वाराणसी : डेंगू की रोकथाम व कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 28 जुलाई 2024

वाराणसी : डेंगू की रोकथाम व कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

  • एसएसपीजी समेत चारों चिकित्सालयों में 20-20 मच्छरदानी युक्त बेड रिजर्व
  • सभी ग्रामीण व शहरी सीएचसी पर 10-10 व पीएचसी पर पांच-पांच बेड आरक्षित
  • निजी चिकित्सालयों में भर्ती मरीज के प्लेटलेट मांगपत्र में पंजीकृत चिकित्सक का नाम व हस्ताक्षर जरूरी 

Dengue-meeting-varanasi
वाराणसी (सुरेश गांधी) एक बार फिर बरसात का मौसम कई तरह की बीमारियां व कई प्रकार के संक्रमण लाया है। ये संक्रमित बीमारियां हम सभी के घर में अपना घर बनाने लगते हैं। इनमें डेंगू-मलेरिया के मामले ज्यादा होते हैं। डेंगू और मलेरिया जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि इससे बचाव किया जाए। डेंगू वायरस संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर मुख्यतः साफ पानी में पाए जाते हैं और दिन के समय अधिक सक्रिय होते हैं। यह बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी वर्ग के लोगों में हो सकता है। मतलब साफ है डेंगू कीट जनित संचारी रोग है। एडिस प्रजाति के मच्छर डेंगू वायरस से संक्रमण फैलाते है। डेंगू दो रूप में परिलक्षित होता है -डेंगू फीवर एवं डेंगू हेमरेजीक फीवर व डेंगू शॉक सिन्ड्रोम। डेंगू का इनक्युबेशन पीरियड साधारणताः 5 से 7 दिन का होता है। एडिस इजिप्टी मच्छर प्रायः घरों में तथा घरों के आस-पास ठहरे हुए स्वच्छ पानी में पनपता है। यह मच्छर प्रायः दिन के समय काटता है। इन मच्छरों में डेंगू वायरस का संक्रमण 3 सप्ताह तक रहता है। संक्रमित एडिस इजिप्टी मच्छर के अण्डे भी संक्रमित होते है, जो कि विकसित होकर संक्रमित मच्छर बनते है। मच्छर जनित बीमारियों खासकर डेंगू, मलेरिया के प्रसार की संभावना को  देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को एड्वाइजरी जारी की है। इन बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण व कार्रवाई के लिए मच्छरों के प्रजनन के संभावित स्रोतों को ख़त्म करना बहुत जरूरी है। इसके लिए एंटी लार्वा छिड़काव, फोगिंग और ऑयल बॉल का उपयोग किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने अवगत कराया कि डेंगू के लक्षण दिखने पर तत्काल क्षेत्रीय अस्पताल में उपचार कराएं। 


मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि पहली जुलाई से जनपद में विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियां की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि डेंगू मरीजों के लिए एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय कबीर चौरा, डीडीयू चिकित्सालय पाण्डेयपुर, एलबीएस चिकित्सालय रामनगर और एसवीएम चिकित्सालय भेलूपुर में 20-20 मच्छरदानी युक्त बेड रिजर्व किए गए हैं। इसके अलावा शहरी व ग्रामीण स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 10-10 बेड और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर पाँच-पाँच बेड आरक्षित किए गए हैं। इन चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केन्द्रों के वार्ड में डेंगू मरीज का भर्ती, डिस्चार्ज और प्लेटलेट प्रोटोकॉल आवश्यक रूप से प्रदर्शित किए जाने का निर्देश दिया है। सीएमओ ने कहा कि वर्तमान में डेंगू के संभावित प्रसार के दृष्टिगत तथा कुछ निजी चिकित्सकों द्वारा प्लेटलेट की अनावश्यक माँग एवं मरीज के परिजनों में उत्पन्न किये गये अनावश्यक भय के वातावरण उत्पन्न किया जाता है। इस सम्बन्ध में सभी सभी निजी चिकित्सालयों के प्रबन्धक को निर्देशित किया गया कि आपके द्वारा जब भी ब्लड बैंक में प्लेटलेट के लिए मांग भेजी जायेगी, तो उसके साथ मरीज की वर्तमान क्लीनिकल दशा तथा वर्तमान प्लेटलेट संख्या से सम्बन्धित प्रपत्र संलग्न करते हुए भेजें। प्लेटलेट की मांगपत्र पर पंजीकृत चिकित्सक का नाम एवं हस्ताक्षर अवश्य अंकित किया जाए। प्लेटलेट की मांग प्लेटलेट प्रोटोकॉल के अनुसार ही की जाए, अनावश्यक रूप से प्लेटलेट की मांग न की जाए। 


लक्षण

डेंगू रोग के प्रमुख लक्षणों में अकस्मात तेज सर दर्द व बुखार होना, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द होना, आंखों में दर्द होना जी मिचलाना व उल्टी होना, तथा गंभीर मामलों में नाक, मुंह, मसूडों से खून आना, तथा त्वचा पर चकते उभरना है। दो से सात दिनों में मरीज की स्थिति गंभीर भी हो सकती है। शरीर का तापमान कम हो जाता है। शॉक की स्थिति निर्मित होती है।


बरतें सावधानी

- डेंगू का मच्छर साफ व रुके हुए पानी में पनपता है, इसलिए साप्ताहिक आधार पर घरेलू जल भंडारण कंटेनरों को ढंकना, खाली करना और साफ करना।

- घर की छत पर रखे गमलों या किसी अन्य बर्तनों, नारियल के खोल, टायरों में पानी जमा न होने देना।

- पानी के भंडारण कंटेनरों को ढक्कन के साथ कवर किया जाना।

- बरसात के मौसम के दौरान, सभी व्यक्ति ऐसे कपड़े पहन सकते हैं जो हाथ और पैर को कवर करते हों।

- सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

- मच्छरों के काटने से बचाव के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपाय जैसे कीटनाशक से उपचारित बेडनेट, कॉइल और वेपोराइज़र का उपयोग किया जा सकता है।

- मच्छरों के काटने से रोकने के लिए दिन के समय में मच्छर दूर भगाने के लिए क्रीम का उपयोग किया जा सकता है।

- निरंतर वेक्टर नियंत्रण के लिए सामुदायिक भागीदारी और गतिशीलता में सुधार लाना।

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