विशेष : दुद्धी : विजय के ’चक्रव्यूह’ को भेदेंगे श्रवण कुमार या देंगे ’श्राप’? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 29 अप्रैल 2024

विशेष : दुद्धी : विजय के ’चक्रव्यूह’ को भेदेंगे श्रवण कुमार या देंगे ’श्राप’?

सपा के गढ़ दुद्धी को हथियाने के लिए भाजपा एक बार फिर एड़ी से चोटी का जोर लगा रही है। हालांकि 2022 में सात बार से विधायक बनते चले आ रहे विजय गौड़ को भाजपा के रामदुलार गौड़ ने धोबिया पाट के दांव से उन्हें चीत कर पहली बार इस सीट पर भगवा लहराया। लेकिन दुष्कर्म के मामले में भाजपा से विधायक रहे रामदुलार गौड़ को 20 वर्ष की सजा होने के बाद वह जेल में है और यहां उपचुनाव हो रहा है। भाजपा इस जीत को बरकरार रखने के लिए विजय गौड़ को पटकनी देने के लिए श्रवण कुमार को मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने अभी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। दुद्धी के कपड़ा व्यापारी बालकृष्ण जायसवाल दो टूक में कहा, गौड़ विरादरी में विजय की गहरी पैठ होने के बावजूद भाजपा के श्रवण कुमार को मोदी-योगी लहर का पूरा फायदा होता दिख रहा है। लेकिन मुकाबला कांटे का है, से इनकार नहीं किया जा सकता। जबकि उन्हीं के बगल में खड़े हरेराम ने कहा इस बार हाथी के मदमस्त चाल में हर कोई रौंदता नजर आयेगा। इससे इतर रामअचल यादव व सनवारुल हक को पूरा भरोसा है कि रामदुलार के कुकर्मो का जवाब जनता विजय को जीताकर देंगी। फिरहाल, इस दावे प्रतिदावें में बाजी किसके हाथ लगेगी, ये तो चार जून को पता चलेगा, लेकिन क्षेत्र में एक ही शोर है क्या विजय के चक्रब्यूह को श्रवण कुमार भेद पायेंगे या उनका ऐसा श्राप लगेगा कि जीत के सेहरा किसी अन्य के सिर बंधेगा। यहां एक जून को मतदान होगा 

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यूपी के अंतिम छोर पर विन्ध्य और कैमूर की पहाड़ियों के बीच बसा सोनभद्र का दुद्धी विधानसभा सीट सबसे अंतिम विधानसभा है। इस सीट की क्रम संख्या 403 है. खास यह है कि राजस्व के लिहाज से दुद्धी कमाऊ इलका है। यहां का लाल बालू पूरे पूर्वांचल में जाता है। लेकिन विकास की बात करे तो जो पहले था, वहीं ढर्रा आज भी है। पिछड़ा व आदिवासी इलाका होने के चलते ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए आज भी उनके लिए शुद्ध पेयजल एक सपना है। बता दें, दुद्धी तहसील में तीन ब्लॉक आते हैं- दुद्धी, म्योरपुर और बभनी. इसे जिला बनाने की मांग भी लंबे अरसे से स्थानीय नागरिक करते आए हैं. दुद्धी विधानसभा सीट आरक्षित सीट है. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा को जीत मिली थी। इसके कुछ ही समय बाद विधायक रामदुलार गोंड़ पर दुष्कर्म के मामले में 20 वर्ष की सजा हो गई। सदस्यता जाने के बाद यहां लोकसभा के साथ विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है। इसके लिए सपा की तरफ से सात बार के विधायक रहे विजय सिंह गोंड़ को एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतारा गया है। जबकि भाजपा की तरफ से श्रवण कुमार गौड़ को प्रत्याशी बनाया गया है।


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बसपा ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। लेकिन चुनाव प्रचार शवाब पर है। 25 अप्रैल को जनपद प्रभारी एवं स्टांप शुल्क पंजीयन राज्यमंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने चुनाव कार्यालय का उद्घाटन भाजपा के प्रचार अभियान में तेजी ला दी है। क्षेत्र में सपा व भाजपा प्रत्याशी जीत के लिए हाड़तोउ़ महनत कर रहे है। लोगों के बीच अपना पक्ष रख रहे है। इसी कड़ी में क्षेत्र के लोगों से प्रतिक्रिया पूछा गया तो लोग खुलकर तो नहीं बोले लेकिन इशारों में ही अपना रुख साफ कर दिया है कि वो किसे चाहते है। रामनाथ का कहना है कि खरवार, कोल समेत अन्य आदिवासी एवं सवर्णो के साथ पिछड़ी जातियों के सहारे इस बार भी भाजपा प्रत्याशी जीतेगा। बशर्ते पार्टी में भीतरघात ना हो। जबकि सपा समर्थित नवलकिशोर यादव कहते है यहां विकास कुछ भी नहीं हुआ है और इस बार विकास के नाम पर वोट पड़ेगा। रोजी रोटी से जुड़े मुद्दे उठाएं जायेंगे। वे गांवों की खस्ताहाल सड़कें, साफ और स्वच्छ पानी का मुद्दा जोरशोर से उठा रहे है। जबकि बसपा के रामअचल कहते है प्रत्याशी भले ही अभी बहनजी ने नहीं दिया है। लेकिन जीत की रणनीति कार्यकर्ता बना चुके है।


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इस बार दलित व मुस्लिम सहित अन्य विरादरियों की जुटता से जीत उन्हीं की होगी। यहां जिक्र करना जरुरी है कि पिछले चुनाव में इस सीट पर मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को बहुत कम मतों के अंतर से यहां हार मिली थी. इसलिए दोनों के युद्ध में बाजी उसके हाथ लग जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आदिवासी कंचन कहती कहती है ’न तो कोई अच्छा स्कूल और न ही कोई और आधुनिक सुविधाएं। सालों से ऐसे ही गुजर-बसर हो रही है। दीपक गौड़ कहते है राम मंदिर, 370, कल्याणकारी योजनाएं इस बार भी एनडीए की जीत का कारण बनेगी। किसानों को दो-दो हजार रुपये और उज्ज्वला जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए नम्रता उत्साहित होते हुए बोलती है कि योगीराज में महिलाएं सुरक्षित है। इनकी बात को काटते हुए तंजीम हैदर का कहना है कि इस बार सपा कड़ी टक्कर देने जा रही हैं। मुस्लिम के साथ ही अन्य पिछड़ी जातियां उसके साथ है। ग्रामीण इलाको में उनका अच्छा प्रभाव है। प्रेमचंद खरवार का कहना है कि हर पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए योजनाओं की बातें ही करती है। योजनाएं आती भी हैं, लेकिन उसका फायदा बिचौलिए ही ले जाते दिखाई देते हैं। शिवेन्द्र राम ने कहा कि यहां शुद्ध पेयजल, सड़क, रोजगार, शिक्षा का अभाव, अधूरी पड़ी कनहर परियोजना प्रमुख मुद्दा है और इस बार इसके समाधान वाले दल के प्रत्याशी को वोट पड़ेगा।


जातीय समीकरण

दुद्धी विधानसभा क्षेत्र में कुल तीन लाख के करीब मतदाता हैं. इस क्षेत्र में गौड़ जाति के मतदाता सबसे अधिक हैं. यही वजह है कि इस सीट से गोंड़ जनजाति के विजय सिंह लगातार सात बार विधायक रहे हैं। जबकि खरवार, चेरो, अगरिया, यादव, घसिया के साथ ही दलित मतदाता जीत के लिए निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में वैश्य, ब्राह्मण और क्षत्रिय के साथ ही अल्पसंख्यक मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं. दुद्धी विधानसभा में कुल मतदाता 3,16,866 है। जिसमें पुरुष मतदाता 1,69,910 व महिला मतदाता 1,46,956 है। 2011 की जनगणना के अनुसार गोंड़ 46 हजार, दलित 38 हजार, वैश्य 29 हजार, खरवार 25 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, मुस्लिम 18 हजार, यादव 19 हजार, वैसवार 13 हजार, चेरो 12 हजार, अगरिया 10 हजार, घसिया 10 हजार, क्षत्रिय  10 हजार व अन्य 40 हजार है।


2022 में पहली बार जीती भगवा

इस सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो यहां कभी भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार को जीत नसीब नहीं हुई है. साल 1977 में जनता पार्टी के ईश्वर प्रसाद विधायक निर्वाचित हुए थे तो 1980 में विजय सिंह गौड़ जीते. विजय सिंह गौड़ अलग-अलग दल से कुल सात बार इस सीट से विधायक रहे. 1985 में कांग्रेस, 1989 में निर्दल, 1991 और 1993 में जनता दल, 1996 और 2002 में सपा के टिकट पर विजय सिंह गौड़ विधानसभा पहुंचे. वे मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी रहे. 2007 में बसपा के चंद्रमणि प्रसाद, 2012 में निर्दल उम्मीदवार रूबी प्रसाद विधानसभा पहुंचीं. 2017 में अपना दल के हरिराम को जीत मिली थी. उन्होंने बसपा के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे विजय सिंह गौड़ को हराया था। उस वक्त बीजेपी और अपना दल (सोनेलाल) का गठबंधन था और आज भी उसी गठबंधन के तहत श्रवण कुमार गौड़ को प्रत्याशी बनाया गया है। अपना दल के हरिराम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के विजय को 1 हजार  85 वोट से हरा दिया था. कांग्रेस के अनिल तीसरे स्थान पर रहे थे. सबसे पहले चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था। पहले विधायक बनने का गौरव पं. बृजभूषण मिश्रा (ग्रामवासी दद्दा) को मिला। 1957 में कांग्रेस के ही राजा बड़हर आनंद ब्रह्म शाह एवं 1962 व 1967 में स्व. राम प्यारे पनिका दो बार विधायक रहे। इसके बाद अयोध्या प्रसाद व शिवसंपत राम इस क्षेत्र से विधायक बने। खास यह है कि इसके अलावा इस सुरक्षित सीट से किसी अन्य को दोबारा विधायक बनने का गौरव अभी तक किसी ने हासिल नहीं किया है। वर्ष 1974 में स्व. पनिका ने वापसी कर कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के चहेते बन अपनी अच्छी पकड़ बना लिया, लेकिन 1977 के चुनाव में जनसंघ पार्टी के ईश्वर प्रसाद ने उन्हें भारी मतों से हरा कर दुद्धी का विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया।


दुष्कर्म मं गयी विधायकी

वर्ष 2022 के यूपी विधानसभा के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामदुलार गोंड दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे। वर्ष 2014 से ही इनके ऊपर एक किशोरी से दुष्कर्म का मुकदमा चल रहा था। इसको लेकर अपर सत्र न्यायाधीश सोनभद्र की कोर्ट ने 12 दिसंबर 2023 को 25 साल कैद की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इसके बाद निर्वाचन आयोग के निर्देश पर विधानसभा सचिवालय ने एक पत्र जारी करके भाजपा विधायक रामदुलार गोंड की सदस्यता खत्म कर दी।


2022 के परिणाम

साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के प्रत्याशी रामदुलार गोंड ने सपा के विजयसिंह गोंड को 6297 वोटों से हराया था। रामदुलार ने 84,407 हजार वोट प्राप्त करके जीत दर्ज की। वहीं, सपा के विजय सिंह गोंड ने 78,110 वोट हासिल किए थे। कम वोटों के जीत के चलते ही इस बार का मुकाबल काफी दिलचस्प हो गया है।


कौन है श्रवण कुमार

श्रवण सिंह गोंड युवा प्रत्याशी हैं। उनकी उम्र मात्र 36 वर्ष है। श्रवण सिंह गोंड दुद्धी विधानसभा क्षेत्र के धूमा गांव के निवासी हैं। इनकी शिक्षा- दीक्षा बनवासी कल्याण आश्रम से हुई है। इन्होंने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है। इसके बाद इन्होंने आरएसएस से जुड़कर नगर खंड प्रचारक, जिला प्रचारक और विभाग संगठन मंत्री का कार्यभार संभाला है। इसके बाद 2018-19 तक बनवासी कल्याण आश्रम के सेवा समर्पण संस्थान से जुड़े रहे हैं। इसके अलावा ये भाजपा के जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। श्रवण गोंड यूपी एससी-एसटी आयोग और राज्य वन्य जीव बोर्ड उत्तर प्रदेश सरकार के सदस्य के रूप में सक्रिय हैं। इसके अलावा सामाजिक जीवन मे श्रवण गोंड कई समाजिक संस्थानों से भी जुड़े हुए हैं। बीजेपी के सोनभद्र के कोन मंडल प्रभारी के रूप में भी ये दायित्व संभाल रहे हैं। अब भाजपा ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर उनपर भरोसा जताया है।


2007 में बसपा ने जीती थी सीट

2007 के चुनाव में बसपा के प्रत्याशी चंद्रमणि प्रसाद विजेता घोषित हुए थे. उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार शिव शंकर को चुनाव में हराया था. दोनों उम्मीदवारों के बीच जीत-हार का अंतर 5000 वोटों से भी कम का रहा था. 2012 के चुनाव में दुद्धी से निर्दलीय प्रत्याशी रूबी प्रसाद चुनी गईं. इस बार जीत का अंतर 5000 से बढ़कर करीब 7000 वोटों तक गया था. हारने वाले प्रत्याशी दोबारा भी समाजवादी पार्टी के ही नरेश कुमार थे.


2017 में अपना दल का रहा कब्जा

2017 में जब दुद्धी सुरक्षित सीट के लिए चुनाव हुए तो सियासी परिदृश्य में अपना दल भी मैदान में था. इस बार के चुनाव में जीत-हार का अंतर 1000 वोटों से कम का रह गया. अपना दल के उम्मीदवार हर इरम ने बसपा प्रत्याशी विजय सिंह गोंड को बहुत कम मतों के अंतर से चुनाव मैदान में हरा दिया. अपना दल कैंडिडेट को जहां 64364 वोट मिले थे, वहीं बसपा प्रत्याशी के हिस्से में 63274 मत आए थे.






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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार 

वाराणसी

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