अटल बिहारी बाजपेयी की तर्ज पर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह अब तक का सबसे बड़ा मंत्रिमंडल है। 2014 में 55 मंत्रियों के साथ 2019 में 58 तो इस बार उन्होंने 71 मंत्रियों के साथ शपथ लेकर जम्मू मंत्रीपरिषद का रिकॉर्ड बनाया है। मंत्री परिषद में जहां मेरिट का ख्याल रखा गया है वही जातिगत व क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधने की पूरी कोशिश की गई है। खास यह है कि शिवराज को कृषि व खट्टर को ऊर्जा मंत्री बनाने के साथ ही निर्मला को वित्त, नितिन गडकरी को सड़क एवं परिवहन, राजनाथ सिंह को रक्षा व अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी देकर जनमानस को बताने का प्रयास किया गया है कि कामकाज पहले से और बेहतर होगा। जहां तक जाति का सवाल है तो सबसे ज्यादा 27 चेहरे ओबीसी है, दूसरे नंबर पर भाजपा के कोर वोटर माने जाने वाले सामान्य जाति के 21 चेहरों को मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा दो राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत भी मंत्री पर से नवाजा गया है। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है क्या क्या पिछले दस साल की तरह ही मोदी 3.0 भी बड़े फैसलों की सरकार होने वाली है? बता दें, अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थ,ी जिसमें 81 मन्त्री थे। इतने ज्यादा मंत्री होने के कारण उनके मंत्रिमंडल को जंबो मंत्रिमंडल भी कहा जाता था। अटल जी की नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इतने बड़े गठबंधन के बावजूद उनकी सरकार में कभी किसी दल ने कोई आनाकानी या विवाद नहीं किया
यूपी में साधा जातीय संतुलन
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कोई खास प्रदर्शन न होने के बावजूद भी सूबे के कई चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया गया है. पीएम मोदी की नई कैबिनेट में नई सोशल इंजीनियरिंग का काफी ध्यान रखा गया है. मोदी कैबिनेट में सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की है. मोदी कैबिनेट 3.0 में यूपी के कई लोगों ने केन्द्र सरकार में मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें दलित, ओबीसी, क्षत्रिय, जाट और ब्राह्मण चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह देकर जातियों का एक पूरा गुलदस्ता सजाने की कोशिश की गई है ताकि किसी भी वर्ग में कोई नाराज़गी न रह पाए. चाहे अवध हो या पूर्वांचल, चाहे पश्चिमी यूपी हो या रुहेलखंड..किसी भी इलाके को छोड़ा नहीं गया है. सीधे और साफ शब्दों में कहा जाए तो हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है.जयंत चौधरी से लेकर अनुप्रिया पटेल तक. सबके ज़रिए कोई न कोई कोशिश आपको नजर आ ही जाएगी. सबसे पहले बात राजनाथ सिंह और कीर्तिवर्धन सिंह की, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. कहा जा रहा है कि यूपी में क्षत्रिय समुदाय के वोटों पर पकड़ बनाए रखने के लिए मोदी सरकार ने अवध क्षेत्र से राजनाथ सिंह और कीर्तिवर्धन सिंह को जगह दी. राजनाथ सिंह तीसरी बार मोदी सरकार में मंत्री बने हैं तो वहीं कीर्तिवर्धन सिंह को भी इस बार मौका दिया गया है. वहीं बीजेपी ने ओबीसी चेहरे बीएल वर्मा जो कि ब्रज क्षेत्र से आते हैं, उन्हें भी सरकार में मंत्री पद दिया है. बीएल वर्मा लोध जाति से आते हैं और ये दूसरी बार है जब उन्हें मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का पदभार सौंपा गया है. पंकज चौधरी की जिन्हें एक बार फिर से मंत्री बनाया गया है जो कि महाराजगंज सीट से चुनाव जीत कर आए हैं. पंकज चौधरी कुर्मी जाति से आते हैं. यानि कि मोदी कैबिनेट के बारे में पूरा ध्यान एक एक क्षेत्र, एक एक जाति और एक एक चेहरे का रखने की कोशिश की गई है. वहीं अगर आप बांसगांव की बात करें तो यहां से चुनाव जीते कमलेश पासवान को भी केन्द्र में जगह दी गई है. कमलेश पासवान, पासवान जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं और पहली बार मोदी सरकार में मंत्री बने हैं. आगरा से जीतकर आए एसपी सिंह बघेल जो कि दलित जाति से आते हैं. वहीं मिर्ज़ापुर से चुनाव जीतकर आईं अनुप्रिया पटेल को एक बार फिर से मोदी कैबिनेट में जगह मिली है. वो पहले भी मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. ब्रज क्षेत्र के आगरा रिजर्व सीट से चुनाव जीते एसपी सिंह बघेल को भी मंत्री बनाया गया है. वो धनगर जाति से हैं. ये दोनों ही ऐसे चेहरे हैं जो दलित समुदाय से आते हैं. यूपी में भले ही विधानसभा चुनाव 2027 में होने हों लेकिन अभी से ही बीजेपी ने कमर कसनी शुरू कर दी है जिसकी बानगी मोदी कैबिनेट में भी नज़र आ रही है. पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को दिया गया था और उन्होनें भी बीजेपी के भरोसे पर खरा उतरते हुए चुनाव जीतकर एनडीए की झोली में ये सीट डाल दी. अजय मिश्र टेनी, महेन्द्र नाथ पांडेय जैसे चेहरों के चुनाव हारने के बाद जितिन प्रसाद एक बड़े ब्राह्मण चेहरे माने जा रहे हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश में बीजेपी को इस बार महज़ 33 सीटें ही मिली हैं जबकि एनडीए को कुल 36 जो कि अकेले सपा की 37 सीटों से भी कम हैं. लेकिन फिर भी मोदी कैबिनेट को अगर देखें तो ये साफ होता है कि किसी भी सूरत में उत्तर प्रदेश को, यहां के जातीय समीकरणों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. अब देखना होगा कि बीजेपी ने जो 2027 के विधानसभा चुनाव को साधने के लिए अभी से ही कोशिशें शुरु कर दी हैं, उसका कितना फायदा तब जाकर मिलता है. ताकि जो लोकसभा में हुआ वो विधानसभा में किसी भी कीमत पर न दोहराया जाए.
हरियाणा में सत्ता की हैट्रिक लगाने का फॉर्मूला
हरियाणा की मौजूदा सरकार का कार्यकाल इसी साल नवंबर में खत्म हो रहा है. ऐसे में नवंबर से पहले ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी 2014 से ही लगातार ही राज्य की सत्ता पर काबिज है, लेकिन इस बार उसे सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हरियाणा में नेतृ्त्व बदलाव किया, मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया है. इसके बावजूद प्रदेश की 10 में से पांच सीटें बीजेपी हार गई है जबकि कांग्रेस पांच सीटें जीतने में सफल रही. बीजेपी का जेजेपी के साथ गठबंधन टूट चुका है. पीएम मोदी ने हरियाणा से तीन मंत्री बनाए हैं, जिसमें मनोहर लाल खट्टर को कैबिनेट मंत्री तो राव इंद्रजीत सिंह को स्वतंत्र प्रभार और कृष्णपाल गुर्जर को राज्यमंत्री बनाया है. बीजेपी ने हरियाणा के सियासी समीकरण को देखते हुए तीन मंत्री बनाए हैं, जिसमें एक पंजाबी और दो ओबीसी समुदाय से हैं. राव इंद्रजीत यादव समाज से आते हैं तो कृष्णपाल गुर्जर जाति से हैं. इससे एक बात साफ है कि बीजेपी हरियाणा में गैर-जाटव पालिटिक्स के सहारे ही चुनावी मैदान में उतरने की प्लानिंग कर रखी है. पंजाब-गुर्जर-यादव समीकरण के सहारे बीजेपी क्या हरियाणा की जंग फतह करने में कामयाब रहेगी?
महाराष्ट्र में बीजेपी ने मंत्री घटाया
बीजेपी को 2024 के चुनाव में जिस राज्य में सबसे बड़ा झटका लगा है, उसमें महाराष्ट्र एक अहम राज्य है. मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकालों में महाराष्ट्र कोटे से 8-8 मंत्री बनाए गए थे, लेकिन इस बार सीट कम होने से मंत्री पद भी कम हो गए हैं. मोदी सरकार ने राज्य से छह मंत्री बनाए हैं, जिसमें चार बीजेपी कोटे से हैं और दो सहयोगी दल से मंत्री बने हैं. महाराष्ट्र से एनसीपी (अजित पवार गुट) एनडीए का हिस्सा है, लेकिन एनसीपी के किसी मंत्री ने शपथ नहीं ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर से नितिन गडकरी, मुंबई से पीयूष गोयल, रामदास आठवले, उत्तर महाराष्ट्र से रक्षा खड़से, पश्चिम महाराष्ट्र से मुरलीधर मोहोल और विदर्भ के बुलढाणा से जीते शिंदे सेना के प्रताप राव जाधव को अपने मंत्री मंडल में शामिल किया है. लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में झटका लगने के बाद मंत्रिमंडल में शामिल करते समय क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को देखा गया है. मोदी सरकार 3.0 के मंत्रिमंडल में ओबीसी, मराठा, दलित और गडकरी के रूप में ब्राह्मण चेहरे को शामिल किया गया है. मराठवाड़ा और कोंकण से किसी को मंत्री पद न मिलने से राजनीतिक पंडित भी हैरान हैं. मंत्रिमंडल में शामिल करने से पहले आने वाले विधानसभा चुनाव में लाभ-हानि का विश्लेषण किया गया उसी आधार पर मंत्री के लिए चेहरों का चयन किया गया. अजित पवार के आने का सियासी फायदा बीजेपी को नहीं मिल सका. इसी तरह शिंदे ने सत्ता की कमान संभालकर बीजेपी का सियासी लाभ 2024 में उठाया है, लेकिन बीजेपी को नहीं मिला.
बिहार में गठबंधन के सहारे सोशल इंजीनियरिंग
बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. मोदी सरकार ने बिहार से आठ मंत्री बनाए हैं, जिसमें बीजेपी कोटे से चार मंत्री हैं तो जेडीयू से दो मंत्री बने हैं. इसके अलावा एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के सांसद जीतनराम मांझी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. बीजेपी ने भूमिहार समुदाय से दो और एक ब्राह्मण समुदाय से मंत्री बनाया है. जेडीयू कोटे से भूमिहार समाज से ललन सिंह कैबिनेट मंत्री बने हैं तो बीजेपी के गिरिराज सिंह को एक बार फिर से कैबिनेट का पद दिया गया है. ओबीसी समुदाय से नित्यानंद राय (यादव) और मल्लाह समुदाय से आने वाले राज भूषण चौधरी को मंत्री बनाया गया है. जेडीयू कोटे से रामनाथ ठाकुर मंत्री बने हैं, जो नाई समाज से आते हैं. मोदी कैबिनेट में बिहार से जिन आठ नेताओं को मंत्री बनाया गया है, उसमें सवर्ण, दलित और अतिपिछड़ा वर्ग को बराबर हिस्सेदारी दी जा रही है. अन्य पिछड़ा वर्ग से तीन मंत्री बनाए गए हैं, जिसमें एक ओबीसी और दो अतिपिछड़ा वर्ग से है. दलित समाज से दो मंत्री बनाए गए हैं, जिसमें सूबे की दलित और महादलित दोनों को शामिल किया गया है. बिहार में सवर्ण वोटर बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है, जिसके लिहाज से मोदी सरकार में भूमिहार समुदाय से दो और ब्राह्मण समाज से एक मंत्री बनाया जा रहा. हालांकि, राजपूत, कुशवाहा और कुर्मी समुदाय को प्रतिनिधित्व मोदी कैबिनेट में नहीं मिल सका है.
दिल्ली और झारखंड में बीजेपी है बमबम
दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव होने हैं और प्रदेश की सभी सातों सीटें बीजेपी लगातार तीसरी बार जीतने में सफल रही है. ऐसे में पूर्वी दिल्ली सीट से सांसद बने हर्ष महरोत्रा को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है. पंजाबी समुदाय से आते हैं और बीजेपी ने उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह देकर दिल्ली के सियासी समीकरण को साधने की कवायद की है. इसी तरह झारखंड से अनपूर्णा देवी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है तो संजय सेठ को राज्य मंत्री के तौर पर शामिल किया है. अन्नपूर्णा और संजय सेठ को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देकर राज्य में ओबीसी आबादी को साधने का प्रयास किया है. झारखंड की बात करें तो यहां भी 55 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है तथा सभी दलों के एजेंडे में यह समाज अनिवार्य रूप से होता है. अन्नापूर्णा देवी यादव समुदाय से आती हैं तो संजय सेठ वैश्य है. झारखंड में यादवों की आबादी 14 प्रतिशत है जबकि वैश्यों की आबादी 40 प्रतिशत है. छह महीने के बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होना है. इसे ध्यान में रखते हुए यह रणनीति कारगर होगी.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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