- उनकी जाति का बिहार में 1 भी आदमी नहीं रहता फिर भी चुनाव जीत रहे हैं : प्रशांत किशोर
![Prashant-kishore-on-modi](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2u_l9qIrruazGMrnDaDRrmR7Eepx9UjWnrn0Z_b1Tr-c1x0jxiPJhaqAoyoOuiMjeakS3qHtoxT_2xmsEoykJCIh9Owd-LYHTzbDdMjLSjsKadFUBquyH6H_OSchHfHoggfEYidL1llBf7x-VGXZ3GTKpWrZvLSTdcqmrl0I0HbztqJf0zkttFRK5eA4c/w320-h214/IMG-20240409-WA0041.jpg)
पटना : बिहार के लोगों को उनके मताधिकार के बारे में जागरूक करते हुए जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को ये दिख रहा है कि अभी उनके सामने जो नेता खड़े हैं, दोनों ही चोर हैं। ऐसे में पब्लिक ये सोच रही है कि चलिए दोनों ही जब चोर हैं, तो अपनी जाति वाले को ही वोट दे देते हैं। लेकिन अगर जनता को कोई ईमानदार दिखेगा तो जनता बेवकूफ नहीं है उसको जरूर वोट देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिहार के लोगों ने खूब वोट दिया है न, उनकी जाति के कितने लोग बिहार में रहते हैं, एक भी नहीं रहते हैं। लेकिन लोगों ने ऐसा समझा कि मोदी को वोट देंगे तो हमारा विकास होगा। इसीलिए बिहार की जनता ने जाति और धर्म की सोच से ऊपर उठकर नरेंद्र मोदी को वोट दिया। अब नरेंद्र मोदी ने काम नहीं किया, वो अलग बात है लेकिन लोगों ने जाति से ऊपर उठकर नरेंद्र मोदी को वोट तो दिया ही है। यहां जितने लोग बैठे हैं, मान लीजिए कि इनकी संख्या अगर सौ है तो इसमें से 40 से 50 आदमी ने तो नरेंद्र मोदी और भाजपा को वोट दिया ही होगा। वो 40 से 50 आदमी नरेंद्र मोदी की जाति के तो नहीं हैं। सिर्फ जाति की बात नहीं है जब जनता को सारे नेता चोर दिखते हैं, एक तरह के दिखते हैं तो आखिर में जनता कहती है कि दोनों तो एक ही तरह के हैं तो चलिए अपनी जाति वाले को ही वोट देते हैं। अगर एक आदमी अच्छा दिखेगा तो बिहार की जनता में वो समझ और ताकत है कि आगे बढ़ेंगे और सही व्यक्ति का चुनाव करेंगे।
मैंने पंद्रह महीने से छोड़ा है अपना घर, बिहार के नौजवान तो 15 सालों से अपना घर छोड़कर रह रहे बाहर
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि हम अभी पंद्रह महीने से पैदल चल रहे हैं तो लोग कह रहे हैं कि भइया अपना घर-परिवार को छोड़कर ये पैदल चल रहे हैं। लेकिन बिहार के जितने भी लोग हैं इनके परिवार के नौजवान तो 10 से 15 सालों से अपना घर छोड़कर बाहर ही रह रहे हैं। कभी छठ में या किसी शादी-विवाह में दस से पंद्रह दिनों के लिए वो व्यक्ति घर आया। हमने तो पंद्रह महीने से अपना घर छोड़ा है तो लोग हमें समझ रहे हैं कि हम बहुत महान आदमी हैं, साधु-महात्मा हैं। आपका बच्चा तो पंद्रह सालों से बाहर रह रहा है। एक बार यहां बच्चा बीस साल का हो गया, तो वो झोला लेकर चला गया मजदूरी करने के लिए। जब तक उसके शरीर में ताकत है उसको बाहर ही रहना है और मजदूरी ही करना है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें