सीहोर : ईश्वर की भक्ति करने का कोई समय कोई आयु नहीं होती : कथा व्यास पंडित राहुल कृष्ण आचार्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 जून 2024

सीहोर : ईश्वर की भक्ति करने का कोई समय कोई आयु नहीं होती : कथा व्यास पंडित राहुल कृष्ण आचार्य

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सीहोर। शहर के जगदीश मंदिर स्थित प्राचीन मंदिर के परिसर में समस्त महाकाल सेवा समिति सब्जी मंडी के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पंडित राहुल कृष्ण आचार्य ने भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि ईश्वर की भक्ति करने का कोई समय कोई आयु नहीं होती। उन्होंने बताया कि पृथ्वी लोक पर हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष दो असुरों ने भयंकर उत्पात मचा रखा था। देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इससे हिरण्यकश्यप बदले की आग में जलने लगा और शक्तियां प्राप्त करने के लिए तपस्या करने लगा। हिरण्यकश्यप की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया। इसका नाम भक्त प्रहलाद रखा इसके पश्चात् कयाधु अपने पुत्र को लेकर अपने महल आ गई। भक्त प्रहलाद के जन्म लेते ही वह भक्ति के सागर में डूब गया और जब यह बात उसके पिता राक्षस राज हिरण्यकश्यप को पता लगी तो उसने अपने पुत्र को कई प्रकार से समझाने का प्रयास किया कि वह भगवान विष्णु की भक्ति करना छोड़ दे। क्योंकि हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को शत्रु मानता था और बदले की भावना में जल रहा था।


हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे

पंडित राहुल कृष्ण ने विस्तार से भक्त प्रहलाद का चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि हिरण्यकश्यप नामक दैत्य ने घोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से ऐसा वरदान प्राप्त किया कि वह न दिन में, न रात में, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न नर मार सके न नारी, न पानी में डूब कर मरने का वरदान प्राप्त किया था। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानते थे। वह निर्भय थे। हिरण्यकश्यप पुत्र प्रह्लाद को तरह-तरह की यातनाएं देने लगे जबकि भगवान हमेशा प्रह्लाद की रक्षा करते रहे। अतत: भगवान विष्णु नरसिंह का रूप धारण किया व अत्याचारी दैत्य हिरण्यकश्यप को गोधूलि बेला में वध किया था। श्रीराम कथा श्रवण मात्र से ही किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। महापुरुषों को उनके आचरण से जाना जाता है।


आस्था और उत्साह के साथ मनाया भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह

जगदीश मंदिर में जारी सात दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि विवाह के बाद पति और पत्नी में विश्वास होना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह आदर्श विवाह है। 

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