वाराणसी : सारनाथ कॉरिडोर भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तैयार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 12 जून 2024

वाराणसी : सारनाथ कॉरिडोर भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तैयार

  • तथागत की तपोस्थली सारनाथ में स्ट्रीट लाइट पर भी दिखेंगे धर्मचक्र, प्रो-पुअर योजना का उद्देश्य समग्र विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना
  • अपने अंतिम पड़ाव पर है सारनाथ में विश्व बैंक की सहायता से लगभग 90 करोड़ से प्रो-पुअर प्रोजेक्ट का कार्य, बोधि वृक्ष पौराणिकता बनाएं रखने के लिए इसके पत्तियों से गिफ्ट बनाने की योजना
  • सैलानियों को विशेष रूप से गिफ्ट के तौर पर भेंट की जायेगी बौध वृक्ष की पतित्यां

Sarnath-corridor
वाराणसी (सुरेश गांधी) धर्म एवं आस्था की नगरी काशी की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के साथ ही विकास की गति भी रफ़्तार पकड़ने लगी है। विकास का ही तकाजा है कि बाबा विश्वनाथ धाम कॉरीडोर के लोकार्पण के बाद से न सिर्फ पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है, बल्कि रोजगार व कमाई के अवसर भी बढे है। विकास की इस कड़ी में अब भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में कॉरीडोर चार चांद लगा रहा है। आकर्षित एवं सुसज्जित सारनाथ भी पर्यटकों को लुभाने लगा है। खास बात यह है कि सारनाथ बोधि वृक्ष (पीपल) के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी हजारों लोग आते है। मगर, वह वृक्ष दिन-प्रतिदिन टूट कर गिर रहा है। इसे अब वन विभाग विरासत के रूप में सहेज रहा है। इतना ही नहीं वृक्ष से गिरने वाली पत्तियों को भी वन विभाग संरक्षित कर रहा है। मकसद है उन पत्तियों का ऐतिहासिक महत्व बताते हुए सैलानियों को उपहार स्वरूप देने की।


Sarnath-corridor
शहर से दूर सारनाथ शहर का प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट है. इस जगह हर दिन हजारों देसी और विदेशी पर्यटक आते है. इन पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए अब पर्यटन विभाग यहां टूरिस्ट डेस्टिनेशन बना रहा है. इस योजना के तहत मंदिर से लेकर संग्रहालय तक की सड़क को घेर दिया गया है। अब इसके अंदर दुपहिया व चवार पहिया वाहन नहीं जा सकेंगे। इसके साथ ही यहां मूलभूत सुविधाओं का भी विस्तार किया गया है। पूरे इलाके को आकर्षक लाइटों से सजाया गया है। पर्यटन विभाग के उपनिदेशक आर के रावत ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद यहां हर दिन इसकी भव्यता को निहारने के लिए करीब 1 लाख लोग आ रहे है. ऐसे में यही यहां के ऐतिहासिक मंदिरों को नया कलेवर दिया जाए तो यहां पर्यटकों का फुट फॉल और बढ़ेगा. इसके अलावा पर्यटन को भी नई रफ्तार मिलेगी. इसी के मद्देनजर सारनाथ कॉरीडोर को विकसित किया जा रहा है, जो अपने अंतिम पड़ाव पर है।


Sarnath-corridor
बता दें, भगवान बुद्ध ने सबसे पहला उपदेश दिया था। इस वजह से इस स्थल का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्व है। यहां पर हर दिन हजारों सैलानी घूमने आते हैं। देसी और विदेशी पर्यटक यहां के पुरातात्विक अवशेष को देखते हैं। भगवान बुद्ध का दर्शन करते हैं। इस जगह चीन तिब्बत नेपाल जापान कंबोडिया कोरिया वियतनाम आदि देशों से श्रद्धालु आते हैं। इसकी महत्ता को देखते हुए मंदिर से संग्रहालय तक के मार्ग का निर्माण कराने के बाद सड़क के दोनों ओर आकर्षक खंभों पर बिजली के बल्व लगाए गये है। रेलवे स्टेशन को भी चमकाने की तैयारी हैं जलभराव की समस्या को देखते हुए सड़कों को एलिवेटेड सड़क बनाई गई है। इतना ही नहीं पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए काशी के धार्मिक स्थलों की विकास के साथ ही सड़कों और इमारतों पर अब धार्मिक चिह्नों से सुसज्जित किया जा रहा है।  


मंडुवाडीह से लहरतारा मार्ग के स्ट्रीट लाइट पर त्रिशूल और डमरू के बाद अब तथागत की तपोस्थली सारनाथ में स्ट्रीट लाइट पर धर्मचक्र दिखाई दे रहा है। शिवलिंग के आकार का रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर बन चुका है। आने वाले समय में कई भवनों जैसे रोपवे स्टेशन, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, इंटीग्रेटेड मंडलीय कार्यालय आदि में धार्मिक चिह्न और मंदिर का स्वरूप दिखेगा। सारनाथ में विश्व बैंक की सहायता से लगभग 90 करोड़ की लागत से प्रो-पुअर प्रोजेक्ट का कार्य अंतिम पड़ाव पर है। सारनाथ में प्रो-पुअर योजना का उद्देश्य समग्र विकास से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर यहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना है। विरासत का पुनरुद्धार करते हुए डबल इंजन सरकार विश्व में धर्म व संस्कृति का परचम लहरा रही है। यही ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वाराणसी के सारनाथ में विकास से रोजगार उपलब्ध कराने के कार्य को मूर्तरूप दे रही है। तथागत की भूमि सारनाथ बौद्ध भिक्षुओं का तीर्थ स्थल माना जाता है। यहां विश्व भर से हर साल लाखों की तादाद में पर्यटक आते हैं। सारनाथ में प्रो पुअर योजना से समग्र विकास से रोजगार का अवसर उपलब्ध होगा, जिससे यहां के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव होगा।


वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव वेद प्रकाश मिश्र ने बताया कि सारनाथ में प्रो-पुअर योजना के तहत विकास का कार्य अंतिम चरण में है। प्रयास है कि यहां अधिक से अधिक पर्यटक आएं और रुकें। सारनाथ के आसपास के रहने वाले लोगों की आय बढ़े और रोज़गार के अवसर मिले। इस परियोजना की लागत लगभग 90 करोड़ रुपये है। प्रो-पुअर पर्यटन विकास परियोजना के अंतर्गत सारनाथ बौद्ध परिपथ के विकास का कार्य विश्व बैंक से सहायतित है। वीडीए सचिव ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत सारनाथ के पूरे क्षेत्र को टूरिस्ट फ्रेंडली बनाया जा रहा है। योजना में पर्यटकों की सुविधा के अलावा स्थानीय लोगों के व्यापार का खास ध्यान रखा गया है, जिससे यहां के लोगों का जीवन स्तर उठ सके। वीडीए सचिव ने बताया कि सारनाथ, उसके आसपास के चौराहों और तिराहों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। धर्मपाल मार्ग का सौंदर्यीकरण, स्ट्रीट पेडेस्ट्रियन प्रामिनाड एवं स्ट्रीट लाइटिंग का कार्य हुआ है। प्लांटेशन -लैंड स्केपिंग, बुद्धिस्ट थीम पर साइनेज एवं इंटरप्रेटेशन वॉल बनाया गया है। ओवरहेड तारों को अंडरग्राउंड किया गया है। आधुनिक जनसुविधाएं, पेयजल की सुविधाएं, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, पर्यटक सूचना केंद्र का कार्य एवं अन्य आवश्यक पर्यटक सुविधाएं कार्य पूर्ण होने के बाद उपलब्ध होंगी।


वन संरक्षक डॉ. रवि कुमार सिंह ने बताया कि बोधि वृक्ष अपनी पीढ़ी का चौथा पेड़ है। साथ ही भगवान बुद्ध के सारनाथ में प्रथम उपदेश से जुड़ा है। इसी वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान बुद्ध ने अपने प्रथम पांच शिष्यों को उपदेश दिया था। बाद में इस वृक्ष का एक हिस्सा ले जाकर श्रीलंका में लगाया गया था। वर्ष 1931 में श्रीलंका से वृक्ष की एक शाखा सारनाथ ले आई गई और उसे मूलगंध कुटी विहार बौद्ध परिसर में लगाया गया। तभी से देश-विदेश से आने वाले बौद्ध अनुयायी यहां आकर दर्शन-पूजन कर वृक्ष की परिक्रमा करते रहे हैं। अभी तक इसके पत्ते ले जाकर लोग अपने घर, पुस्तक या पूजाघर में रखते हैं। मगर, अब इन पत्तियों को वन विभाग ही सुरक्षित कर रख रहा है। बोधि वृक्ष के उपयोग और महत्व को देखते हुए इसके पत्तियों से गिफ्ट बनाने की योजना बनाई जा रही है। विदेशियों को विशेष रूप से ये गिफ्ट दिया जाएगा, जिससे वह अपने देश जाकर इस वृक्ष के महत्व को बताएं।

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