजा की गई। इस मौके पर मंदिर के प्रबंधक रोहित मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा आदि शामिल थे। अब मंगलवार महाष्टमी पर कन्या भोज के अलावा रात्रि बारह बजे महानिशा आरती के अलावा बुधवार को भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा। पंडित श्री पाराशर ने बताया कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा से पहले श्री गणेश, भगवान विष्णु, नवग्रह और देवी पार्वती की आराधना करना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, आंकड़ा आदि समर्पित करें। कच्चे गाय के दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें। पंचमेवा, पंचामृत, मिठाई, फल, धतूरा, भांग आदि का भोग लगाएं और अंत में बाबा भोलेनाथ की आरती उतारें। शिव पुराण के मुताबिक, पार्थिव शिवलिंग के पूजन से जीवन में आ रही कई समस्याओं का समाधान होता है। इसके अलावा मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। पार्थिव शिवलिंग को लेकर पौराणिक कथा है कि कलयुग में सबसे पहले कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव शिवलिंग की पूजा शुरू की थी। पार्थिव शिवलिंग की पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करने से समस्त कष्टों का नाश हो जाता है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि इन 12 जगहों पर शिव जी ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं, इस वजह से इन 12 मंदिरों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर (विश्वनाथ), त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुष्मेश्वर (घृष्णेश्वर) शामिल हैं।


भजन गायक पंडित सुनील शर्मा ने सुनाए देवी और गणेश के भजन

वहीं शाम को शहर के भजन गायक पंडित सुनील पाराशर ने घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो, सभी भक्तों ने माताजी के जयकारों के साथ ही भजनों की प्रस्तुतियां शुरू हुई, जिसमें बड़ा प्यारा सजा तेरा द्वार भवानी, किसने सजाया तुमको मैया, आओ मैया जी तुम्हें भोग लगाए, जैसे भजनों पर माता को रिझाया।


मां कालरात्रि के महत्व को बताया

इस मौके पर पंडित श्री पाराशर ने यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं को देवी मां कालरात्रि के बारे में बताया कि एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक रक्तबीज नाम का राक्षस था। मनुष्य के साथ देवता भी इससे परेशान थे।रक्तबीज दानव की विशेषता यह थी कि जैसे ही उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरती तो उसके जैसा एक और दानव बन जाता था। इस राक्षस से परेशान होकर समस्या का हल जानने सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव को ज्ञात था कि इस दानव का अंत माता पार्वती कर सकती हैं। भगवान शिव ने माता से अनुरोध किया। इसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति व तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस रूप में मां पार्वती कालरात्रि कहलाई। सोमवार को मंदिर के प्रबंधक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, पंडित उमेश दुबे, पंडित गणेश शर्मा, अनिल राय, सुनिल चौकसे, सुभाष कुशवाहा, पंकज झंवर सुमित भानू उपाध्याय, रामू सोनी, चिन्दू, प्रवेश, राजेश कुशवाहा, राजकुमार कुशवाहा, संदीप कुशवाहा, प्रवीण और सुनील सहित अन्य शामिल थे।

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