विशेष : महिलाओं की जानलेवा बीमारियों में ’योग’ एक कारगर उपाय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 21 जून 2024

विशेष : महिलाओं की जानलेवा बीमारियों में ’योग’ एक कारगर उपाय

योग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कारगर है। योग इंसान को शारीरिक और मानसिक रूप से भी मजबूत करता है। योग आपके शरीर को फिट व एक्टिव ही नहीं रखता, बल्कि आपकी मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। इसका सकारात्मक प्रभाव आत्मविश्वास व सामाजिक  जीवन पर भी पड़ता है। बात जब नारी सशक्तिकरण होती है तो अक्सर सामाजिक व आर्थिक पहलुओं पर ही होती है। लेकिन महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर वैसी गंभीरता नहीं दिखती, जैसा होना चाहिए। परिणाम यह है कि आज, हर चौथी महिला ब्रेस्ट, ओेवैरियन, सर्वाइकल, फैलोपियन कैंसर के अलावा पॉलीसिस्टिक, मोटापा, यूरिनरी इन्फेक्शन, ऑस्टियोपोरोसिस, पीसीओएस और बांझपन जैसी कई बीमारियों की समस्याओं का सामना कर रही है। जबकि आज के बदलते परिवेश एवं महिलाओं में घर करती बीमारियों से निजात पाने के लिए योग एक कारगर साधन है। मतलब साफ है महिलाओं को सशक्त बनाने में योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य सशक्तिकरण व सफलता का आधार होता है। यही वजह है कि इस वर्ष नारी सशक्तिकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 की खास थीम ’महिला सशक्तिकरण के लिए योग’ रखी गई है


Yoga-for-women
योग या योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द युज से हुई है जिसका अर्थ है जुड़ना या एक होना। यह एक ऐसा अभ्यास है जो व्यक्ति को आंतरिक मन या चेतना से जुड़ने में मदद करता है। यह शरीर और आत्मा के बीच संबंध स्थापित करता है, जिससे भीतर पूर्ण सामंजस्य स्थापित होता है। नियमित योग अभ्यास शारीरिक तंदुरुस्ती, सांसों के प्रति जागरूकता, मन से जुड़ाव और अंत में आंतरिक आत्म को जोड़ता है। आज, योग का अभ्यास दुनिया भर में किया जाता है, जिससे लाखों पुरुषों और महिलाओं को शारीरिक तंदुरुस्ती और आंतरिकता मिलती है। हर साल 21 जून को दुनियाभर में योग दिवस मनाया जाता है। मकसद है दुनियाभर में योग का प्रचार-प्रसार। इसकी शुरुआत 27 सितंबर 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव रखने के साथ की थी। जिसके बाद से हर साल 21 जून को इंटरनेशनल योग डे मनाया जाने लगा है।


Yoga-for-women
दरअसल, इस दिन योग दिवस मनाने के पीछे की एक खास वजह है। 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन माना जाता है। जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कहते हैं। ये दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है। इसके बाद सूर्य दक्षिणायन में प्रवेश करता है। इस दिन को योग और अध्यात्म के लिए बेहद खास माना जाता है। यही वजह है कि 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। जहां तक योग से हुए लाभ की बात है तो इसका फायदा दिखने लगा है। इसी का परिणाम है कि आज लोगों की पहली प्राथमिकता चिकित्सा के बजाय योग बनता जा रहा है। धीरे धीरे ही सही आज पूरी दुनिया योग के प्रति जगारुक हुई है। खास यह है कि योगासनों का लाभ पुरुषों को तो मिल रहा है, लेकिन व्यस्त दिनचर्या और अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतों के कारण महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अभी योग से काफी दूर है। जबकि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले बीमारियां जल्दी परेशान करने लगती हैं. 40 साल होने के साथ ही शरीर में दर्द, घुटनों में दर्द, थकान, कमजोरी, आंखें कमजोर होना और न जाने कितनी तकलीफें घेर लेती है. ऐसे में अगर महिलाओं को योग के प्रति जागरुक किया जाएं तो न सिर्फ जानलेवा बीमारियों से बचा सकता है, बल्कि इस पर होने वालें खर्च से भी राहत मिल सकती है। शायद यही वजह है कि इस बार का थीम यानि 2024 योग दिवस की थीम महिलाओं को चुना गया है। मेरा मानना है कि आप खुद के लिए समय नहीं निकालेंगी तो किसी दिन कोई बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है. हर महिला को अपनी सेहत के लिए कम से कम एक घंटा जरूर निकालना चाहिए. बढ़ती उम्र को रोकने और खुद को फिट रहने के लिए योग से बेहतर कुछ भी नहीं है। क्योंकि महिलाओं में कई बीमारियां ’साइलेंट किलर’ होती हैं. ये बीमारियां शरीर में बढ़ती चली जाती हैं, लेकिन इनके लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते. मतलब साफ है महिलायें अपने परिवार और बच्चों का खूब ख्याल रखती हैं। लेकिन जब बारी खुद की आती है तो घर-परिवार की जिम्मेदारी के चक्कर में अपनी सेहत से वो लापरवाह हो जाती हैं। ऐसे में उनका शरीर कब धीरे-धीरे बीमारियों का घर बन जाता है, पता ही नहीं चलता। और अगर लक्षण दिखते भी हैं तो इन्हें अक्सर सामान्य समस्या समझकर नजरअंदज कर दिया जाता है। उसका घातक परिणाम यह है कि आज, हर चौथी महिला पीसीओएस और बांझपन के अलावा ब्रेस्ट, ओेवैरियन, सर्वाइकल, फैलोपियन कैंसर, पॉलीसिस्टिक, मोटापा, यूरिनरी इन्फेक्शन, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से ग्रसित है।


Yoga-for-women
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन के अनुसार, शहरी भारतीय महिला आबादी का लगभग 23 फीसदी मोटापे से ग्रस्त है। पेट की मांसपेशियां कमजोर होने की वजह से महिलाओं को आए दिन कोई न कोई परेशानी आती है। इसकी वजह से महिलाओं को अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते हैं। इसके अलावा महिलाएं, चाहे वे करियर-उन्मुख हों या गृहिणी, हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से भरी होने के कारण मानसिक तनाव से भी ग्रसित हो जाती है। ऐसे में अगर वे योग अपनाएं तो उनके लिए रामबाण साबित हो सकता है। सरल श्वास अभ्यास महिलाओं को शांत करने और शालीनता और दक्षता के साथ काम करने में मदद करते हैं। यह शरीर और आत्मा को संतुलित करता है। यह इतने तरीकों से फायदेमंद है कि योग अभ्यास को एक दैनिक काम के रूप में करने की सलाह दी जाती है, न कि एक अवकाश गतिविधि के रूप में। महिलाओं के लिए योग ने चमत्कार किया है, बस अभ्यास में नियमित होने की जरूरत है। नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से शरीर के विभिन्न अंग व तंत्र बेहतर तरीके से काम करते हैं। इससे स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने में सहायता मिलती है। योग से महिलाओं में हार्मोन असंतुलन भी ठीक हो जाता है। योग उनके एंडोक्राइन सिस्टम को बेहतर बनाता है। योग से अनियमित मासिक चक्र भी सही हो जाता हैं। इतना ही नहीं योग केवल एक शारीरिक रूप से किया जाने वाला वर्कआउट ही नहीं है, बल्कि यह आपके लुक यानी शरीर को आकर्षक तो बनाता ही है, आत्मशक्ति एवं आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।  योग से आत्मविश्वासी महिलाएं अपनी क्षमता योग्यता और शक्तियों के प्रति अधिक जागरूक होती है। यही जागरूकता उनकी अपने जीवन पर पकड़ को मजबूत बनाती है और खुद के लिए निर्णय लेने की हौसला देती है। योग आपको स्वयं से कनेक्ट करता है। नियमित रूप से योग अभ्यास करना महिलाओं को खुद को और अपनी आंतरिक क्षमताओं को पहचानने में भी मदद करता है। जब एक बार यह जुड़ाव विकसित हो जाता है तो उन्हें यह समझने में मुश्किल नहीं होती कि वह अपने जीवन में क्या चाहती हैं। उसे उस रूप में खुद को स्वीकार करना सीख जाती है। यह महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ा हुआ पहला कदम है।


Yoga-for-women
जो महिलाएं निमित्त रूप से योग करती है वह शारीरिक मानसिक और भावनात्मक रूप से अधिक मजबूत होती है। यही मजबूती नारी सशक्तिकरण का आधार है। देखा जाएं तो योग तनाव को कम कर मस्तिष्क को शांत और शरीर को रिलैक्स करता है। जब एक बार आप आंतरिक शक्ति को जान लेते हैं तो जीवन की चुनौतियों का मुकाबला करना और खुश रहना आसान हो जाता है। जो महिला जीवन के उतार-चढ़ाव को प्रबंध ठीक तरह से करना सीख जाती है। उन्हें दूसरों पर निर्भर नहीं होना पडत्रता। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए कई अध्ययन में यह तथ्य उभर कर आया है कि योग शारीरिक शक्ति बढ़ाता है और मानसिक संतुलन में सुधार करता है। इससे आपको अपने शरीर की क्षमताओं और सीमाओं को पहचानने में सहायता मिलती है। शुरुआत में आपको करने में परेशानी जरुर होती है, लेकिन नियमित अभ्यास से उन्हें करना भी संभव हो जाता है। जब आपका तन मन सामंजस में काम करता है तो जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है। योग का सबसे बड़ा फायदा तन मन के कनेक्शन को बेहतर बनाना है। नियमित योग आपको यह समझने में सहायता करता है कि आपके विचारों और भावनाओं को आपके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है। जब एक बार आप नकारात्मक भावनाओं के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को समझ जाते हैं तो आप अपने विचार प्रक्रिया थॉट प्रोसेस को नियंत्रित करने का प्रयास शुरू कर देते हैं। इसका प्रभाव आपकी सोच निर्णय और जीवन पर स्पष्ट रूप से दिखने लगता है। इसीलिए अब लोग योग को हमारी संस्कृति का अंग समझने लगे है। यह स्वस्थ रहने का बेहतर माध्यम साबित हो रहा है। इसलिए हर किसी को योग अवश्य करना चाहिए। यदि आप परंपरागत योग नहीं कर सकते हैं तो रिदमिक योग यानी डांसिंग योग बेहतर विकल्प है। हाल के दिनों में यह युवाओं का पसंद भी बन रहा है। युवा वर्ग डांस यानी नृत्य की विभिन्न मुद्राओं के साथ अलग-अलग आसनों के साथ अपनी क्रिएटिविटी भी दिखा रहा है। 


महिलाओं के लिए ये है बेहतर योग टिप्स

Yoga-for-women
महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं, जैसे गर्भावस्था, मासिक धर्म चक्र, रजोनिवृत्ति, तनाव, जीवनशैली कारक, मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे, और प्राकृतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया. इस तरह की बीमारियों में योग से काफी आराम मिल सकता है, जैसे : अनिद्रा, अवसाद, ब्रेस्ट कैंसर, हार्मोंस से जुड़ी बीमारियां, हृदय रोग, मधुमेह, अस्थमा, थायरॉइड की समस्या आदि। लेकिन महिलाओं के लिए कुछ चुनिंदा आसन हैं, जिसे आसानी से तकिये या फिर दीवार के सहारे से घर में किया जा सकता है. उससे मन-मस्तिष्क में तुरंत शांति का अनुभव कराता है. ख़ासकर हॉर्मोनल बदलाव के वक़्त यह आपकी मानसिक स्थिति को स्थिरता प्रदान करता है। पूरे शरीर का फैलाव कर स्फूर्ति देता है. शरीर के ऊपरी हिस्से, कंधे और हाथों को मज़बूती देता है. रक्त का प्रवाह सिर की तरफ़ रहने से मन को शांति और तनाव की स्थिति में तुरंत आराम मिलता है. या यूं कहें अनिद्रा, अवसाद जैसी समस्याओं के साथ ही ब्रेस्ट कैंसर और हार्मोंस से जुड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए योग का सहारा लेना चाहिए। क्योंकि योग शारीरिक और भावनात्मक दोनों पहलुओं पर काम करता है, जो जीवन की चुनौतियों से शांत और संयमित तरीके से निपटने में मदद करता है. योग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और श्वसन संबंधी विकारों को भी दूर करता है. योगासन थायरॉयड ग्लैंड को उत्तेजित करते हैं, जिससे थायरॉइड फंक्शन सही होता है और हेल्दी मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा मिलता है. इसलिए महिलाओं को भुजंगासन, धनुरासन, तितली आसन, चक्की चालनासन, बालासन, उत्काटसन, सेतुबंधासन जरुर करना चाहिए। ऑस्टियोपोरोसिस महिलाओं में होने वाली आम समस्या है, जो हड्डियों को कमजोर और भंगूर बना देती है। ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से हड्डियां इतनी नाजुक हो जाती है झुकना या खड़े होने में भी हड्डियां टूट जाती है। इसलिए हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम के सेवन के साथ-साथ एक्सरसाइज करना जरूरी है. हर दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें। यह टहलना, जिम, ज़ुम्बा आदि हो सकता है। इसमें बस शारीरिक गतिविधि शामिल होनी चाहिए। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, योग का अभ्यास करने वाले लगभग 92.16 फीसदी लोगों ने पाया है कि योग ने उनकी जीवनशैली को अच्छे के लिए बदल दिया है। ध्यान करने से तनाव कम होता है, चिंता से राहत मिलती है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।


पश्चिमोत्तानासन (बैठकर आगे की ओर झुकना)

इस आगे की ओर झुकने वाले आसन में पैर को फैलाकर बैठना और छाती और जांघों के बीच के अंतर को कम करने के लिए आगे झुकना, पैर की उंगलियों को छूना और सिर को पैरों पर रखना शामिल है। इस मुद्रा में 30 सेकंड तक रहें और दोहराएं। यह आसन पेट की चर्बी कम करने, कंधे और पीठ की मांसपेशियों को खींचने, हैमस्ट्रिंग दर्द (जो महिलाओं में काफी आम है) को कम करने में फायदेमंद है। यह तंत्रिका तंत्र को भी शांत करता है, उच्च रक्तचाप और बांझपन का इलाज करता है और आंतरिक अंगों को टोन करता है।


वीरभद्रासन (योद्धा मुद्रा)

योद्धा मुद्रा सबसे अनोखे आसनों में से एक है क्योंकि इसमें खड़े होने और शरीर के संतुलन दोनों तरह के आंदोलनों को शामिल किया जाता है। यह शरीर की स्थिति के बारे में हमारी जागरूकता को बढ़ाता है। इस मुद्रा में, एक पैर 90 डिग्री के कोण पर आगे की ओर मुड़ा हुआ होता है जबकि दूसरा पैर पीछे की ओर 15 डिग्री के कोण पर पीछे की ओर फैला होता है, हाथ सीधे हवा में होते हैं। कम से कम 20 सेकंड तक रुकें और दोहराएं। यह आसन संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और पीठ की मांसपेशियों, हैमस्ट्रिंग और कंधे की मांसपेशियों और जोड़ों को मजबूत करता है।


मर्जियारासन (बिल्ली या गाय मुद्रा)

इस अद्भुत आसन में चारों अंगों पर खड़े होकर रीढ़ को ऊपर-नीचे हिलाना शामिल है। इस सरल आसन के कई लाभ हैं। यह रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाता है, आंतरिक अंगों की मालिश करता है जिससे पाचन और चयापचय में सुधार होता है, दिमाग को आराम मिलता है और कलाई और कंधों को मजबूत बनाता है। अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए आपको मार्जियरासन का 30-50 बार अभ्यास करना चाहिए।


शिशुआसन (बाल मुद्रा)

यह सबसे अधिक आराम देने वाले आसनों में से एक है जिसमें टखने पर बैठना और धीरे-धीरे इस तरह आगे झुकना शामिल है कि माथा ज़मीन को छू ले; हाथों को पीठ पर या शरीर के किनारे पर रखा जा सकता है। इस आसन को बाल मुद्रा कहा जाता है क्योंकि यह माँ की गोद में बच्चे की आरामदायक मुद्रा से संबंधित है। बाल मुद्रा शरीर को एक अच्छा खिंचाव प्रदान करने के साथ-साथ आंतरिक अंगों और मांसपेशियों की धीरे-धीरे मालिश और टोन करती है। यह पीठ और गर्दन के दर्द को खत्म करने और मांसपेशियों को आराम देने में मदद करता है; पूरे शरीर को फिर से जीवंत करता है।


अर्ध चक्रासन (खड़े होकर पीछे की ओर झुकना)

यह पीछे की ओर झुकने वाला आसन पूरे शरीर को फैलाता है जो हाथ और कंधे की मांसपेशियों को टोन करने में मदद करता है और रीढ़ को एक बेहतरीन खिंचाव प्रदान करता है। इसे पीठ के निचले हिस्से के दर्द को कम करने और श्वसन संबंधी विकारों को ठीक करने के लिए सबसे अच्छे व्यायामों में से एक माना जाता है। इस आसन में, आपको पैरों को एक साथ रखकर और हाथों को शरीर के एक तरफ रखकर सीधे खड़े होना होता है। गहरी साँस लें और ऊपर की ओर खिंचाव करें, हाथों को ऊपर की ओर फैलाएँ और हथेलियाँ एक-दूसरे की ओर रखें। धीरे से पीछे की ओर झुकते हुए साँस छोड़ें और अपने ग्लूट्स को कस लें। इस आसन में 10 सेकंड तक रुकें और दोहराएं।


हस्तपादासन (खड़े होकर आगे की ओर झुकना)

पीछे की ओर झुकने वाले आसन के बाद, अक्सर आगे की ओर झुकने वाले आसन का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह शरीर को आराम देता है। इस आसन के लिए, अपने हाथों को अपने शरीर के किनारे पर रखकर स्थिर खड़े रहें, गहरी साँस लें और दोनों हाथों को अपने सिर के ऊपर उठाएँ। अब साँस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और अपने हाथों को फर्श या अपने टखनों को छूएँ और अपने सिर को घुटनों से छूने की कोशिश करें। लगभग 10 सेकंड तक रुकें और दोहराएँ। यह शरीर की लगभग सभी मांसपेशियों को फैलाता है, रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन में सुधार करता है और रक्त परिसंचरण को भी बढ़ाता है। कृपया ध्यान दें कि पीठ के निचले हिस्से की चोट, सर्वाइकल दर्द, रीढ़ की हड्डी की समस्या या स्पोंडिलाइटिस से पीड़ित लोगों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।


उत्कटासन (कुर्सी मुद्रा)

कुर्सी मुद्रा एक दिलचस्प लेकिन चुनौतीपूर्ण आसन है, जहां आप खुद को कुर्सी पर बैठे हुए कल्पना करते हैं। यह सुनने में जितना आरामदायक लगता है, उतना है नहीं। इस मुद्रा में लंबे समय तक रहना कई लोगों के लिए कठिन है। अपने हाथों को शरीर के किनारे पर रखकर सीधे खड़े हो जाएं, अब अपनी कोहनी को मोड़े बिना अपनी बाहों को सामने लाएं, अब दोनों घुटनों को मोड़ें और श्रोणि (कूल्हे) को नीचे धकेलने का प्रयास करें, जैसे कि आप एक काल्पनिक कुर्सी पर बैठे हों। सुनिश्चित करें कि हाथ फर्श के समानांतर हों और आप झुकें नहीं। यह मुद्रा टखने, जांघों, पैर और घुटने को टोन करती है। यह रीढ़, कूल्हों और छाती की मांसपेशियों के लिए एक बेहतरीन व्यायाम है। यह एक ऐसा आसन है जो शरीर में संतुलन बढ़ाता है। कृपया ध्यान दें कि पुराने घुटने के दर्द, गठिया या मोच वाले टखने वाले लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।


योग निद्रा (योगिक नींद)

यह सबसे आरामदायक मुद्रा है, जिसका अभ्यास आम तौर पर योग सत्र के अंत में किया जाता है। इसमें चटाई पर सीधे लेटना, आँखें बंद करना और पूरे शरीर को आराम देने की कोशिश करना शामिल है। यह मुद्रा तंत्रिका तंत्र को अभ्यास किए गए योग आसनों के सभी प्रभावों को अवशोषित करने में मदद करती है।


बद्ध कोणासन (तितली मुद्रा)

तितली मुद्रा एक बैठने की मुद्रा है जिसमें पीठ सीधी करके और पैरों को एक साथ रखकर बैठना शामिल है ताकि तलवे हाथों से बंधे हुए एक दूसरे को छू सकें। अपने पैरों को जितना संभव हो सके अपनी आंतरिक जांघों के करीब लाने की कोशिश करें। अब, अपने घुटनों को तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे हिलाना शुरू करें। इस आसन का नाम तितली की तरह पैरों की हरकत से पड़ा है। यह आसन आंतरिक जांघों, कमर और घुटनों को बहुत खिंचाव देता है, आंतों और मल त्याग में मदद करता है। गर्भवती महिलाओं और जो लोग परिवार शुरू करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें इस आसन से सबसे अधिक लाभ होता है क्योंकि यह प्रजनन क्षमता में सुधार करता है और गर्भावस्था को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। हालाँकि, पुराने घुटने के दर्द या कमर की चोट वाले लोगों को इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए


मार्जारी आसन

मार्जरी” शब्द का अर्थ “बिल्ली” होता है और “आसन” का अर्थ “मुद्रा या स्थिति” होता है। इस आसन को करने वाला व्यक्ति एक बिल्ली के समान दिखाई देता है। इसको करने से रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों का लचीलापन बना रहता है। इसके साथ यह पीठ दर्द और गर्दन दर्द में राहत दिलाता है। इसको 8-10 बार करना होता है। इससे पेट की चर्बी कम होती है। कब्ज में राहत मिलती है। कमर, गर्दन और मेरूदंड लचीले होते हैं। महिलाओं के लिए लाभकारी आसन है। रीढ़ की हड्डी और कमर में दर्द है तो ये आसन न करें।


कंधरासन

कंधरासन एक योग है द्य जिसमें कंध = कंधा , आसन = मुद्रा मतलब इसको करने से कंधों पर जोर पड़ता है, इसलिए इसे कंधरासन कहते हैं। इसको ५-१० बार करना चाहिए। यह आसन प्रजनन अंगों को मजबूत बनाता है। इससे अनियमित माहवारी व गर्भपात का खतरा टलता है। रीढ़ की हड्डी से संबंधी बीमारियों में बचाव होता है। गंभीर पेट के रोगी, हर्निया और गर्दन दर्द के रोगी इस आसन को करने से बचें। जिन लोगों को पीठ दर्द और स्पाइनल ’’’’’ के सरकने की समस्या होती है, उनके लिए कंधरासन का अभ्यास करना काफी लाभदायक होता है।


शशांकासन

शशक का का अर्थ होता है खरगोश। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशकासन कहते हैं। इस आसन को करने के लिए खरगोश की तरह बैठना होता है। एक बार में 10-12 बार कर सकते हैं। इससे उदर संबंधी बीमारियों से बचाव होता है। महिलाओं के बस्ति प्रदेश को लाभ, प्रजनन अंग स्वस्थ और मानसिक विकार दूर होते हैं। बीपी और स्लिप ’’’’’ के रोगी इसे न करें। हृदय रोगियों के लिए यह आसन लाभदायक है। यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करके आंत, यकृत, अग्न्याशय व गुर्दों को बल प्रदान करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन आदि मानसिक रोग भी दूर हो जाते हैं।


नौकासन

नौकासन योग करते समय हमारे शरीर का आकार नौका यानि नाव के समान रहता है इसीलिए इस योग को नौकासन कहते हैं। इसको एक बार में 5 या 6 बार तक कर सकते हैं। इसेकरने से महिलाओं को ओवेरी (बच्चादानी) और यूट्रस (गर्भाशय) की समस्याओं में राहत मिलती है। प्रसव के बाद की चर्बी भी घटती है। पीठ और आंत मजबूत होते। हाल ही सर्जरी व रीढ़ की हड्डी में समस्या वाले न करें। वजन को नियंत्रित करने तथा पेट की चर्बी कम करने और कमरदर्द को कम करने के लिए यह एक उपयोगी योगासन हैं।


गोमुखासन 

गोमुखासन यह योग करते समय शरीर का आकार गाय के मुख के समान होने के कारण इसे ‘गोमुखासन’ कहा जाता हैं। गोमुखासन महिलाओ के लिए अधिक फायदेमंद माना जाता हैं। इसको करने से मधुमेह, गठिया, कब्ज, पीठ दर्द जैसी कई समस्याओं में तुरंत राहत मिलती है। इससे छाती व कंधा मजबूत होते हैं। गोमुखासन को बवासीर के रोगी न करें। इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है।


चक्कीचलान आसन

इसे आमतौर पर घरों में भी किया जाता था. यह प्रेग्नेंसी से लेकर मेनोपॉज, पीरियड पेन, पीरियड रेगुलर न होना, पीरियड क्रैंप्स आदि में बेहद चमत्कारी है. इसे करने से महिलाओं की आधी से ज्यादा समस्याएं खत्म हो जाती हैं. इसमें जमीन पर बैठकर पैरों को फैलाकर हाथों से चक्की चलाई जाती है.


चक्रासन

आप रोजाना चक्रासन जरूर करें. इससे शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं. चक्रासन फेफड़ों को सही मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाने और तनाव को कम करने में मदद करता है. इससे आखों की परेशानियां कम होती हैं. चक्रासन करने से थकान औक सुस्ती गायब हो जाती है. इससे आपके पीठ दर्द में भी आराम मिलता है.


हलासन

आपको डेली हलासन करना चाहिए. इससे पीठ, पैर और पेट को आराम मिलता है. पीठ की मसल्स और रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है. इस आसन को करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है, जिससे पाचन भी अच्छा रहता है. इस आसन को करने से ब्लड शुगर लेवल सामान्य होता है और इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है.


अंजनेयासन

रोजाना अंजनेयासन करने से वजन घटाने में मदद मिलती है. बढ़ती उम्र में महिलाओं के लिए वजन कम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इस आसन को करने से पाचन में सुधार आता है और ब्लड सर्कुलेशन काफी बेहतर होता है. तनाव को कम करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद मिलती है.





Suresh-gandhi

सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार 

वाराणसी

कोई टिप्पणी नहीं: