हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे
पंडित राहुल कृष्ण ने विस्तार से भक्त प्रहलाद का चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि हिरण्यकश्यप नामक दैत्य ने घोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से ऐसा वरदान प्राप्त किया कि वह न दिन में, न रात में, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न नर मार सके न नारी, न पानी में डूब कर मरने का वरदान प्राप्त किया था। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानते थे। वह निर्भय थे। हिरण्यकश्यप पुत्र प्रह्लाद को तरह-तरह की यातनाएं देने लगे जबकि भगवान हमेशा प्रह्लाद की रक्षा करते रहे। अतत: भगवान विष्णु नरसिंह का रूप धारण किया व अत्याचारी दैत्य हिरण्यकश्यप को गोधूलि बेला में वध किया था। श्रीराम कथा श्रवण मात्र से ही किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। महापुरुषों को उनके आचरण से जाना जाता है।
आस्था और उत्साह के साथ मनाया भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह
जगदीश मंदिर में जारी सात दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि विवाह के बाद पति और पत्नी में विश्वास होना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह आदर्श विवाह है।
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