सीहोर : संकल्प वृद्धाश्रम में मनाया गया विश्व परिवार दिवस, बुजुर्गों का किया सम्मान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 15 मई 2024

सीहोर : संकल्प वृद्धाश्रम में मनाया गया विश्व परिवार दिवस, बुजुर्गों का किया सम्मान

  • हमारे देश में भी संयुक्त परिवारों की श्रेष्ठ परम्परा रही है-श्रीमती निशा सिंह

Senior-citizen-sehore
सीहोर। शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी बुधवार की शाम को विश्व परिवार दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर श्रद्धा भक्ति सेवा समिति की अध्यक्ष श्रीमती निशा सिंह ने यहां पर निवासरत दो दर्जन से अधिक वृद्धजनों का सम्मान किया, उन्होंने कहा कि आज के समय में परिवारों का विघटन दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य जीवन में लोगों को संयुक्त परिवार की अहमियत बताना है। संयुक्त परिवार से जीवन में होने वाली उन्नति के साथ, एकल परिवारों और अकेलेपन के नुकसान के प्रति युवाओं को जागरूक करना भी विश्व परिवार दिवस का मूल उद्देश्य है, जिससे युवा अपनी बुरी आदतों को छोड़कर एक सफल जीवन की शुरुआत संयुक्त परिवार में रह कर सकें। भारत में संयुक्त परिवारों में वृद्धजनों को पूरा सम्मान, सुरक्षा तथा देखभाल मिलती है। हमारे देश में भी संयुक्त परिवारों की श्रेष्ठ परम्परा रही है।


परिवार के साथ रहने के कई फायदे

कार्यक्रम के दौरान संकल्प वृद्धाश्रम के संचालक राहुल सिंह ने कहा कि परिवार के साथ रहने के कई फायदे हैं। परिवार के साथ रहने से आत्मविश्वास बढ़ता है। अगर हम अपने परिवार के साथ रहते हैं तो हमें लगता है कि कुछ भी हो जाए हमारा परिवार हमारे साथ रहेगा, बच्चे अपने दादा-दादी या नाना नानी के साथ काफी खुश रहते हैं और वे अपने आप को काफी महफूज समझते हैं। उन्हें किसी बात की टेंशन नहीं रहती। बच्चे जब परिवार के साथ होते हैं तो माता-पिता उन्हें अच्छी सीख देते हैं, जब लोग अपने परिवार से दूर रहने लगते हैं तो धीरे-धीरे वे अवसाद में जाने लगते हैं, ऐसे में कोई उनका टेंशन दूर करने वाला नहीं होता। ऐसे में वे मोबाइल या किसी और गैजेट का सहारा लेते हैं। जिससे उन्हें कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है।


पारिवारिक मुद्दे पर सबके डिसिजन की कद्र करें

बुधवार को आयोजित विचार गोष्ठी के दौरान जिला संस्कार मंच की ओर से संयोजक जितेन्द्र तिवारी और मनोज दीक्षित मामा ने कहा कि सप्ताह में कम से कम तीन दिन अपने परिवार के साथ खाना खाएं, जो लोग अपने परिवार के साथ रहते हैं वे हर दिन एक समय का खाना साथ खाने की कोशिश करें, वीकेंड में या हर 15 दिन पर अपने परिवार के साथ घूमने का प्लान बनाएं। अगर संभव हो तो उन्हें कहीं बाहर भी लेकर जा सकते हैं। किसी भी पारिवारिक मुद्दे पर सबके डिसिजन की कद्र करें। आजकल अधिकतर लोग अपने घर और परिवार से दूर रहते हैं। कई लोग तो काम की वजह से अपने परिवार से सालों नहीं मिल पाते। इस वजह से लोगों में काफी दूरियां बढ़ रही है। परिवार से ही हमारी दुनिया है, वे हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसलिए परिवार के महत्व को बताने के लिए ये दिन मनाया जाता है। 

कोई टिप्पणी नहीं: