इन्हीं सवालों के जवाब पाने के लिए "लाइव आर्यावर्त " ने प्रोफेसर गौरव वल्लभ से कुछ प्रश्नों के उत्तर जानना चाहा। हमने उनसे पूछा कि -कांग्रेस छोड़ने की मूल वजह क्या है ,जबकि पार्टी ने आपको राजनीतिक सफर शुरू करने के साथ ही पहले जमशेदपुर पूर्वी और फिर उदयपुर से प्रत्याशी बनाकर चुनाव लड़वाया । आप दोनों ही जगह से चुनाव हार गए ,यह आपकी व्यक्तिगत कमी थी या पार्टी की ?जब कांग्रेस ने अल्पसमय में आपको इतना मान दिया तो "कठिन समय" में पार्टी के प्रति आपकी "निष्ठा" क्यों कमजोर पड़ गयी ? कांग्रेस में रहते हुए आपने हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,भाजपा व उनके सहयोगियों का मजाक उड़ाया या विरोध किया है ,अब अचानक उन्हीं भाजपा और नरेंद्र मोदी के प्रति आसक्ति कैसे जाग उठी ?आपने अपने इस्तीफे में सनातन धर्म ,राम मंदिर आदि की चर्चा की है परन्तु आपके ट्विटर पर अब तक लिखे गए ( कांग्रेस में रहते हुए समेत ) पोस्ट पर कभी किसी कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ता की ना तो आपत्ति दिखी और न ही विरोध या रोकने का प्रयास ?? आपने कांग्रेस की नीतियों और कार्यशैली की चर्चा की है, इसे देश के सम्मानित प्रबंधन शिक्षण संस्थान में हर दिन नए भावी प्रबंधक के व्यक्तित्व को निखारने का जिम्मा उठाने वाले प्रबंधन शिक्षक की नाकामी के रूप में क्यों नहीं देखा जाना चाहिए ? आप अपनी बेहतर नीतियों ,कार्यशैली से कांग्रेस नेतृत्व को प्रभावित क्यों नहीं कर पाये ?आपने ट्विटर पर अपने पोस्ट में देश के उद्योगपतियों ,वित्त मंत्री ,प्रधानमंत्री की नीतियों और भाजपा प्रवक्ताओं का हमेशा उपहास किया है ,तो ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व द्वारा उद्योगपतियों के विरोध करने जैसा आपके इस्तीफे में चर्चा विरोधाभास नहीं है ? क्या इस बात से आप इंकार करेंगे कि उद्योगपति तो सत्ता के साथ ही रहते हैं ,पार्टी चाहे कोई हो,जैसा पहले ( कांग्रेस शासन में )अंबानी समूह के विषय में कांग्रेस को सपोर्ट करने की चर्चा रहती थी ? जिन प्रधानमंत्री ,वित्त मंत्री व भारतीय जनता पार्टी की आप बुराई करते रहते थे ,विरोध करते थे ,उपहास उड़ाते थे,अब भाजपा के एक सदस्य के रूप में आप कितना सहज रह पायेंगें ? इसे आप कैसे " जस्टिफाई " करेंगे ? आपके अनुसार "भारत तोड़ने" वालों के प्रति अचानक आपका प्यार कैसे उमड़ पड़ा ? इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हमें गौरव वल्लभ का प्रतुत्तर नहीं मिल पाया। जवाब मिलते ही ससम्मान उनका पक्ष प्रकाशित किया जाएगा।
विजय सिंह
वरीय संपादक
लाइव आर्यावर्त

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